लखनऊः कोरोना वायरस संक्रमण काल में दूसरे राज्य और जनपदों में काम करने वाले मजदूर अपने गांव में पहुंचे तो आबादी की जमीन पर कब्जे को लेकर भारी संख्या में विवादों की स्थिति खड़ी हुई. स्वामित्व का कोई दस्तावेज न होने से ऐसे में जिला प्रशासन को इन विवादों को सुलझाने में और न्याय करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं केंद्र सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों की आबादी की जमीन (आबादी की भूमि, बसावट, बस्ती के समीप बसे इलाके) का डॉक्यूमेंटेशन कराने का फैसला लिया है. 24 अप्रैल 2020 पंचायती राज दिवस के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'स्वामित्व' नाम की इस योजना का शुभारंभ किया है. इसमें ग्रामीण क्षेत्र में स्थित आबादी की जमीन का डॉक्यूमेंटेशन कराया जाएगा.
केंद्र की स्वामित्व योजना के तहत होगा कार्य
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों के बाद लखनऊ मंडल में 'स्वामित्व योजना' के तहत काम शुरू कर दिया गया है. लखनऊ कमिश्नर मुकेश मेश्राम ने ईटीवी से खास बातचीत में बताया कि स्वामित्व योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी की जमीन का सर्वे कराया जाएगा. यह सर्वे ड्रोन की मदद से किया जाएगा और सर्वे की जिम्मेदारी 'सर्वे ऑफ इंडिया' को दी गई है. सर्वे कराने के बाद बाकायदा आबादी की जमीन का डॉक्यूमेंटेशन होगा.
आबादी की जमीनों को किया जाए चिन्हित
आबादी वाली जमीन पर सड़क, नाली, खड़ंजा और सार्वजनिक प्रयोग के लिए उपयोग में आने वाली जमीन को चूने से चिन्हित किया जाएगा. जो जमीन विवादित होगी, उसे डबल चुने से चिन्हित किया जाएगा. इसके बाद लोगों से आपत्तियां ली जाएंगी. अधिकारियों द्वारा भौतिक निरीक्षण किया जाएगा और उसके बाद इसका डॉक्यूमेंटेशन किया जाएगा, जिससे भविष्य में अगर कोई विवाद होता है तो उसे इन अभिलेखों के आधार पर निस्तारित किया जा सके.
प्रदेश के हर जिलाधिकारी के पास होगा पांच गांव
मुकेश मेश्राम ने ईटीवी से खास बातचीत में बताया कि केंद्र सरकार की गाइडलाइन के तहत 25 दिसंबर तक इस कार्य की योजना को पूरा कर लेना है और 31 मार्च 2021 तक आबादी की जमीन का सर्वे कर दस्तावेजों को तैयार करना है. जिसके लिए राजधानी लखनऊ सहित मंडल के अन्य जनपदों में कार्यवाही शुरू कर दी गई है.
कमिश्नर मुकेश मेश्राम ने बताया कि इस काम को जमीन पर उतारने के लिए प्राथमिक चरण में सभी जनपदों के जिला अधिकारियों को पांच-पांच गांव की जिम्मेदारी दी जाएगी. पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 5 गांव में ड्रोन से सर्वे कराकर दस्तावेज तैयार करने का काम किया जाएगा, जिसके बाद अन्य गांव में कार्य शुरू किया जाएगा.
ग्रामीणों को होगा फायदा
सामान्यतः देखा जाता है कि आबादी की जमीन का दस्तावेज न होने से लोग मनमाने तरीके से जमीनों पर कब्जा करते हैं. ऐसे में लोग आपस में विवाद भी होता है. जब यह विवाद थाने, तहसील पहुंचते हैं तो अधिकारी मजबूर हो जाते हैं, क्योंकि उनके पास कोई दस्तावेज नहीं होता है. ऐसे में कई बार न्याय नहीं हो पाता है. अब जब आबादी की जमीन के दस्तावेज तैयार कर लिए जाएंगे तो ऐसे विवादों को निपटाने में आसानी होगी. दूसरी ओर जब आबादी के क्षेत्र के दस्तावेज तैयार हो जाएंगे तो इन दस्तावेजों के आधार पर ग्रामीण के लोग अपनी आबादी की जमीन पर बैंक से ऋण भी ले सकेंगे और रोजगार कर सकेंगे.