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370 हटने के साथ ही 'दूध पथरी' में बसने की तैयारी कर रहे कश्मीरी पंडित !

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Published : Aug 8, 2019, 6:10 PM IST

मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को खत्म कर दिया है. भारत के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी सरकार के इस फैसले की खासी चर्चा हो रही है. देश की आवाम ने इस फैसले का खुलकर समर्थन किया है. साथ ही विस्थापित कश्मीरी पंडित इस फैसले को अपनी सबसे बड़ी जीत के रूप में मान रहे हैं.

कश्मीर घाटी का स्वर्ग दूध पथरी.

लखनऊ: धारा 370 के हटने के बाद देश भर में जश्न का माहौल है. इस फैसले के बाद सबसे ज्यादा खुशी विस्थापित कश्मीरी पंडितों में है. सात दशक पुरानी इस दीवार के गिरने के बाद से ही कश्मीरी पंडित अपनी आजादी का जश्न मना रहे हैं. राजधानी के केजीएमयू में कार्यरत कश्मीरी विस्थापित डॉ. ए पी टिक्कू ने इस मुद्दे पर ईटीवी भारत से खास बातचीत की. डॉक्टर टिक्कू ने कहा कि वे अपने परिवार के साथ घाटी के दूध पथरी में घर बनाकर रहना चाहते हैं.

केजीएमयू के डॉ. ए पी टिक्कू की ईटीवी भारत से खास बातचीत.

1947 में छोड़ना पड़ा था कश्मीर
केजीएमयू के दंत संकाय के हेड डॉ. असीम प्रकाश टिक्कू ने कश्मीर से जुड़े कई किस्से साझा किए. वह कहते हैं कि मेरे पिता और दादा जी 1947 में कश्मीर से विस्थापित किए गए थे. वहां से आने के बाद जयपुर में उनके पिताजी ने फ्लाइंग सीखी और उत्तर प्रदेश के एविएशन बोर्ड में रहकर ही अधिकारी बन रिटायर हुए. डॉ. टिक्कू की तीन पीढ़ियां लखनऊ में ही पैदा हुईं और पली-बढ़ी हैं. वह सरकार का धन्यवाद करते हुए कहते हैं कि धारा 370 के हटने से कश्मीरी पंडितों को अपनी जड़ों को वापस पाने का अधिकार मिल गया है.

राज्ञा देवी मंदिर के बारे में दी जानकारी
डॉ. टिक्कू बताते हैं कि हमारी कुलदेवी राज्ञा देवी का श्रीनगर में बड़ा मंदिर है. मैं अपने परिवार के साथ एक बार इस मंदिर का दर्शन करने जा चुका हूं. वहां जाकर ऐसा लगता है कि हम अपने देश में नहीं बल्कि किसी अलग मुल्क में आ गए हों. धारा 370 की समाप्ति के बाद हम वहां जा सकते हैं और अपनी आजादी के साथ अपनी आस्था को जिंदा रख सकते हैं.

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केजीएमयू के डॉ. ए पी टिक्कू की ईटीवी भारत से खास बातचीत.
स्विट्जरलैंड से भी खूबसूरत 'दूध पथरी'

प्रोफेसर टिक्कू कहते हैं कि वे कई बार जम्मू कश्मीर गए हैं. इस दौरान उन्होंने जम्मू कश्मीर की कई जगहों की सैर की है. लेकिन उन्हें दूध पथरी से बेहतरीन जगह दुनिया भर में कोई और नहीं मिली. वह कहते हैं कि अगर दुनिया में कहीं आपको स्वर्ग दिखे तो वह दूध पथरी में ही है. डॉ टिक्कू ने कहा कि मैं यहां अपने परिवार के साथ बसने का ख्बाव देखता था ताकि पीढ़ियां अपनी जड़ों से घुल सकें. आर्टिकल 370 के साथ 35a के हटने से दूध पथरी में बसने का उनका सपना पूरा होता दिख रहा है.

लखनऊ: धारा 370 के हटने के बाद देश भर में जश्न का माहौल है. इस फैसले के बाद सबसे ज्यादा खुशी विस्थापित कश्मीरी पंडितों में है. सात दशक पुरानी इस दीवार के गिरने के बाद से ही कश्मीरी पंडित अपनी आजादी का जश्न मना रहे हैं. राजधानी के केजीएमयू में कार्यरत कश्मीरी विस्थापित डॉ. ए पी टिक्कू ने इस मुद्दे पर ईटीवी भारत से खास बातचीत की. डॉक्टर टिक्कू ने कहा कि वे अपने परिवार के साथ घाटी के दूध पथरी में घर बनाकर रहना चाहते हैं.

केजीएमयू के डॉ. ए पी टिक्कू की ईटीवी भारत से खास बातचीत.

1947 में छोड़ना पड़ा था कश्मीर
केजीएमयू के दंत संकाय के हेड डॉ. असीम प्रकाश टिक्कू ने कश्मीर से जुड़े कई किस्से साझा किए. वह कहते हैं कि मेरे पिता और दादा जी 1947 में कश्मीर से विस्थापित किए गए थे. वहां से आने के बाद जयपुर में उनके पिताजी ने फ्लाइंग सीखी और उत्तर प्रदेश के एविएशन बोर्ड में रहकर ही अधिकारी बन रिटायर हुए. डॉ. टिक्कू की तीन पीढ़ियां लखनऊ में ही पैदा हुईं और पली-बढ़ी हैं. वह सरकार का धन्यवाद करते हुए कहते हैं कि धारा 370 के हटने से कश्मीरी पंडितों को अपनी जड़ों को वापस पाने का अधिकार मिल गया है.

राज्ञा देवी मंदिर के बारे में दी जानकारी
डॉ. टिक्कू बताते हैं कि हमारी कुलदेवी राज्ञा देवी का श्रीनगर में बड़ा मंदिर है. मैं अपने परिवार के साथ एक बार इस मंदिर का दर्शन करने जा चुका हूं. वहां जाकर ऐसा लगता है कि हम अपने देश में नहीं बल्कि किसी अलग मुल्क में आ गए हों. धारा 370 की समाप्ति के बाद हम वहां जा सकते हैं और अपनी आजादी के साथ अपनी आस्था को जिंदा रख सकते हैं.

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केजीएमयू के डॉ. ए पी टिक्कू की ईटीवी भारत से खास बातचीत.
स्विट्जरलैंड से भी खूबसूरत 'दूध पथरी'

प्रोफेसर टिक्कू कहते हैं कि वे कई बार जम्मू कश्मीर गए हैं. इस दौरान उन्होंने जम्मू कश्मीर की कई जगहों की सैर की है. लेकिन उन्हें दूध पथरी से बेहतरीन जगह दुनिया भर में कोई और नहीं मिली. वह कहते हैं कि अगर दुनिया में कहीं आपको स्वर्ग दिखे तो वह दूध पथरी में ही है. डॉ टिक्कू ने कहा कि मैं यहां अपने परिवार के साथ बसने का ख्बाव देखता था ताकि पीढ़ियां अपनी जड़ों से घुल सकें. आर्टिकल 370 के साथ 35a के हटने से दूध पथरी में बसने का उनका सपना पूरा होता दिख रहा है.

Intro:लखनऊ। धारा 370 के हटने के बाद जहां पूरा भारत एक अलग आजादी और एकजुटता का जश्न मना रहा है। वहीं इस बात की सबसे ज्यादा खुशी विस्थापित कश्मीरी पंडितों में देखने को मिल रही है। धारा 370 के हटने के बाद से ही कश्मीरी पंडित अपने विस्थापित हुए जगहों पर खुशियां मना रहे हैं और जश्न की तैयारी में जुट गए हैं। इन्हीं में से एक केजीएमयू के डॉक्टर ए पी टिक्कू है जो अब अपने पुराने सपने को साकार होते हुए देखने भी लगे हैं।


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आर्टिकल 370 के हटने के बाद ईटीवी भारत से बात करते हुए केजीएमयू के दंत संकाय के हेड डॉ असीम प्रकाश टिक्कू ने अपने कई किस्से साझा किए। वह कहते हैं कि मेरे पिता और दादा जी 1947 में कश्मीर से विस्थापित किए गए थे वहां से आने के बाद जयपुर में मेरे पिता ने फ्लाइंग सीखी और उत्तर प्रदेश के एविएशन बोर्ड में रहकर ही अधिकारी बन रिटायर हुए। हमारी तीन पुश्ते लखनऊ में ही पैदा हुई और पली-बढ़ी हैं, लेकिन इस सरकार का बहुत धन्यवाद है कि उन्होंने धारा 370 को हटाकर हम कश्मीरी पंडितों के लिए अपनी जड़ों को वापस पाने के अधिकार भी जिंदा कर दिए हैं।
वह कहते हैं कि हमारी कुलदेवी राज्ञा देवी का भी श्रीनगर में बड़ा मंदिर है जहां पर मैं अपने परिवार के साथ एक बार गया हूं लेकिन वहां जाकर ऐसा लगता है कि हम अपने देश में नहीं पर किसी अलग मुल्क में आ गए हो। अब हम वहां जा सकते हैं और अपनी आजादी के साथ कम से कम अपनी आस्था को जिंदा रख सकते हैं।

प्रोफेसर टिक्कू कहते हैं कि मैं कई दफा जम्मू कश्मीर गया हूं इस दौरान मैंने जम्मू कश्मीर के कई जगहों की सैर की है। इन सभी जगहों में मुझे देव पथरी से बेहतरीन दुनिया भर में कोई जगह नहीं लगी मुझे लगता है कि अगर दुनिया में कहीं आपको स्वर्ग दिखे तो वह देव पथरी में ही है। मेरा एक सपना था कि कभी मैं देव पथरी में अपना घर बना सकूं जिससे मेरी पीढ़ियां भी आए और अपनी जड़ों से घुल मिल सके। आर्टिकल 370 के साथ 35a के हटने से भी या फायदा हुआ कि भले ही हम यहां विस्थापित हो गए हो लेकिन अब मेरा दूध पथरी में अपनी जड़ों से जुड़ने का सपना साकार हो सकता है।


Conclusion:प्रोफेसर एपी टिक्कू सरकार को इस बात का तहे दिल से शुक्रिया अदा कर रहे हैं कि धारा 370 और 35a को हटाकर सरकार ने कश्मीरी पंडितों के लिए उनके अधिकार पाने का रास्ता खोल दिया है।

प्रोफेसर एके टिक्कू के साथ ईटीवी भारत का खास इंटरव्यू।

रामांशी मिश्रा
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