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भारत सीरीज दे रही परिवहन विभाग को टेंशन, सरकार को हो रहा इतने टैक्स का नुकसान - disadvantage of bharat series

केंद्र सरकार की एक देश एक सीरीज मंशा के तहत शुरू की भारत सीरीज योजना परिवहन विभाग के लिए मुफीद साबित नहीं हो रही है. परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार भारत सीरीज लेने वाले स्वामियों का डाटा अन्य राज्यों को आसानी से उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. इसके अलावा भारत सीरीज का नंबर देने पर स्टेट को राजस्व का तगड़ा नुकसान हो रहा है.

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Published : Jan 6, 2023, 12:36 PM IST

Updated : Jan 6, 2023, 3:48 PM IST

देखें पूरी खबर.

लखनऊ : केंद्र सरकार ने वर्ष 2021 में एक देश एक सीरीज (one nation one series) के तहत भारत सीरीज (Bharat Series ) लांच की थी. इसका उद्देश्य था कि वाहन स्वामियों को देश भर में कहीं भी भारत सीरीज (Bharat Series ) वाले नंबर की अपनी गाड़ी ले जाने पर दिक्कत न हो. उन्हें दूसरे राज्य में नौकरी के लिए जाने पर वाहन के रजिस्ट्रेशन के लिए आरटीओ कार्यालय के चक्कर न लगाना पड़े. बहरहाल अब यही भारत सीरीज हर राज्य के परिवहन विभाग के लिए सिरदर्द बन गई है. भारत सीरीज का नंबर लेने पर प्रदेश सरकार को टैक्स का बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है.

29 नवंबर 2021 को उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग के लखनऊ आरटीओ कार्यालय में भारत सीरीज की पहली गाड़ी दर्ज हुई थी. इफ्को कंपनी में नौकरी करने वाले यतेंद्र कुमार के नाम से भारत सीरीज का नंबर दर्ज हुआ था. इस सीरीज को लांच हुए एक साल से ज्यादा का समय हो चुका है. लखनऊ की बात करें तो सिर्फ 1200 वाहन ही भारत सीरीज में दर्ज हो पाए हैं. इसके पीछे वजह है कि भारत सीरीज के लिए जरूरी शर्तें लोग पूरी नहीं कर पा रहे हैं. दूसरी बड़ी बात है कि शर्तें पूरी होने के बावजूद परिवहन विभाग भी नहीं चाहता कि लोग भारत सीरीज के नंबर लें. वजह है कि इस सीरीज से परिवहन विभाग को टैक्स का बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है. अपने वाहन के लिए भारत सीरीज का नंबर लेने पर सिर्फ दो साल का ही टैक्स परिवहन विभाग के खाते में जमा होता है. वहीं भारत सीरीज से इतर नए वाहन का नंबर लेने पर भारी भरकम वन टाइम टैक्स राज्य सरकार के खाते में जाता है. इससे सरकार को राजस्व का बड़ा नुकसान झेलना पड़ता है.

परिवहन विभाग (transport Department) के अधिकारी बताते हैं कि अगर कोई वाहन स्वामी भारत सीरीज में वाहन को आरटीओ कार्यालय में दर्ज कराता है तो दो साल का ही टैक्स मिलता है. इसके बाद जिस राज्य में पोस्टिंग होगी अगले दो साल के लिए वहां के आरटीओ कार्यालय में टैक्स जमा करना होगा. अगर दो साल बाद वाहन स्वामी उस राज्य में टैक्स जमा नहीं करेगा तो उसका टैक्स यहां पर पेंडिंग शो होगा. इसके बाद टैक्स वसूली के लिए वाहन स्वामी को ढूंढना पड़ेगा. अब यह भी पता नहीं होता है कि भारत सीरीज लेने वाले वाहन स्वामी की दो साल बाद किस राज्य में पोस्टिंग है. अपनी तरफ से टैक्स जमा करने की वाहन स्वामी जहमत नहीं उठाता. इस तरह की दिक्कत भारत सीरीज के नंबरों में विभाग को हो रही है.

वाहन स्वामी को राहत, विभाग की आफत : भारत सीरीज (bharat series vehicle number) का नंबर लेने का फायदा ये है कि वाहन स्वामी को एक साथ निजी वाहन का 15 साल का टैक्स चुकाना नहीं होता है. दो-दो साल का ही टैक्स देना होता है. इससे वाहन स्वामी को तो काफी राहत मिलती है, लेकिन विभाग को राजस्व की बड़ी चपत लगती है. उदाहरण के तौर पर अगर किसी गाड़ी की कीमत 10 लाख रुपये है तो वन टाइम टैक्स के रूप में परिवहन विभाग को एक लाख रुपये मिलते हैं. वहीं कोई इसी वाहन के लिए भारत सीरीज का नंबर लेता है तो विभाग को सिर्फ आठ हजार रुपये ही मिलते हैं. तो इससे सीधे तौर पर विभाग को 90 हजार रुपये से अधिक का नुकसान उठाना पड़ता है.

भारत सीरीज के लिए नियम : केंद्रीय कर्मचारी या फिर ऐसी मल्टीनेशनल कंपनी जिसका देश के चार राज्यों में दफ्तर हो, उन्हीं को भारत सीरीज का नंबर मिलता है. कर्मचारी को अपने संस्थान से लिखवा कर लाना होता है कि 4 से ज्यादा राज्यों में उसका दफ्तर है. एआरटीओ प्रशासन (ARTO Administration Lucknow) अखिलेश द्विवेदी का कहना है कि इस वित्तीय वर्ष में लखनऊ में लगभग 12 सौ नंबर इस सीरीज के दर्ज हुए हैं. इसमें दिक्कत ये आ रही है कि दो साल बाद टैक्स जमा करना होगा. हम दो दो साल का टैक्स लेते हैं. ऐसी स्थिति में एरियर जनरेट होगा. यहां सरकारों का उद्देश्य है कि वन टाइम टैक्स लेकर जमा करें, जिससे गाड़ी पर हमारा एरियर न आए, लेकिन इसमें दो दो साल बाद एरियर जनरेट होगा. यह समस्या है. हमारा रेवेन्यू टारगेट जो निर्धारित किया गया है वह पुरानी पद्धति पर है. ऐसी स्थिति में कोई वाहन उदाहरण के तौर पर 10 लाख रुपये का है और उसको हमने भारत सीरीज का नंबर दे दिया उस पर एक लाख का राज्य को टैक्स मिलना था, वह मात्र 10 हजार ही मिल रहा है, यानी 90 हजार का नुकसान हो रहा है.

इसके अलावा किसी मल्टीनेशनल कंपनी का 4 राज्य में दफ्तर भी नहीं है, लेकिन वह अनैतिक दबाव बनाते हैं कि मैं इस सीरीज के लिए अधिकृत हूं. इस तरह की दिक्कतें आ रही हैं, लेकिन डीलर को ट्रेंड किया है उन्हें कहा गया कि सही व्यक्ति को यह भारत सीरीज मिले. मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवेज़ (Ministry of Road Transport and Highways) ने एक नोटिफिकेशन (MORTH notification) जारी किया है कि केंद्रीय कर्मचारी या ऐसे लोग जो भारत सीरीज के लिए एलिजिबल हैं. यदि वे चाहें तो पुराने वाहन को भी इस सीरीज में दर्ज करा सकते हैं. अब इसमें सबसे बड़ा चैलेंज ये हो सकता है कि जिसका वन टाइम टैक्स जमा है वह रिफंड के लिए क्लेम करेगा. वह यह जरूर कहेगा कि हमने जो नंबर गाड़ी पर लिया था उसे सिर्फ दो ही साल इंजॉय किया है. ऐसे में टैक्स की वापसी की जाए. हालांकि अभी हमारे विभाग की तरफ से ऐसा कोई निर्देश नहीं आया है कि पुराने वाहनों को रजिस्टर्ड किया जाए. अभी हम नए वाहनों को ही भारत सीरीज आवंटित कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें : शाइन सिटी के सीएमडी राशिद के खिलाफ CBI का रेड कॉर्नर नोटिस, ईडी ने जब्त की इतनी संपत्ति

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लखनऊ : केंद्र सरकार ने वर्ष 2021 में एक देश एक सीरीज (one nation one series) के तहत भारत सीरीज (Bharat Series ) लांच की थी. इसका उद्देश्य था कि वाहन स्वामियों को देश भर में कहीं भी भारत सीरीज (Bharat Series ) वाले नंबर की अपनी गाड़ी ले जाने पर दिक्कत न हो. उन्हें दूसरे राज्य में नौकरी के लिए जाने पर वाहन के रजिस्ट्रेशन के लिए आरटीओ कार्यालय के चक्कर न लगाना पड़े. बहरहाल अब यही भारत सीरीज हर राज्य के परिवहन विभाग के लिए सिरदर्द बन गई है. भारत सीरीज का नंबर लेने पर प्रदेश सरकार को टैक्स का बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है.

29 नवंबर 2021 को उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग के लखनऊ आरटीओ कार्यालय में भारत सीरीज की पहली गाड़ी दर्ज हुई थी. इफ्को कंपनी में नौकरी करने वाले यतेंद्र कुमार के नाम से भारत सीरीज का नंबर दर्ज हुआ था. इस सीरीज को लांच हुए एक साल से ज्यादा का समय हो चुका है. लखनऊ की बात करें तो सिर्फ 1200 वाहन ही भारत सीरीज में दर्ज हो पाए हैं. इसके पीछे वजह है कि भारत सीरीज के लिए जरूरी शर्तें लोग पूरी नहीं कर पा रहे हैं. दूसरी बड़ी बात है कि शर्तें पूरी होने के बावजूद परिवहन विभाग भी नहीं चाहता कि लोग भारत सीरीज के नंबर लें. वजह है कि इस सीरीज से परिवहन विभाग को टैक्स का बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है. अपने वाहन के लिए भारत सीरीज का नंबर लेने पर सिर्फ दो साल का ही टैक्स परिवहन विभाग के खाते में जमा होता है. वहीं भारत सीरीज से इतर नए वाहन का नंबर लेने पर भारी भरकम वन टाइम टैक्स राज्य सरकार के खाते में जाता है. इससे सरकार को राजस्व का बड़ा नुकसान झेलना पड़ता है.

परिवहन विभाग (transport Department) के अधिकारी बताते हैं कि अगर कोई वाहन स्वामी भारत सीरीज में वाहन को आरटीओ कार्यालय में दर्ज कराता है तो दो साल का ही टैक्स मिलता है. इसके बाद जिस राज्य में पोस्टिंग होगी अगले दो साल के लिए वहां के आरटीओ कार्यालय में टैक्स जमा करना होगा. अगर दो साल बाद वाहन स्वामी उस राज्य में टैक्स जमा नहीं करेगा तो उसका टैक्स यहां पर पेंडिंग शो होगा. इसके बाद टैक्स वसूली के लिए वाहन स्वामी को ढूंढना पड़ेगा. अब यह भी पता नहीं होता है कि भारत सीरीज लेने वाले वाहन स्वामी की दो साल बाद किस राज्य में पोस्टिंग है. अपनी तरफ से टैक्स जमा करने की वाहन स्वामी जहमत नहीं उठाता. इस तरह की दिक्कत भारत सीरीज के नंबरों में विभाग को हो रही है.

वाहन स्वामी को राहत, विभाग की आफत : भारत सीरीज (bharat series vehicle number) का नंबर लेने का फायदा ये है कि वाहन स्वामी को एक साथ निजी वाहन का 15 साल का टैक्स चुकाना नहीं होता है. दो-दो साल का ही टैक्स देना होता है. इससे वाहन स्वामी को तो काफी राहत मिलती है, लेकिन विभाग को राजस्व की बड़ी चपत लगती है. उदाहरण के तौर पर अगर किसी गाड़ी की कीमत 10 लाख रुपये है तो वन टाइम टैक्स के रूप में परिवहन विभाग को एक लाख रुपये मिलते हैं. वहीं कोई इसी वाहन के लिए भारत सीरीज का नंबर लेता है तो विभाग को सिर्फ आठ हजार रुपये ही मिलते हैं. तो इससे सीधे तौर पर विभाग को 90 हजार रुपये से अधिक का नुकसान उठाना पड़ता है.

भारत सीरीज के लिए नियम : केंद्रीय कर्मचारी या फिर ऐसी मल्टीनेशनल कंपनी जिसका देश के चार राज्यों में दफ्तर हो, उन्हीं को भारत सीरीज का नंबर मिलता है. कर्मचारी को अपने संस्थान से लिखवा कर लाना होता है कि 4 से ज्यादा राज्यों में उसका दफ्तर है. एआरटीओ प्रशासन (ARTO Administration Lucknow) अखिलेश द्विवेदी का कहना है कि इस वित्तीय वर्ष में लखनऊ में लगभग 12 सौ नंबर इस सीरीज के दर्ज हुए हैं. इसमें दिक्कत ये आ रही है कि दो साल बाद टैक्स जमा करना होगा. हम दो दो साल का टैक्स लेते हैं. ऐसी स्थिति में एरियर जनरेट होगा. यहां सरकारों का उद्देश्य है कि वन टाइम टैक्स लेकर जमा करें, जिससे गाड़ी पर हमारा एरियर न आए, लेकिन इसमें दो दो साल बाद एरियर जनरेट होगा. यह समस्या है. हमारा रेवेन्यू टारगेट जो निर्धारित किया गया है वह पुरानी पद्धति पर है. ऐसी स्थिति में कोई वाहन उदाहरण के तौर पर 10 लाख रुपये का है और उसको हमने भारत सीरीज का नंबर दे दिया उस पर एक लाख का राज्य को टैक्स मिलना था, वह मात्र 10 हजार ही मिल रहा है, यानी 90 हजार का नुकसान हो रहा है.

इसके अलावा किसी मल्टीनेशनल कंपनी का 4 राज्य में दफ्तर भी नहीं है, लेकिन वह अनैतिक दबाव बनाते हैं कि मैं इस सीरीज के लिए अधिकृत हूं. इस तरह की दिक्कतें आ रही हैं, लेकिन डीलर को ट्रेंड किया है उन्हें कहा गया कि सही व्यक्ति को यह भारत सीरीज मिले. मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवेज़ (Ministry of Road Transport and Highways) ने एक नोटिफिकेशन (MORTH notification) जारी किया है कि केंद्रीय कर्मचारी या ऐसे लोग जो भारत सीरीज के लिए एलिजिबल हैं. यदि वे चाहें तो पुराने वाहन को भी इस सीरीज में दर्ज करा सकते हैं. अब इसमें सबसे बड़ा चैलेंज ये हो सकता है कि जिसका वन टाइम टैक्स जमा है वह रिफंड के लिए क्लेम करेगा. वह यह जरूर कहेगा कि हमने जो नंबर गाड़ी पर लिया था उसे सिर्फ दो ही साल इंजॉय किया है. ऐसे में टैक्स की वापसी की जाए. हालांकि अभी हमारे विभाग की तरफ से ऐसा कोई निर्देश नहीं आया है कि पुराने वाहनों को रजिस्टर्ड किया जाए. अभी हम नए वाहनों को ही भारत सीरीज आवंटित कर रहे हैं.

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Last Updated : Jan 6, 2023, 3:48 PM IST
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