लखनऊ : डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) में वित्तीय अनियमितताएं सहित कई तरह की गड़बड़ियों के रोज नए खुलासे हो रहे हैं. प्रोफेसर विनय कुमार पाठक के विश्वविद्यालय के कुलसचिव सचिन कुमार सिंह पर ऐसे ही आरोपों की जांच के बाद कार्रवाई की गई है. राजभवन को भेजे गए शिकायत पर जांच के बाद कुलाधिपति ने आरोपों को सही पाते हुए सचिन कुमार सिंह को सस्पेंड कर दिया है. कुलाधिपति ने कुलसचिव पर कार्रवाई करते हुए साथ पत्र भी जारी किया है. जिसमें विश्वविद्यालय में चल रही धांधलियों पर टिप्पणी की गई है.
बता दें, एकेटीयू के कुलसचिव सचिन कुमार सिंह के खिलाफ 22 दिसंबर 2022 को पूर्व परीक्षा नियंत्रक अनुराग त्रिपाठी ने वित्तीय अनियमितता सहित कई मामलों की जांच करने की मांग कुलाधिपति से की थी. इसके बाद 12 जनवरी 2023 को इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी आईआईटी के पूर्व निदेशक प्रोफेसर विनीत कंसल ने भी राजभवन को इसी तरह की शिकायत भेजी थी. इसके अलावा 19 फरवरी 2023 को सीनियर एडवोकेट केके. रावत ने भी पूर्व कुलपति पीके मिश्रा व सचिन कुमार सिंह की ओर से की गई अनियमितताओं की शिकायत राजभवन, प्राविधिक शिक्षा मंत्री से की थी. जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि विश्वविद्यालय व आईटी में रोड के निर्माण, छात्रावासों के रिपेयरिंग के काम में एक संस्था को को देने में नियमों की अनदेखी की गई है. इसके अलावा राजभवन से जारी पत्र में कहा गया है कि 25 फरवरी 2023 को मदन मोहन मालवीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर जेपी पांडे राजभवन को भेजे पत्र में आरोप लगाया था. जिसमें उन्होंने कहा था कि कुलसचिव सचिन कुमार सिंह ने 16 फरवरी 2023 को एक ईमेल के माध्यम से आरोप लगाया था कि प्रोफेसर जेपी पांडे 2006 में जो पीएचडी प्राविधिक विश्वविद्यालय से की है, वह नियम संगत नहीं है. प्रोफेसर पांडे ने आरोप लगाया था कि कुलसचिव ने एक तीसरे व्यक्ति के माध्यम से यह मेल कराकर गोरखपुर प्राविधिक विश्वविद्यालय के कुलपति के इमेज को खराब करने की कोशिश की थी.
राजभवन से जारी आदेश में कहा गया है कि कुलसचिव सचिन कुमार सिंह के खिलाफ प्राप्त सभी शिकायतों को देखते हुए कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने 6 मार्च 2023 को पूर्व न्यायमूर्ति आरसी मिश्रा की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था. जिसे 15 दिन में इस पूरे मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने था. जांच कमेटी ने 20 मार्च 2023 को इस पूरे मामले की जांच कर 25 पन्नों की एक रिपोर्ट कुलाधिपति को सौंपी. जिसमें प्रथम दृष्टया कुलसचिव सचिन कुमार सिंह को दोषी पाया गया है. राजभवन के पत्र में पेज नंबर तीन पर जांच कमेटी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि आरोपी कुलसचिव सचिन कुमार सिंह पूर्व निदेशक आईईटी प्रोफेसर विनीत कंसल ने जो आरोप लगाए थे वह प्रथम दृष्टया सही पाए गए हैं. सचिन कुमार सिंह ने भोपाल की एक कंपनी एचएलबीएस को 55 लाख 88 हजार 610 रुपये का पेमेंट कराया है. जिसके एवज में उन्होंने कंपनी से कमीशन प्राप्त किया है. इसके अलावा जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि कुलसचिव सचिन कुमार मिश्रा ने पूर्व कुलपति प्रदीप कुमार मिश्रा के साथ मिलकर विश्वविद्यालय के कंस्ट्रक्शन और रिपेयर वर्क में धांधली की है. आरोप पत्र में कहा गया है कि आईईटी के बाउंड्री वॉल बनाने के लिए करोड़ों का घोटाला किया गया है. इसके अलावा विश्वविद्यालय के 61वें कार्यपरिषद की बैठक में फाइनेंस कमेटी के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई. जिसमें दो छात्रावासों के रिपेयर के लिए जो बजट मंजूर किया गया था. उसमें भी कुलसचिव ने हेरफेर किया है.
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