लखनऊ: केजीएमयू में जूनियर डॉक्टरों की भर्ती पर फिर सवाल खड़े हो गए हैं. आरोप हैं कि पैथोलॉजी विभाग में सिर्फ एक सीनियर रेजीडेंट का पद है. वहीं सात रेजीडेंट की तैनाती कर दी गई हैं. इनमें ज्यादातर संस्थान में ही तैनात डॉक्टरों की पत्नियां ही हैं. बिना परीक्षा के इन्हें एक-एक लाख की नौकरी बांटने पर अफसरों की कार्यशैली पर सवाल उठना लाजिमी है.
केजीएमयू में रेजिडेंट डॉक्टरों के करीब 1000 पद हैं. परीक्षा के आधार पर रेजिडेंट डॉक्टरों की भर्ती का नियम है. पर, यहां रेजिडेंट डॉक्टरों की भर्ती में नियमों का पालन नहीं हो रहा है. अफसर मनमुताबिक नियम गढ़कर चहेतों को नौकरी बांट रहे हैं. ऐसे में मेधावियों को नजरअंदाज करने पर बार-बार भर्ती विवादों के घेरे में आ रही है. अब पैथोलॉजी विभाग में रेजीडेंट भर्ती पर सवाल खड़े हो गए हैं.
विभाग में एक पद, सात को नौकरी का तोहफा
पैथोलॉजी विभाग में नियमित डॉक्टर के 19 पद हैं. इन सभी पदों पर शिक्षकों की तैनाती है. वहीं 42 रेजिडेंट डॉक्टर के पद हैं. सीनियर रेजिडेंट का एक ही पद स्वीकृत है. यह पद भी भरा हुआ है. वहीं यहां अब सीनियर रेजिडेंट के स्वीकृत पद से अधिक की तैनाती कर ली गई है. एक पद के मुकाबले सात रेजिडेंट डॉक्टरों की भर्ती कर ली गई है. इनमें चार पुराने रेजिडेंट डॉक्टरों को दोबारा मौका दिया गया है. वहीं तीन नए डॉक्टरों की भर्ती की गई है.
यह संस्थान के डॉक्टरों की पत्नियां व नजदीकी सम्बंधी है. इन्हें हर माह एक लाख के करीब मानदेय मिलेगा. साथ ही अनुभव प्रमाण-पत्र भी मिलेगा, जो कि आगे फैकल्टी के पद पर तैनाती में मददगार बनेगा. संस्थान के ही दूसरे चिकित्सकों का कहना है कि पैथोलॉजी विभाग में पर्याप्त डॉक्टर कार्यरत हैं. वहीं यहां लैब पीपीपी मॉडल पर चल रही हैं. ऐसे में इन रेजीडेंट की भर्ती समझ से परे है.
पहले डॉक्टर कर चुके पेपर लीक, कार्रवाई डंप
केजीएमयू में चहेतों को नौकरी बांटने की वजह से नियम तार-तार कई बार किए गए. इससे पहले दंत संकाय में रेजिडेंट डॉक्टरों की भर्ती के लिए परीक्षा कराई गई थी. परीक्षा से पहले पेपर लीक हो गया था. शिकायत के बाद मामले की जांच हुई. कमिश्नर की जांच में संस्थान के सीनियर डॉक्टर दोषी पाए गए. मगर किसी पर कार्रवाई नहीं हुई.
इसे भी पढ़ें-KGMU पेपर लीक कांड: दोषियों पर कार्रवाई के लिए विवि को लिखा गया पत्र
शिक्षक भर्ती में भी राजभवन तक पहुंचा मामला
केजीएमयू में रेजीडेंट ही नहीं शिक्षक भर्ती पर भी विवादों का साया रहा है. यहां गत वर्ष मेडिकल संकाय में गड़बड़ी के आरोप लगे. यह मामला राजभवन तक पहुंचा. इसके बाद दंत संकाय में भी भर्ती की शिकायत की गई. शिक्षिकों की भर्ती में गड़बड़ी की शिकायत मेरठ के सर्वेन्द्र चौहान ने एक मार्च को मुख्यमंत्री व राज्यपाल से शिकायत की है.
सबसे बड़ा धांधली का आरोप प्लास्टिक सर्जरी विभाग में शिक्षक भर्ती में लगा है. दूसरा रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में शिक्षक भर्ती में गड़बड़ी के हैं. उधर, अब दंत संकाय में एक अप्रैल से शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया शुरू हुई थी. एक अभ्यर्थी ने साक्षात्कार प्रक्रिया में शामिल चिकित्सक की पारदर्शी मंशा पर सवाल उठाए. ऐसे में विभाग की साक्षात्कार प्रक्रिया पर ब्रेक लग गया है. अभी अगली तारीख की घोषणा नहीं की गई.
क्या कहते हैं जिम्मेदार
पैथोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. उमा शंकर सिंह ने कहा कि कितने एसआर के पद हैं, कितने तैनात किए गए हैं. यह हमें देखना होगा. अभी व्यस्त हूँ. वहीं संस्थान के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने कहा कि पद आवश्यता पड़ने पर दूसरे विभाग से ले लिए जाते हैं. भर्ती का आधार क्या रहा, इसकी विस्तृत जानकारी की पड़ताल करके ही स्पष्ट कर सकूंगा.