लखनऊः संस्थान में क्रिटीकल केयर विभाग के प्रोफेसर पीके दास के कुशल नेतृत्व एवं परामर्श में करीब 45 दिन एक्मो मशीन पर रहने के बाद रविवार को सुबह 11 बजे डॉक्टर शारदा सुमन को किम्स हैदराबाद के अस्पताल से आई डॉक्टरों की टीम के साथ रवाना किया गया. इसके लिए अमौसी एयर पोर्ट तक ग्रीन कॉरिडोर एवं वहां से एयर एम्बुलेंस के माध्यम से हैदराबाद ले जाया गया.
डॉक्टर शारदा के इलाज के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 1.5 करोड़ रुपये दिये हैं. डॉक्टर राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के आब्स एवं गायनकोलॉजी विभाग की डीएनबी रेजिडेन्ट डॉक्टर शारदा सुमन जिनका कोविड होने की वजह से फेफड़े संक्रमित हो गये थे. उनको संस्थान के आईसीयू विभाग में वेंटीलेटर एवं एक्मो मशीन पर रखा गया था. उच्च स्तरीय मेडिकल कमेटी द्वारा उन्हें फेफड़े प्रत्यारोपण के लिए परामर्श दिया गया था. डॉक्टर शारदा के परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वो इतना महंगा इलाज करा पाए. उन्होंने संस्थान की निदेशक एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से आर्थिक मदद के लिए अनुरोध किया. निदेशक द्वारा मुख्यमंत्री को डॉक्टर शारदा की स्थिति से अवगत कराया गया. जिसके बाद मुख्यमंत्री द्वारा फौरन ही परिवार को इलाज के लिए 1.5 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की गई.
प्रेगनेंसी के बावजूद कोरोना काल में की सेवा
कोरोना काल में महिला चिकित्सक डॉक्टर शारदा सुमन मरीजों की जान बचाने में जुटी रहीं. उन्होंने इमरजेंसी में आ रही गंभीर महिलाओं का प्रसव कराया. इस दौरान वो खुद प्रेगनेंट थीं. लेकिन अपने कोख में पल रहे बच्चे की परवाह न करते हुए वो कर्तव्य पथ पर डटी रहीं. इस दौरान डॉक्टर शारदा भी कोरोना की चपेट में आ गईं. जिससे उनका फेफड़ा खराब हो गया. जिसके बाद उन्हें ऑक्सीजन पर रखा गया था. ऐसे में योगी सरकार ने उनके लंग ट्रांसप्लांट के खर्च का बीड़ा उठाया है. जिसके लिए सरकार ने सहायता राशि भी दे दी है.
लोहिया संस्थान की निदेशक डॉ. सोनिया नित्यानंद के मुताबिक स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में डॉ. शारदा सुमन जूनियर रेजिडेंट के पद पर हैं. वह संस्थान से डीएनबी कोर्स भी कर रही हैं. हाल में ही उनकी शादी हुई थी. पति भी बतौर रेजिडेंट कार्यरत हैं. 12 अप्रैल को शारदा को बुखार आया. इसके बाद जांच कराई तो 14 अप्रैल को उनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आ गई.
वेंटिलेटर पर कराया गया था प्रसव
कोरोना पॉजिटिव आने के बाद डॉ शारदा को सांस लेने में तकलीफ होने लगी. 14 अप्रैल को उन्हें लोहिया के कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया. हालात बिगड़ने पर उन्हें वेंटिलेटर पर भर्ती किया गया. एक मई को डॉक्टरों ने शिशु की जान बचाने का फैसला किया. ऐसे में वेंटिलेटर पर भर्ती गर्भवती रेजिडेंट डॉक्टर का प्रसव कराया.
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डॉ. शारदा की कोरोना रिपोर्ट छह मई को नेगेटिव आई थी. लेकिन इस दौरान उनका फेफड़ा पूरी तरह खराब हो गया. इसके बाद उन्हें नॉन कोविड आईसीयू में शिफ्ट कर ईकमो मशीन पर रखा गया. यह मशीन कृत्रिम हार्ट व फेफड़े का काम करती है.
लोहिया संस्थान की निदेशक डॉक्टर सोनिया नित्यानंद के मुताबिक सीएमएस, एमएस संग मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी. उन्हें डॉक्टर की हालत के बारे में जानकरी दी. डॉक्टर की जान बचाने के लिए लंग ट्रांसप्लांट ही विकल्प बताया गया. इसके बाद कमेटी बनी. उसने रिपोर्ट सौंपी, जिसके बाद मंगलवार को सरकार की तरफ से डेढ़ करोड़ रुपये दिए गए हैं. देश में चार जगह लंग ट्रांसप्लान्ट होता है.