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रजरप्पा की दिव्या पांडेय को यूपीएससी में 323वां रैंक, माता-पिता और रामगढ़ डीसी को दिया सफलता का श्रेय

यूपीएससी 2022 के (UPSC result 2022) आए नतीजों में रामगढ़ जिला के रजरप्पा की दिव्या पांडेय को यूपीएससी में 323वां रैंक मिला है. दिव्या को बधाई देने वालों का तांता लग गया, साथ ही उसके पास होने से क्षेत्र में खुशी का माहौल है. दिव्या ने कहा मां छिन्नमस्तिका का आशीर्वाद मिला है.

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Published : May 31, 2022, 10:03 AM IST

रामगढ़ः किसी भी काम को मेहनत, ईमानदारी, लगन और दृढ़निश्चय से किया जाए तो सफलता जरूर मिलती है. इसका उदाहरण रामगढ़ जिला की दिव्या पांडेय ने पेश की है. जिसने बिना किसी कोचिंग के यूट्यूब और रामगढ़ डीसी के मार्गदर्शन में यूपीएससी की परीक्षा में 323वां रैंक हासिल कर यह बता दिया कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती है.

यूपीएससी की परीक्षा में 323वां प्राप्त करने वाली दिव्या पांडेय (Divya Pandey got 323rd rank in UPSC) रामगढ़ जिला के रजरप्पा की रहने वाली है. मूल रूप से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर की रहने वाले सेवानिवृत्त सीसीएलकर्मी जेपी पांडेय की द्वितीय पुत्री है. दिव्या की स्कूली शिक्षा डीएवी स्कूल रजरप्पा से हुई. उसके बाद ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की शिक्षा उसने रांची वीमेंस कालेज से की है. यहां से उसने एमबीए भी किया है. पिता सीसीएल रजरप्पा प्रोजेक्ट से रिटायर्ड हो चुके हैं दो बहन और एक भाई में दिव्या दूसरे नंबर पर आती है. उसकी बड़ी बहन भी यूपीएससी की तैयारी कर रही है. जबकि छोटा भाई इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहा है. दिव्या की माता मनोरमा पांडेय हाउस वाइफ है.

रजरप्पा की दिव्या पांडेय

इसे भी पढ़ें- सराकेला में वैन चालक का बेटा सुमित कुमार ने पास की यूपीएससी परीक्षा, हासिल की 263वीं रैंक

आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं होने के कारण IAS की तैयारी के लिए ना तो वह दिल्ली जा सकती थी और ना ही इसके लिए कोचिंग में लाखों रुपया खर्च कर सकती थी. लेकिन उसने अपने मजबूत इरादों को आधार बनाकर यूट्यू और किताबों को अपना हथियार बनाकर 15-16 घंटों की पढ़ाई को अपनी दिनचर्या में शामिल कर लिया और आगे बढ़ती रही. इसी दौरान रजरप्पा जीएम ने दिव्या की मुलाकात रामगढ़ डीसी माधवी मिश्रा से कराई. उसके बाद जब भी मौका मिलता डीसी के मार्गदर्शन के लिए उनसे मिलती.

दिव्या ने अपनी इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता के साथ साथ रजरप्पा क्षेत्र के जीएम और रामगढ़ डीसी माधवी मिश्रा को दिया है. दिव्या ने कहा कि यूथ को लगन के साथ अपना काम ईमानदारी से करना चाहिए. भगवान और खुद पर भरोसा रखकर अपनी तैयारी जारी रखें. माता-पिता के बारे में दिव्या ने बताया कि उनके पिता ने कभी-भी उसकी पढ़ाई को नहीं रोका और लगातार हौसला बढ़ाते रहे. ठीक उसी प्रकार समाज के अन्य माता-पिता को भी अपनी बेटियों के हौसलों को बढ़ाने की जरूरत है.

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रामगढ़ः किसी भी काम को मेहनत, ईमानदारी, लगन और दृढ़निश्चय से किया जाए तो सफलता जरूर मिलती है. इसका उदाहरण रामगढ़ जिला की दिव्या पांडेय ने पेश की है. जिसने बिना किसी कोचिंग के यूट्यूब और रामगढ़ डीसी के मार्गदर्शन में यूपीएससी की परीक्षा में 323वां रैंक हासिल कर यह बता दिया कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती है.

यूपीएससी की परीक्षा में 323वां प्राप्त करने वाली दिव्या पांडेय (Divya Pandey got 323rd rank in UPSC) रामगढ़ जिला के रजरप्पा की रहने वाली है. मूल रूप से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर की रहने वाले सेवानिवृत्त सीसीएलकर्मी जेपी पांडेय की द्वितीय पुत्री है. दिव्या की स्कूली शिक्षा डीएवी स्कूल रजरप्पा से हुई. उसके बाद ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की शिक्षा उसने रांची वीमेंस कालेज से की है. यहां से उसने एमबीए भी किया है. पिता सीसीएल रजरप्पा प्रोजेक्ट से रिटायर्ड हो चुके हैं दो बहन और एक भाई में दिव्या दूसरे नंबर पर आती है. उसकी बड़ी बहन भी यूपीएससी की तैयारी कर रही है. जबकि छोटा भाई इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहा है. दिव्या की माता मनोरमा पांडेय हाउस वाइफ है.

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आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं होने के कारण IAS की तैयारी के लिए ना तो वह दिल्ली जा सकती थी और ना ही इसके लिए कोचिंग में लाखों रुपया खर्च कर सकती थी. लेकिन उसने अपने मजबूत इरादों को आधार बनाकर यूट्यू और किताबों को अपना हथियार बनाकर 15-16 घंटों की पढ़ाई को अपनी दिनचर्या में शामिल कर लिया और आगे बढ़ती रही. इसी दौरान रजरप्पा जीएम ने दिव्या की मुलाकात रामगढ़ डीसी माधवी मिश्रा से कराई. उसके बाद जब भी मौका मिलता डीसी के मार्गदर्शन के लिए उनसे मिलती.

दिव्या ने अपनी इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता के साथ साथ रजरप्पा क्षेत्र के जीएम और रामगढ़ डीसी माधवी मिश्रा को दिया है. दिव्या ने कहा कि यूथ को लगन के साथ अपना काम ईमानदारी से करना चाहिए. भगवान और खुद पर भरोसा रखकर अपनी तैयारी जारी रखें. माता-पिता के बारे में दिव्या ने बताया कि उनके पिता ने कभी-भी उसकी पढ़ाई को नहीं रोका और लगातार हौसला बढ़ाते रहे. ठीक उसी प्रकार समाज के अन्य माता-पिता को भी अपनी बेटियों के हौसलों को बढ़ाने की जरूरत है.

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