लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधान परिषद की चार सीटें गत पांच जुलाई को रिक्त हो गयी हैं. जिसके बाद विधान परिषद में सपा के 47 सदस्य ही बचे हैं. उधर, विधान परिषद में चार सीटें रिक्त होने के बाद सत्ताधारी दल बीजेपी में अंदरखाने में नामों पर मंथन शुरू हो गया है. पार्टी इसके माध्यम से समाजिक और क्षेत्रीय संतुलन बनाने की कोशिश करेगी. इन सीटों पर विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले विशेषज्ञों को मनोनीत किया जाना है. जिससे समाज के विभिन्न वर्गों की आवाज सदन में पहुंच सके. भाजपा नेतृत्व जल्द ही उन नामों की घोषणा करेगा, जिन्हें विधान परिषद भेजना है.
उत्तर प्रदेश विधान परिषद के 100 सदस्यीय सदन में चार सदस्य घटने के साथ ही समाजवादी पार्टी के 47 सदस्य बचे हैं. जबकि भारतीय जनता पार्टी की सदन में सदस्य संख्या 32 है. भाजपा को विधान परिषद में बहुमत के लिए 18 और सदस्य चाहिए. इन चार सदस्यों के मनोनयन के साथ ही भाजपा थोड़ी मजबूत जरूर होगी, लेकिन बहुमत से अब भी दूर ही रहेगी. निकाय के कोटे वाली सीटों के माध्यम से भाजपा बहुमत हासिल करना चाहेगी. ऐसे में पार्टी के भीतर तमाम नामों पर चर्चा शुरू हो गई है.
जातीय और क्षेत्रीय संतुलन को साधने वाले होंगे नाम
भारतीय जनता पार्टी में विधान परिषद के नामों को लेकर गहन मंथन चल रहा है. पार्टी सभी क्षेत्रों का आकलन कर रही है. परिषद में उन चेहरों को भेजने की कवायद चल रही है, जिनका कोई अपना जनाधार है या वो समाज में महत्वपूर्ण स्थान रखता हो या उन्होंने किसी क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल कर रखी हो. इन सारी चीजों को ध्यान में रखते हुए ही नामों का चयन किया जाएगा. ताकि आगामी विधानसभा चुनाव में उन चेहरों को आगे करने का लाभ भी पार्टी को मिल सके. हालांकि अभी पार्टी के स्तर पर विधान परिषद भेजे जाने वाले चेहरे पर कोई भी बात करने को राजी नहीं है. राजनीतिक विश्लेषक पीएन द्विवेदी कहते हैं कि सरकार के पास पर्याप्त समय है. पार्टी के भीतर बात चल रही है, भाजपा मंथन करके ही विधान परिषद के लिए सदस्यों का चयन करेगी. लेकिन, एक बात तो तय है कि पार्टी उन्हीं चेहरों पर दांव लगाएगी, जिनसे आगामी विधानसभा चुनाव में राजनीतिक लाभ मिल सके.
इसे भी पढ़ें : ओवैसी को रवि किशन का चैलेंज, बोले- पहले महाराज जी को छूकर दिखाओ, पैदल हैदराबाद जाओगे