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राम मनोहर लोहिया अस्पताल में जनरलाइज्ड डिस्टोनिया का सफल ऑपरेशन

लखनऊ के डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के न्यूरोलॉजी और न्यूरोसर्जरी विभाग ने जनरलाइज्ड डिस्टोनिया का सफल ऑपरेशन किया. ऑपरेशन करने में डॉक्टरों को 8 घंटे का वक्त लगा.

operation of generalized dystonia with pallidotomy
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Published : Aug 4, 2023, 8:39 AM IST

Updated : Aug 4, 2023, 8:45 AM IST

लखनऊ: डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में जनरलाइज्ड डिस्टोनिया से पीड़ित एक युवती की घाव संबंधी सर्जरी प्रक्रिया (पैलिडोटॉमी) सफलतापूर्वक की गई. सीतापुर की रहने वाली युवती को निजी अस्पताल से न्यूरोलॉजी विभाग में रेफर किया गया था. वह बचपन से ही डिस्टोनिया से पीड़ित थी और उसके लक्षणों में सुधार नहीं हो रहा था.

लोहिया संस्थान के न्यूरोलॉजी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. दिनकर कुलश्रेष्ठ ने बताया कि दवा उसके डिस्टोनिया को नियंत्रित करने में विफल रही थी. टॉक्सिन इंजेक्शन चिकित्सीय विकल्प नहीं था, क्योंकि बीमारी ने कई मांसपेशियों के समूह को प्रभावित किया था. इसके बाद मरीज को न्यूरोसर्जरी की एडवाइज दी गई. डॉ. दीपक कुमार सिंह, प्रोफेसर और एचओडी न्यूरोसर्जरी ने सर्जिकल विकल्पों पर चर्चा कर पैलिडोटॉमी पर विचार किया. यह पहली बार था कि इस सर्जिकल प्रक्रिया की योजना डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ में बनाई गई. इसलिए, डॉ. संजीव श्रीवास्तव, वरिष्ठ न्यूरोसर्जन को आर्टेमिस अस्पताल गुड़गांव से अनुरोध कर यहां बुलाया गया. वह सर्जिकल प्रक्रिया के दौरान हमारी सहायता करने के लिए आए थे.

ऐसे हुई सर्जरीः डॉ. कुलश्रेष्ठ ने बताया कि सर्जरी के दौरान खोपड़ी में छेद किए गए और स्टीरियोटैक्टिक हेड फ्रेम को लगाया गया. सिर को सीटी स्कैन, एमआरआई और फ्रेम का उपयोग करके छेद बनाने के लिए साइट का सटीक 3-डी स्थानीयकरण चुना गया. छेद मस्तिष्क क्षेत्र में डाले गए तारों के माध्यम से बनाए गए थे और रेडियोफ्रीक्वेंसी पल्स जनरेटर से जुड़े थे. इन उच्च आवृत्ति तरंगों के कारण ग्लोबस पैलिडस (पैलिडोटॉमी) में छेद किए गए. सर्जरी लगभग 7-8 घंटे चली.

ऑपरेशन के 2 दिन बाद मिल गई छुट्टीः डॉ. दीपक सिंह ने बताया कि ऑपरेशन के बाद मरीज की हालत स्थिर थी और दो दिन बाद उसे छुट्टी दे दी गई. मरीज की सर्जरी की कुल लागत लगभग 1.2 लाख रुपये थी. मरीज का ऑपरेशन अप्रैल के मध्य में किया गया था और चूंकि सर्जरी के प्रभाव प्रक्रिया के 3-6 महीनों में दिखाई देते हैं, इसलिए मरीज नियमित रूप से न्यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अजय सिंह और डॉ. दिनकर के संपर्क में है. लगातार उसके बोलने, चलने और बाहों को मोड़ने में सुधार हुआ है. उम्मीद है कि आने वाले महीनों में और भी सुधार होगा.

डिस्टोनिया एक दुर्लभ स्थितिः न्यूरोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अब्दुल कवी ने बताया कि डिस्टोनिया एक दुर्लभ स्थिति है. लेकिन, इन रोगियों को नियमित रूप से डॉ. आरएमएलआईएमएस के मूवमेंट डिसऑर्डर क्लिनिक में देखा जाता है. दवाओं और बोटुलिनम टॉक्सिन इंजेक्शन के साथ प्रारंभिक उपचार कुछ मामलों में सहायक होते हैं. लेकिन, जब यह कई मांसपेशी समूहों को प्रभावित करता है, तो सर्जिकल थेरेपी सबसे अच्छा विकल्प है. डॉ. दीपक सिंह और डॉ. दिनकर कुलश्रेष्ठ ने इस बात पर प्रकाश डाला कि डॉ. आरएमएलआईएमएस में इस चिकित्सीय प्रक्रिया की सफल शुरुआत के साथ, इन रोगियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए ऐसे अधिक मामलों का इलाज पैलिडोटॉमी से किया जा सकता है.

क्या है डिस्टोनियाः डिस्टोनिया एक प्रकार का मूवमेंट डिसऑर्डर है, जो मांसपेशियों में ऐंठन से शरीर के अंगों में असामान्य मोड़ या मुद्रा का कारण बनाता है. जब यह शरीर के कई क्षेत्रों को प्रभावित करता है, तो इसे जनरलाइज्ड डिस्टोनिया कहा जाता है. डिस्टोनिया आनुवांशिक कारणों से हो सकता है या फिर मस्तिष्क संक्रमण, सिर की चोट से. वहीं, अपक्षयी (डिस्टोनिया) मस्तिष्क रोगों आदि के कारण भी हो सकता है. डिस्टोनिया का कोई स्थाई इलाज मौजूद नहीं है, लेकिन लक्षणों को दवाओं या नियमित बोटुलिनम टॉक्सिन इंजेक्शन से रोका जा सकता है.

दो प्रकार की चिकित्सा विधिः ऐसे मामलों में सर्जरी का उपयोग कभी-कभी दुर्दम्य मामलों में किया जाता है, जहां दवाएं प्रभावी नहीं होती हैं. ऐसी परिस्थितियों में दो प्रकार की चिकित्सा विधि उपलब्ध हैं डीबीएस और पैलिडोटॉमी डीबीएस. यह एक गहरी मस्तिष्क उत्तेजना सर्जरी है, जहां मस्तिष्क के कुछ क्षेत्रों में इलेक्ट्रोड प्रत्यारोपित किए जाते हैं. ये इलेक्ट्रोड विद्युत धाराएं उत्पन्न करती हैं और रसायनों व सेल कार्यों को नियंत्रित करती हैं. उत्तेजना की मात्रा ऊपरी छाती की त्वचा के नीचे रखे पेसमेकर जैसे उपकरण से नियंत्रित की जाती है.

महंगा है इलाजः विशेषज्ञयों के अनुसार, इसका इलाज एक महंगी प्रक्रिया है. देश में एम्स नई दिल्ली या निक्हैंस बेंगलुरु जैसे केंद्रों पर प्रक्रिया की औसत लागत लगभग 12-16 लाख है, जो मरीज डीबीएस का खर्च वहन नहीं कर सकते, उनके लिए पैलिडोटॉमी एक उचित संभावित विकल्प है. पैलिडोटॉमी में मस्तिष्क में ग्लोबस पैलिडस नामक एक छोटे से क्षेत्र को नष्ट करना शामिल है, जो डिस्टोनिया में असामान्य घुमाव और मुद्रा के लिए जिम्मेदार है. जनरलाइज्ड डिस्टोनिया वाले रोगियों के इलाज के लिए एम्स नई दिल्ली में यह प्रक्रिया नियमित रूप से की जाती रही है.

ये भी पढ़ेंः केजीएमयू में नेत्र विभाग की ओपीडी की तीसरी मंजिल से गिरी डेढ़ वर्षीय बच्ची, हालत नाजुक

लखनऊ: डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में जनरलाइज्ड डिस्टोनिया से पीड़ित एक युवती की घाव संबंधी सर्जरी प्रक्रिया (पैलिडोटॉमी) सफलतापूर्वक की गई. सीतापुर की रहने वाली युवती को निजी अस्पताल से न्यूरोलॉजी विभाग में रेफर किया गया था. वह बचपन से ही डिस्टोनिया से पीड़ित थी और उसके लक्षणों में सुधार नहीं हो रहा था.

लोहिया संस्थान के न्यूरोलॉजी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. दिनकर कुलश्रेष्ठ ने बताया कि दवा उसके डिस्टोनिया को नियंत्रित करने में विफल रही थी. टॉक्सिन इंजेक्शन चिकित्सीय विकल्प नहीं था, क्योंकि बीमारी ने कई मांसपेशियों के समूह को प्रभावित किया था. इसके बाद मरीज को न्यूरोसर्जरी की एडवाइज दी गई. डॉ. दीपक कुमार सिंह, प्रोफेसर और एचओडी न्यूरोसर्जरी ने सर्जिकल विकल्पों पर चर्चा कर पैलिडोटॉमी पर विचार किया. यह पहली बार था कि इस सर्जिकल प्रक्रिया की योजना डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ में बनाई गई. इसलिए, डॉ. संजीव श्रीवास्तव, वरिष्ठ न्यूरोसर्जन को आर्टेमिस अस्पताल गुड़गांव से अनुरोध कर यहां बुलाया गया. वह सर्जिकल प्रक्रिया के दौरान हमारी सहायता करने के लिए आए थे.

ऐसे हुई सर्जरीः डॉ. कुलश्रेष्ठ ने बताया कि सर्जरी के दौरान खोपड़ी में छेद किए गए और स्टीरियोटैक्टिक हेड फ्रेम को लगाया गया. सिर को सीटी स्कैन, एमआरआई और फ्रेम का उपयोग करके छेद बनाने के लिए साइट का सटीक 3-डी स्थानीयकरण चुना गया. छेद मस्तिष्क क्षेत्र में डाले गए तारों के माध्यम से बनाए गए थे और रेडियोफ्रीक्वेंसी पल्स जनरेटर से जुड़े थे. इन उच्च आवृत्ति तरंगों के कारण ग्लोबस पैलिडस (पैलिडोटॉमी) में छेद किए गए. सर्जरी लगभग 7-8 घंटे चली.

ऑपरेशन के 2 दिन बाद मिल गई छुट्टीः डॉ. दीपक सिंह ने बताया कि ऑपरेशन के बाद मरीज की हालत स्थिर थी और दो दिन बाद उसे छुट्टी दे दी गई. मरीज की सर्जरी की कुल लागत लगभग 1.2 लाख रुपये थी. मरीज का ऑपरेशन अप्रैल के मध्य में किया गया था और चूंकि सर्जरी के प्रभाव प्रक्रिया के 3-6 महीनों में दिखाई देते हैं, इसलिए मरीज नियमित रूप से न्यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अजय सिंह और डॉ. दिनकर के संपर्क में है. लगातार उसके बोलने, चलने और बाहों को मोड़ने में सुधार हुआ है. उम्मीद है कि आने वाले महीनों में और भी सुधार होगा.

डिस्टोनिया एक दुर्लभ स्थितिः न्यूरोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अब्दुल कवी ने बताया कि डिस्टोनिया एक दुर्लभ स्थिति है. लेकिन, इन रोगियों को नियमित रूप से डॉ. आरएमएलआईएमएस के मूवमेंट डिसऑर्डर क्लिनिक में देखा जाता है. दवाओं और बोटुलिनम टॉक्सिन इंजेक्शन के साथ प्रारंभिक उपचार कुछ मामलों में सहायक होते हैं. लेकिन, जब यह कई मांसपेशी समूहों को प्रभावित करता है, तो सर्जिकल थेरेपी सबसे अच्छा विकल्प है. डॉ. दीपक सिंह और डॉ. दिनकर कुलश्रेष्ठ ने इस बात पर प्रकाश डाला कि डॉ. आरएमएलआईएमएस में इस चिकित्सीय प्रक्रिया की सफल शुरुआत के साथ, इन रोगियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए ऐसे अधिक मामलों का इलाज पैलिडोटॉमी से किया जा सकता है.

क्या है डिस्टोनियाः डिस्टोनिया एक प्रकार का मूवमेंट डिसऑर्डर है, जो मांसपेशियों में ऐंठन से शरीर के अंगों में असामान्य मोड़ या मुद्रा का कारण बनाता है. जब यह शरीर के कई क्षेत्रों को प्रभावित करता है, तो इसे जनरलाइज्ड डिस्टोनिया कहा जाता है. डिस्टोनिया आनुवांशिक कारणों से हो सकता है या फिर मस्तिष्क संक्रमण, सिर की चोट से. वहीं, अपक्षयी (डिस्टोनिया) मस्तिष्क रोगों आदि के कारण भी हो सकता है. डिस्टोनिया का कोई स्थाई इलाज मौजूद नहीं है, लेकिन लक्षणों को दवाओं या नियमित बोटुलिनम टॉक्सिन इंजेक्शन से रोका जा सकता है.

दो प्रकार की चिकित्सा विधिः ऐसे मामलों में सर्जरी का उपयोग कभी-कभी दुर्दम्य मामलों में किया जाता है, जहां दवाएं प्रभावी नहीं होती हैं. ऐसी परिस्थितियों में दो प्रकार की चिकित्सा विधि उपलब्ध हैं डीबीएस और पैलिडोटॉमी डीबीएस. यह एक गहरी मस्तिष्क उत्तेजना सर्जरी है, जहां मस्तिष्क के कुछ क्षेत्रों में इलेक्ट्रोड प्रत्यारोपित किए जाते हैं. ये इलेक्ट्रोड विद्युत धाराएं उत्पन्न करती हैं और रसायनों व सेल कार्यों को नियंत्रित करती हैं. उत्तेजना की मात्रा ऊपरी छाती की त्वचा के नीचे रखे पेसमेकर जैसे उपकरण से नियंत्रित की जाती है.

महंगा है इलाजः विशेषज्ञयों के अनुसार, इसका इलाज एक महंगी प्रक्रिया है. देश में एम्स नई दिल्ली या निक्हैंस बेंगलुरु जैसे केंद्रों पर प्रक्रिया की औसत लागत लगभग 12-16 लाख है, जो मरीज डीबीएस का खर्च वहन नहीं कर सकते, उनके लिए पैलिडोटॉमी एक उचित संभावित विकल्प है. पैलिडोटॉमी में मस्तिष्क में ग्लोबस पैलिडस नामक एक छोटे से क्षेत्र को नष्ट करना शामिल है, जो डिस्टोनिया में असामान्य घुमाव और मुद्रा के लिए जिम्मेदार है. जनरलाइज्ड डिस्टोनिया वाले रोगियों के इलाज के लिए एम्स नई दिल्ली में यह प्रक्रिया नियमित रूप से की जाती रही है.

ये भी पढ़ेंः केजीएमयू में नेत्र विभाग की ओपीडी की तीसरी मंजिल से गिरी डेढ़ वर्षीय बच्ची, हालत नाजुक

Last Updated : Aug 4, 2023, 8:45 AM IST
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