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छात्रवृत्ति घोटाला: जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने छात्रवृति की धनराशि गबन करने के एक मामले में वांछित हरदोई के तत्कालीन जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी धर्मवीर सिंह को कोई भी राहत देने से इंकार कर दिया है.

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
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Published : Feb 1, 2022, 10:24 PM IST

लखनऊ: भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष जज लोकेश वरुण ने छात्रवृति की धनराशि गबन करने के एक मामले में वांछित हरदोई के तत्कालीन जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी धर्मवीर सिंह को कोई भी राहत देने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने उसकी अग्रिम जमानत अर्जी खारिज को खारिज करते हुए, प्रथम दृष्टया अपराध को गम्भीर करार दिया है.

अभियोजन के मुताबिक इस मामले की एफआईआर कोतवाली हरदोई में दर्ज हुई थी. इस मामले की विवेचना विजिलेंस ने की, जिसके मुताबिक वर्ष 2004 में अभियुक्त ने स्वयं के नाम से नगर विकास सहकारी बैंक, हरदोई में खाता खोला था. उसने खाते में छात्रवृति का 36 लाख 11 हजार 632 रुपये जमा कर लेनदेन किया और इसके बाद खाता बंद कर दिया. एफआईआर में कहा गया है कि अनियमिता को लेकर दो उप निदेशक एके सिसोदिया और लालचंद वर्मा से जांच कराई गई.

इसके बाद उप निदेशक ने 7 अगस्त 2006 को रिपोर्ट देकर बताया कि तत्कालीन जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी धर्मवीर सिंह ने 7 दिसम्बर 2004 को अपने नाम से बैंक में खाता खोला. इस खाते से 36 लाख 11 हजार 632 रुपये का लेनदेन किया और इस खाते में अवितरित छात्रवृत्ति के धन को जमा किया गया. बाद में आरोपी ने इस खाते को 21 जून 2005 को बंद कर दिया. विवेचना के पश्चात अभियुक्त के खिलाफ आरोप पत्र भी दाखिल कर दिया गया है.

लखनऊ: भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष जज लोकेश वरुण ने छात्रवृति की धनराशि गबन करने के एक मामले में वांछित हरदोई के तत्कालीन जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी धर्मवीर सिंह को कोई भी राहत देने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने उसकी अग्रिम जमानत अर्जी खारिज को खारिज करते हुए, प्रथम दृष्टया अपराध को गम्भीर करार दिया है.

अभियोजन के मुताबिक इस मामले की एफआईआर कोतवाली हरदोई में दर्ज हुई थी. इस मामले की विवेचना विजिलेंस ने की, जिसके मुताबिक वर्ष 2004 में अभियुक्त ने स्वयं के नाम से नगर विकास सहकारी बैंक, हरदोई में खाता खोला था. उसने खाते में छात्रवृति का 36 लाख 11 हजार 632 रुपये जमा कर लेनदेन किया और इसके बाद खाता बंद कर दिया. एफआईआर में कहा गया है कि अनियमिता को लेकर दो उप निदेशक एके सिसोदिया और लालचंद वर्मा से जांच कराई गई.

इसके बाद उप निदेशक ने 7 अगस्त 2006 को रिपोर्ट देकर बताया कि तत्कालीन जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी धर्मवीर सिंह ने 7 दिसम्बर 2004 को अपने नाम से बैंक में खाता खोला. इस खाते से 36 लाख 11 हजार 632 रुपये का लेनदेन किया और इस खाते में अवितरित छात्रवृत्ति के धन को जमा किया गया. बाद में आरोपी ने इस खाते को 21 जून 2005 को बंद कर दिया. विवेचना के पश्चात अभियुक्त के खिलाफ आरोप पत्र भी दाखिल कर दिया गया है.

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