लखनऊ : डॉक्टरों के दो अलग-अलग मामलों ने तूल पकड़ लिया है. इसमें लोहिया संस्थान में भर्ती में डॉक्टरों ने आरक्षण में गड़बड़ी के आरोप लगाए है. एसजीपीजीआइ व अन्य संस्थानों के डॉक्टरों ने बांड के तहत होने वाली नियुक्ति की कांउसिलिंग रुकवा दी. सिर्फ 24 घंटे पहले काउंसिलिंग नोटिस जारी होने से भड़के डॉक्टरों ने चिकित्सा शिक्षा विभाग में हंगामा किया.
एससी-एसटी मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के महासचिव डॉ. हरीराम ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर लोहिया संस्थान में आरक्षण के गड़बड़ी करने का आरोप लगाया. डॉ. हरीराम ने बताया कि लोहिया में विभिन्न विभागों में प्रोफेर के 15, एसोसिएशट प्रोफेसर के 10, असिस्टेंट के 21 और एंटीनेटल मेडिकल ऑफिसर कम असिस्टेंट प्रोफेसर के एक पद के लिए विज्ञापन जारी किया गया है.
11 अक्तूबर को कुल 47 पदों पर भर्ती के लिए एक भी पद आरक्षित नहीं है. डॉ. हरी राम का आरोप है कि विज्ञापन में आरक्षण नियमों की अनदेखी की गई है.
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डीएम व एमसीएच की डिग्री लेने के बाद डॉक्टरों को निर्धारित अवधि तक सरकारी संस्थान में काम करना अनिवार्य है. ऐसा न करने पर सरकारी राशि बांड के तौर पर भरनी होती है. इन डॉक्टरों को दो साल सेवा देना अनिवार्य है. इसके लिए उनकी नियुक्ति असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर की जानी है.
सुपर स्पेशियालिटी की डिग्री लेने वाले डॉक्टर ने सेंट्रल काउंसलिंग कराने की मांग की थी. ऐसे में एसपीजीआई रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने शुक्रवार को चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना से भेंट की. चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने उनकी मांग का समर्थन किया.