लखनऊ: पिछली भाजपा सरकार में लोक निर्माण जैसा महत्वपूर्ण विभाग देख रहे उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को इस बार ग्राम्य विकास विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है. यह विभाग भी बेहद महत्वपूर्ण है और राज्य के साथ-साथ केंद्र की योजनाओं को भी जमीनी स्तर पर लागू कराने की जिम्मेदारी भी इसी विभाग की होती है. ईटीवी भारत ने केशव प्रसाद मौर्य से उनके विभाग से जुड़े विषयों पर उनकी तैयारियों पर खास बातचीत की.
सवाल: आपको इस बार ग्राम्य विकास विभाग की जिम्मेदारी मिली है. किस तरह की योजनाएं बना रहे हैं जनकल्याण के लिए?
जवाब: इस पर उपमुख्यमंत्री ने कहा कि गांवों का विकास करना हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का विजन है. जिस दिन ग्राम्य विकास मंत्रालय मुझे मिला यह मेरे लिए मिशन बन गया. गांवों में कई महत्वपूर्ण कार्य होने हैं. पहले से जो काम हो रहे थे, उन्हें आगे बढ़ाते हुए कई और काम गांवों में कराने हैं. इस दिशा में हमने कार्य योजना बनाने के लिए कहा है. हम गांवों का कायाकल्प करेंगे. हम मनरेगा के तहत श्रमिक भाई-बहनों को रोजगार देने के लिए काम करेंगे. वहां कई अन्य कार्यों की योजना भी हम बना रहे हैं.
सवाल: अभी आपने सौ दिन, छह माह और एक साल की कार्य योजना बनाई है, जिसका मुख्यमंत्री के सामने प्रस्तुतीकरण हुआ. हमें इस कार्य योजना के विषय में कुछ बताइए?
जवाब: इस पर केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि हमारा लक्ष्य गांवों के भीतर अधिक से अधिक रोजगार का सृजन करना है. इस विषय को ध्यान में रखकर हम पांच वर्ष में दस लाख नए स्वयं सहायता समूहों का गठन करेंगे. वहीं सौ दिन में पचास हजार समूह गठित किए जाएंगे. इन समूहों के माध्यम से उत्पादन के साथ लोगों की आमदनी बढ़े इस पर सरकार काम कर रही है. ओडीओपी में भी किस तरह समूहों की भूमिका बढ़े हम इस पर भी काम कर रहे हैं. गांवों की स्वच्छता के लिए भी हम काम कर रहे हैं. मनरेगा के तहत सौ दिन में 15 हजार महिला मेट भी बनाने का फैसला किया है.
इसे भी पढ़ें - CM योगी के आदेश का असर, गोरखनाथ मंदिर में धीमी हुई लाउडस्पीकर की आवाज
सवाल: भातर को गांवों का देश कहा जाता है. गांवों में पिछले वर्षों में बड़ी सम्पन्नता आई है. इस कारण अब वहां कच्चे मकान खत्म हो चले हैं. जिसका दुष्परिणाम है कि तालाबों से मिट्टी नहीं निकाली जाती. नतीजतन तालाब खत्म हो चले हैं. क्या आपका विभाग इसके लिए कोई कार्य योजना बना रहा है ?
जवाब: इस पर उपमुख्यमंत्री ने कहा कि गांवों में जहां तालाबों पर कब्जे हो गए हैं या अस्तित्व ही खत्म हो गया है, हम वहां तालाबों का उच्चीकरण और सुंदरीकरण कराएंगे. तालाबों के आसपास ऐसे वृक्ष लगाए जाएंगे, जो जल संचयन में मददगार हों. हम हर लोक सभा क्षेत्र में ऐसे 75 तालाब बनाएंगे, जिन्हें अमृत सरोवर के नाम से जाना जाएगा. इन तालाबों के आसपास चबूतरा भी बनाया जाएगा, जिन पर राष्ट्रीय ध्वज भी लगाया जाएगा.
सवाल: प्रदेश में तमाम ऐसे ब्लॉक और तहसीलें हैं, जिनका नाम तो कहीं और है, लेकिन भवन दूसरी जगह बन गया है. संभवत: तत्कालीन नेताओं ने अपनी सुविधानुसार मुख्य मार्गों पर मुख्यालय भवन बनवा दिए और सरकार की दूरस्थ क्षेत्रों के विकास की मंशा धरी रह गई. क्या आप ऐसे ब्लॉक और तहसीलों को मूल स्थान पर लाने के लिए काम करेंगे?
जवाब: इस सवाल के जवाब में केशव मौर्य ने कहा कि हमारा प्रयास है कि हर गांव का इतना विकास हो कि दूसरे स्थान की तुलना की जरूरत ही न पड़े. हमारी कोशिश है कि हम सारी ऊर्जा लगाकर गांवों का विकास करें.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप