लखनऊः नोडल अधिकारी कोविड-19 डॉ. रोशन जैकब ने राजधानी के तीन और अस्पतालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने के आदेश दिए हैं. एक अन्य अस्पताल को चेतावनी दी गई है. जिन अस्पतालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने को कहा गया है, उनमें गोमती नगर का मेट्रो सिटी हॉस्पिटल, रायबरेली रोड पर स्थित श्री साईं लाइफ हॉस्पिटल तथा आशी हॉस्पिटल शामिल हैं. जबकि चरक अस्पताल को कड़ी चेतावनी दी गई है. गौरतलब है कि पहले भी कई अस्पतालों पर मुकदमा दर्ज किया जा चुका है.
मरीज से ही खरीदवाया एक्जामिनेशन ग्लब्स, पीपीई किट्स व अन्य सामान
डॉक्टर जैकब के मुताबिक गोमती नगर स्थित लखनऊ मेट्रो सिटी हॉस्पिटल के खिलाफ ज्यादा पैसा लेने की शिकायत की जांच सेक्टर प्रभारी अफसर और एसडीएम सदर से कराई गई थी. जांच में पाया गया कि अस्पताल द्वारा इलाज का बिल शिकायतकर्ता को उपलब्ध नहीं कराया गया, कच्ची पर्चियों में मरीज से ऑनलाइन व नकद भुगतान कराया गया है और साथ ही एक्जामिनेशन ग्लब्स, पीपीई किट्स कन्ज्यूमेबिल्स आदि की खरीद मरीज से ही कराई गई है. इसके अलावा कोई एचडी राजस्व परिषद अपूर्व यादव तथा चिकित्सा अधिकारी डॉ. शैलेश परिहार के निरीक्षण में हॉस्पिटल द्वारा वार्ड चार्ज, फिजीशियन चार्जेज ऑक्सीजन हैंडलिंग चार्ज, नर्सिंग चार्जेज, आईसीयू चार्जेज इत्यादि विभिन्न मदों में मरीजों से धनराशि वसूल किए जाने की पुष्टि हुई.
50 हजार प्रतिदिन वसूल रहा था श्री साईं लाइफ हॉस्पिटल
नोडल अधिकारी ने बताया कि रायबरेली रोड स्थित श्री साईं लाइफ हॉस्पिटल की कराई गई जांच में पाया गया कि अस्पताल में सिर्फ एक बीएएमएस डॉक्टर व एक नर्स मौजूद मिली. इस अस्पताल में 20 मई तक तक कुल 58 कोविड रोगी भर्ती रहे. इसमें 13 की मृत्यु हो गई है. हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों से टेलीफोनिक संपर्क करने पर उनके द्वारा बताया गया कि प्रतिदिन 50,000/- उनसे जमा कराये जाते थे, जिसका कोई बिल उनको उपलब्ध नहीं कराया गया है.
6 लाख 60 हजार लेकर भी मरीज को बचा नहीं सका आशी हॉस्पिटल
डॉ. रोशन जैकब ने बताया कि आशी हॉस्पिटल नान कोविड-19 हॉस्पिटल है. यहां मरीज का बिना कोविड-19 जांच कराए इलाज किया गया और शिकायतकर्ता से ₹6 लाख 60 हजार वसूल लिए गए. जबकि मरीज को केवल ₹393904 की रसीद दी गई. अस्पताल में हर रोज 15272 रुपए की जांच कराई.
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चरक हॉस्पिटल में शिकायतकर्ता के पैसे लौटाए
डॉ. रोशन जैकब के मुताबिक चरक हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेंटर लखनऊ के विरुद्ध प्राप्त शिकायत की जांच में अधिक वसूली की पुष्टि हुई लेकिन चरक हॉस्पिटल ने शिकायतकर्ता के पैसे वापस लौटा कर उससे सुलह समझौता कर लिया है तथा प्रशासन को शपथ पत्र देकर भविष्य में कोविड-19 मरीजों से शासनादेश के ही मुताबिक ही पैसे लेने की बात कही गई.
पथ काइंड लैब का निरस्त होगा आरटी पीसीआर जांच लाइसेंस
नोडल अधिकारी डॉ. रोशन जैकब ने स्वास्थ्य महानिदेशक को पथ काइंड लैब का आरटी पीसीआर जांच लाइसेंस निरस्त करने के निर्देश दिए हैं. पथ काइंड लैब द्वारा कोविड-19 की जांच रिपोर्ट देने में अनावश्यक विलंब किया जा रहा था. संबंधित लैब सैंपल कलेक्शन कर गुरुग्राम टेस्टिंग के लिए भेजती थी.
15 दिन से 1 माह में मिल रही थी जांच रिपोर्ट
डॉ. रोशन जैकब द्वारा स्वास्थ्य महानिदेशक को दिए गए आदेश में कहा गया है कि जांच रिपोर्ट विलंब से मिलने की शिकायत पर उन्होंने शनिवार को लैब का निरीक्षण किया. निरीक्षण के दौरान यह पाया कि पथ काइंड लैब द्वारा विभिन्न जनपदों से आर पीसीआर सैंपल संग्रह कर गुरुग्राम टेस्टिंग हेतु भेजे जाते हैं तथा वहां से रिजल्ट प्राप्त होने पर इनकी जोन वार लैब द्वारा पोर्टल पर उसका अपडेशन किया जाता है. पोर्टल का अवलोकन करने पर यह पाया गया कि कई प्रकरणों में रिजल्ट (परिणाम) 15 दिन से एक माह के विलंब से अपलोड किया गया है.
विलंब से दी गई 15 जांच रिपोर्ट का किया जिक्र
नोडल अधिकारी ने आदेश में 15 आरटी-पीसीआर जांच रिपोर्ट का जिक्र किया है. जिसमें दो जांच ऐसी हैं जो महीने भर बाद भी अपडेट नहीं हो सकी थी. लैप के सीनियर स्टाफ ने उन्हें बताया कि स्वास्थ्य महानिदेशालय ने जिलों में जांच के लिए उन्हें केवल एक आईडी और पासवर्ड जारी किया है, जबकि सैंपल कलेक्शन होने पर पोर्टल पर पथ काइंड लैब लखनऊ ही प्रदर्शित होता है.
कोविड-19 का हो रहा है उल्लंघन
नोडल अधिकारी ने बताया कि पथ काइंड को दिया गया लाइसेंस भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी कोविड-19 नियम का उल्लंघन है. पथ काइंड लैब द्वारा किए जा रहे इस कृत्य से विभिन्न जनपदों के मरीजों के इलाज एवं कान्टेक्ट ट्रेसिंग में अधिक समय लगने की आशंका है.