लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में फर्जी दस्तावेजों के सहारे नौकरी पाने वाले लोगों को बर्खास्त करना चाहती है, लेकिन अब उनके ही अधिकारी इसमें अड़ंगा डालने में लगे हुए हैं. वह इन फर्जी शिक्षकों को बर्खास्त करने में बिल्कुल भी रुचि नहीं दिखा रहे हैं. प्रदेश के करीब 30 जिलों के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों के स्तर पर इसको लेकर लापरवाही दिखाई गई है. महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने बीएसए के इस रवैये पर नाराजगी भी जताई. इन सभी से अगले एक सप्ताह में इन फर्जी शिक्षकों पर बर्खास्तगी और एफआईआर कराने जैसी कार्रवाई के संबंध में सूचनाएं देने को कहा है. सूचना देने पर इनका वेतन रोक दिया जाएगा.
यह है पूरा मामला
उत्तर प्रदेश में बीते दिनों बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में शिक्षक भर्ती में फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ था. फर्जी दस्तावेजों के सहारे नौकरी पाने वाले इन फर्जी शिक्षकों को पकड़ने के लिए शासन के स्तर पर एसटीएफ से जांच कराई गई. 2019 सितम्बर में एसटीएफ ने सिद्धार्थनगर के बीएसए के स्टेनों को गोरखपुर में पकड़ा था और उसके पास से 400 फर्जी शिक्षकों की सूची मिली थी, जिनसे वह धन उगाही करता था. जांच के बाद संबंधित जिलों के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर इनका वेतन रोकते हुए उनकी बर्खास्तगी की कार्रवाई करने और एफआईआर कराने को कहा गया. महानिदेशक कार्यालय से भेजे गए पत्र पर भरोसा करें तो 19 फरवरी, 15 मार्च, एक अप्रैल और 9 अप्रैल को बराबर पत्र भेजकर सूचना भेजने के निर्देश दिए गए. इसके लिए कई बार महानिदेशक कार्यालय से फोन भी किया गया, लेकिन अभी तक सूचना नहीं भेजी गई. विभाग ने एसटीएफ द्वारा चिह्नित 181 शिक्षकों की सूची इन जिलों में भेजी थी और साथ ही इन्हें बर्खास्त करने के आदेश भी भेजे गए थे.
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इन जिलों से मांगी गई है सूचना
गोरखपुर, सोनभद्र, बरेली, महाराजगंज, बलिया, सीतापुर, संत रविदास नगर, बस्ती, वाराणसी, मऊ, गाजीपुर, संत कबीरनगर, अयोध्या, लखीमपुर खीरी, प्रतापगढ़, हरदोई, उन्नाव, गोण्डा, श्रावस्ती, सुलतानपुर, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, देवरिया, चंदौली, बलरामपुर, आजमगढ़, कुशीनगर, उन्नाव और बाराबंकी से सूचना मांगी गई है.