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यूपी विधानसभा में उठी किसान आंदोलन की आवाज

केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन की गूंज शुक्रवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा में भी गूंजी. सपा, कांग्रेस और बसपा ने किसानों के मुद्दे पर सदन में चर्चा कराने की मांग की.

कृषि कानूनों के खिलाफ विपक्ष का हमला
कृषि कानूनों के खिलाफ विपक्ष का हमला
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Published : Feb 19, 2021, 10:42 PM IST

लखनऊ: केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन की गूंज शुक्रवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा में भी सुनाई पड़ी. सपा, कांग्रेस और बसपा ने किसानों के मुद्दे पर सदन में चर्चा कराने की मांग की. हंगामे के चलते करीब सवा घंटे तक सदन स्थगित रहा. दोबारा सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो निधन की सूचनाओं पर शोक प्रस्ताव रखे जाने के बाद नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने नियम 311 के तहत किसानों के मुद्दे को उठाया. किसान आंदोलन के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की. लेकिन सरकार ने इस मुद्दे पर चर्चा कराने से इनकार किया. विपक्ष द्वारा किसान आंदोलन को लेकर सरकार पर उठाये गए सवालों का जवाब खुद मुख्यमंत्री ने दिया.

यह भी पढ़ें: सदन में पूर्व प्रेसिडेंट प्रणब मुखर्जी और पूर्व गवर्नर मोतीलाल बोरा को किया गया नमन

'किसानों पर हो रही राजनीति'

मुख्यमंत्री ने सदन को सम्बोधित करते हुए कहा कि विपक्ष को किसानों से कोई लेना देना नहीं है. विपक्ष केवल किसान के नाम पर राजनीति करता है. यह दुर्भाग्य रहा है कि आजादी से लेकर 2014 तक यह लोग किसानों पर केवल राजनीति करते रहे हैं. मुझे नहीं मालूम कि सदन में किसी विषय को लेकर नोटिस देने से पहले अध्ययन करते हैं. यह अध्ययन नहीं करते हैं. 2018 में गन्ना मूल्य में वृद्धि की गई थी. कोरोना काल में जब देश भर की आधी से ज्यादा चीनी मिलें बंद हुई थीं, तब उत्तर प्रदेश की सभी 119 चीनी मिलें संचालित की जा रही थीं.

यह भी पढ़ें: बजट में खेती पर विशेष ध्यान देगी सरकार- आर्थिक विशेषज्ञ प्रोफेसर एपी तिवारी

'भू-माफिया पर हुआ एक्शन'

मुख्यमंत्री ने कहा कि अन्नदाता किसान के खाते में जब रुपया सीधे भेजा जाने लगा तो दलाली करने वाले लोगों को दिक्कत हो रही है. हमारी सरकार ने एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स का गठन किया गया है. करीब 67 हजार हेक्टेयर भूमि खाली कराई गई है. यह भूमि उन लोगों से खाली कराई गई है, जो कभी सत्ता में रहते हुए कब्जा किए थे, या उनके संरक्षण में कब्जे हुए थे.

नेता प्रतिपक्ष ने चर्चा की मांग उठाई

इससे पहले नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने नियम 311 के तहत अपना पक्ष रखते हुए कहा कि दिल्ली हमारी है, लेकिन हम अपनी बात कहने के लिए दिल्ली नहीं जा सकते. कांटेदार तारों से दिल्ली को घेर के रखा गया है. इतनी सख्ती पाकिस्तान बॉर्डर पर भी नहीं है. किसान अन्नदाता है. किसान आंदोलन बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए इस मुद्दे पर सदन में चर्चा कराई जाए.

बसपा नेता ने कहा किसानों के साथ हो रहा अन्याय

बसपा नेता विधानमंडल दल लालजी वर्मा ने कहा कि जबसे एमएसपी की व्यवस्था की गई तब से किसानों ने उत्पादन बढ़ाने का काम किया है. सरकार इसे अपनी उपलब्धि में दिखाती है. सरकार कहती है कि उसके कार्यकाल में खाद्यान्न उत्पादन बढ़ा है. सरकार उपलब्धि गिनाती है, लेकिन किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है. किसान आंदोलन कर रहे हैं. उस आंदोलन में महिलाएं, बच्चे शामिल हैं. सत्ता पक्ष के इशारे पर उन पर हमले किये जा रहे हैं. उनपर पत्थर फेंका जा रहा है. जिस तरह से पुलिस के संरक्षण में उनके ऊपर पथराव किया गया, लाठीचार्ज किया गया और पुलिस देखती रही. इससे ज्यादा किसान के साथ अन्याय नहीं हो सकता है.

'बिचौलिए खा जाएंगे पैसा'

लालजी वर्मा ने कहा कि बिजली के दाम भी बढ़े हैं. दूसरी बात पिछले चार साल से गन्ना किसानों का समर्थन मूल्य वहीं पर रुका हुआ है. सरकार ने उसे नहीं बढ़ाया है. जिस दिन समर्थन मूल्य खत्म कर दिया जाएगा. किसान को उचित मूल्य नहीं मिल पाएगा, बिचौलिए खा जाएंगे. इसलिए सदन के सारे नियमों को शिथिल करते हुए किसान के मुद्दे पर चर्चा कराई जाए.

लखनऊ: केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन की गूंज शुक्रवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा में भी सुनाई पड़ी. सपा, कांग्रेस और बसपा ने किसानों के मुद्दे पर सदन में चर्चा कराने की मांग की. हंगामे के चलते करीब सवा घंटे तक सदन स्थगित रहा. दोबारा सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो निधन की सूचनाओं पर शोक प्रस्ताव रखे जाने के बाद नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने नियम 311 के तहत किसानों के मुद्दे को उठाया. किसान आंदोलन के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की. लेकिन सरकार ने इस मुद्दे पर चर्चा कराने से इनकार किया. विपक्ष द्वारा किसान आंदोलन को लेकर सरकार पर उठाये गए सवालों का जवाब खुद मुख्यमंत्री ने दिया.

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'किसानों पर हो रही राजनीति'

मुख्यमंत्री ने सदन को सम्बोधित करते हुए कहा कि विपक्ष को किसानों से कोई लेना देना नहीं है. विपक्ष केवल किसान के नाम पर राजनीति करता है. यह दुर्भाग्य रहा है कि आजादी से लेकर 2014 तक यह लोग किसानों पर केवल राजनीति करते रहे हैं. मुझे नहीं मालूम कि सदन में किसी विषय को लेकर नोटिस देने से पहले अध्ययन करते हैं. यह अध्ययन नहीं करते हैं. 2018 में गन्ना मूल्य में वृद्धि की गई थी. कोरोना काल में जब देश भर की आधी से ज्यादा चीनी मिलें बंद हुई थीं, तब उत्तर प्रदेश की सभी 119 चीनी मिलें संचालित की जा रही थीं.

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'भू-माफिया पर हुआ एक्शन'

मुख्यमंत्री ने कहा कि अन्नदाता किसान के खाते में जब रुपया सीधे भेजा जाने लगा तो दलाली करने वाले लोगों को दिक्कत हो रही है. हमारी सरकार ने एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स का गठन किया गया है. करीब 67 हजार हेक्टेयर भूमि खाली कराई गई है. यह भूमि उन लोगों से खाली कराई गई है, जो कभी सत्ता में रहते हुए कब्जा किए थे, या उनके संरक्षण में कब्जे हुए थे.

नेता प्रतिपक्ष ने चर्चा की मांग उठाई

इससे पहले नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने नियम 311 के तहत अपना पक्ष रखते हुए कहा कि दिल्ली हमारी है, लेकिन हम अपनी बात कहने के लिए दिल्ली नहीं जा सकते. कांटेदार तारों से दिल्ली को घेर के रखा गया है. इतनी सख्ती पाकिस्तान बॉर्डर पर भी नहीं है. किसान अन्नदाता है. किसान आंदोलन बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए इस मुद्दे पर सदन में चर्चा कराई जाए.

बसपा नेता ने कहा किसानों के साथ हो रहा अन्याय

बसपा नेता विधानमंडल दल लालजी वर्मा ने कहा कि जबसे एमएसपी की व्यवस्था की गई तब से किसानों ने उत्पादन बढ़ाने का काम किया है. सरकार इसे अपनी उपलब्धि में दिखाती है. सरकार कहती है कि उसके कार्यकाल में खाद्यान्न उत्पादन बढ़ा है. सरकार उपलब्धि गिनाती है, लेकिन किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है. किसान आंदोलन कर रहे हैं. उस आंदोलन में महिलाएं, बच्चे शामिल हैं. सत्ता पक्ष के इशारे पर उन पर हमले किये जा रहे हैं. उनपर पत्थर फेंका जा रहा है. जिस तरह से पुलिस के संरक्षण में उनके ऊपर पथराव किया गया, लाठीचार्ज किया गया और पुलिस देखती रही. इससे ज्यादा किसान के साथ अन्याय नहीं हो सकता है.

'बिचौलिए खा जाएंगे पैसा'

लालजी वर्मा ने कहा कि बिजली के दाम भी बढ़े हैं. दूसरी बात पिछले चार साल से गन्ना किसानों का समर्थन मूल्य वहीं पर रुका हुआ है. सरकार ने उसे नहीं बढ़ाया है. जिस दिन समर्थन मूल्य खत्म कर दिया जाएगा. किसान को उचित मूल्य नहीं मिल पाएगा, बिचौलिए खा जाएंगे. इसलिए सदन के सारे नियमों को शिथिल करते हुए किसान के मुद्दे पर चर्चा कराई जाए.

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