लखनऊ: यूपीपीसीएल के कर्मचारियों के जीपीएफ और पीएफ के धन को डीएचएफएल में निवेश कर करोड़ों का घोटाला करने के आरोप मामले में डीएचएफएल के निदेशक धीरज वधावन व सीएमडी कपिल वधावन की जमानत याचिकाएं शुक्रवार को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने स्वीकार कर लीं. दोनों अभियुक्त इस मामले में 26 मई 2020 से जेल में हैं.
यह आदेश न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की एकल पीठ ने धीरज वधावन व कपिल वधावन की ओर से दाखिल अलग-अलग जमानत याचिकाओं पर पारित किया गया. याचियों की ओर से मुख्य रूप से दलील दी गई थी कि मामले के अन्य अभियुक्तों को जमानत मिल चुकी है. कहा गया कि मामले की विवेचना पूरी कर सीबीआई चार्ज शीट दाखिल कर चुकी है लिहाजा अभियुक्त किसी भी तरह से विवेचना को प्रभावित नहीं कर सकते हैं. यह भी दलील दी गई कि मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से 57 गवाह पेश किए जाने और अब तक ट्रायल शुरू भी नहीं हुआ है. जमानत याचिकाओं की सीबीआई की ओर से विरोध किया गया. हालांकि न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने व ट्रायल में लम्बा समय लगने के आधार पर जमानत याचिकाएं मंजूर कर लीं.
उल्लेखनीय है कि 2 नवंबर, 2019 को यूपीपीसीएल के इस पीएफ घोटाला मामले की एफआईआर पीएफ ट्रस्ट के सचिव आईएम कौशल ने थाना हजरतगंज में दर्ज कराई थी. 3 नवम्बर, 2019 को अभियुक्त सुधांशु द्विवेदी व तत्कालीन सचिव ट्रस्ट प्रवीण कुमार गुप्ता को गिरफ्तार किया गया.
इसके बाद छह नवंबर को पूर्व एमडी एपी मिश्रा को भी आईपीसी की धारा 409, 420, 467, 468 व 471 में गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया. बाद में ईओडब्ल्यू की एक अर्जी पर अदालत ने अभियुक्तों पर आईपीसी की धारा 120 (बी) व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (2) की भी बढ़ोत्तरी की थी. विवेचना के दौरान ईओडब्ल्यू ने कुल 17 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया था. इनके खिलाफ पूरक आरोप पत्र भी दाखिल किया गया. 5 मार्च, 2020 को इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई.
ये भी पढ़ेंः अतीक का पाकिस्तान कनेक्शन, अशरफ करता था आतंकी ट्रेनिंग के लिए युवाओं का माइंडवॉश !