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बस मुद्दे पर बोले डिप्टी सीएम- कांग्रेस और राजस्थान सरकार का दोहरा चरित्र उजागर - up transport minister ashok kataria

यूपी के डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा और परिवहन मंत्री अशोक कटारिया ने शुक्रवार को लोक भवन में प्रेस वार्ता कर कांग्रेस के मंसूबे पर सवाल खड़ा किया. डिप्टी सीएम ने कहा कि कांग्रेस का दोहरा चरित्र उजागर हुआ है. एक तरफ वह बच्चों को भेजने के एवज में वसूली कर रही है. वहीं दूसरी तरफ श्रमिकों को भेजने के लिए मुफ्त में बस सुविधा देने की बात कर रही है.

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डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा और परिवहन मंत्री अशोक कटारिया.
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Published : May 22, 2020, 2:56 PM IST

लखनऊ: श्रमिकों को बस से पहुंचाने के लिए कांग्रेस और भाजपा की योगी आदित्यनाथ सरकार के बीच शुरू हुई तकरार अभी तक थमी नहीं है. गहलोत सरकार द्वारा कोटा से बच्चों को बसों से भेजने के एवज में पैसा मांगने पर योगी सरकार ने राजस्थान सरकार को कटघरे में खड़ा किया है.

डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने कहा कि राजस्थान के डिप्टी सीएम ने यूपी की बसों का उल्लेख किया. तमाम मिथ्या वर्णन भी अपनी प्रेसवार्ता में किया. प्रियंका को याद दिलाने के लिए बताया जा रहा है कि राजस्थान सरकार से बच्चों को लाने के लिए कहा. उन्होंने इसे स्वीकार किया, कहा कि आप बसें भेजकर अपने बच्चों को ले जाइए.

अनुमान था कि 10 हजार बच्चे होंगे. 560 बस भेजीं. वहां 12 हजार बच्चे निकले. बच्चे परेशान थे. वहां खाने तक कि समस्या हो रही थी. सब आना चाहते थे. यूपी रोडवेज के अधिकारियों ने राजस्थान रोडवेज से संपर्क किया. राजस्थान रोडवेज ने लिखित में भुगतान का वादा करने की बात कही. हमारे अधिकारियों ने भुगतान का वादा किया. राजस्थान सरकार ने 94 बसें लगाई. 19 लाख भुगतान का बिल भेजा था. उसको 5 मई को ही 19 लाख का भुगतान कर दिया गया था.

ये भी पढ़ें- यूपी में 6 नए कोरोना पॉजिटिव मामले आए सामने, 5521 पहुंचा आंकड़ा

इसके बाद उन्होंने दोबारा एक रिमाइंडर भेजा और इस रिमाइंडर में उन्होंने कहा कि बसों का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है. इसके लिए 36 लाख 36 हजार 664 रुपये योगी सरकार को देने हैं. हमारी सरकार ने उसका भुगतान भी कर दिया है. यही उनकी संवेदनशीलता दिखती है. एक तरफ श्रमिकों के बस भेज रहे हैं. दूसरी तरफ बच्चों को भेजने में मदद के एवज में रिमाइंडर पर रिमाइंडर भेज रहे हैं.

कांग्रेस पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि आपको बच्चों की चिंता नहीं, दूसरे राज्यों में श्रमिकों के फंसे होने की चिंता नहीं है. यूपी में 27 हजार बसें लगी हैं. यहां की चिंता है. दिनेश शर्मा ने कहा कि राजस्थान सरकार को झूठा वर्णन नहीं करना चाहिए. यह केवल चर्चा में बने रहने के लिए किया है. बस के फिट होने की चिंता नहीं थी, कांग्रेस को इसके लिए अपने गिरेबान में झांकना चाहिए. इसके लिए उन्हें देश के श्रमिकों से माफी मांगनी चाहिए.

लखनऊ: श्रमिकों को बस से पहुंचाने के लिए कांग्रेस और भाजपा की योगी आदित्यनाथ सरकार के बीच शुरू हुई तकरार अभी तक थमी नहीं है. गहलोत सरकार द्वारा कोटा से बच्चों को बसों से भेजने के एवज में पैसा मांगने पर योगी सरकार ने राजस्थान सरकार को कटघरे में खड़ा किया है.

डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने कहा कि राजस्थान के डिप्टी सीएम ने यूपी की बसों का उल्लेख किया. तमाम मिथ्या वर्णन भी अपनी प्रेसवार्ता में किया. प्रियंका को याद दिलाने के लिए बताया जा रहा है कि राजस्थान सरकार से बच्चों को लाने के लिए कहा. उन्होंने इसे स्वीकार किया, कहा कि आप बसें भेजकर अपने बच्चों को ले जाइए.

अनुमान था कि 10 हजार बच्चे होंगे. 560 बस भेजीं. वहां 12 हजार बच्चे निकले. बच्चे परेशान थे. वहां खाने तक कि समस्या हो रही थी. सब आना चाहते थे. यूपी रोडवेज के अधिकारियों ने राजस्थान रोडवेज से संपर्क किया. राजस्थान रोडवेज ने लिखित में भुगतान का वादा करने की बात कही. हमारे अधिकारियों ने भुगतान का वादा किया. राजस्थान सरकार ने 94 बसें लगाई. 19 लाख भुगतान का बिल भेजा था. उसको 5 मई को ही 19 लाख का भुगतान कर दिया गया था.

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इसके बाद उन्होंने दोबारा एक रिमाइंडर भेजा और इस रिमाइंडर में उन्होंने कहा कि बसों का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है. इसके लिए 36 लाख 36 हजार 664 रुपये योगी सरकार को देने हैं. हमारी सरकार ने उसका भुगतान भी कर दिया है. यही उनकी संवेदनशीलता दिखती है. एक तरफ श्रमिकों के बस भेज रहे हैं. दूसरी तरफ बच्चों को भेजने में मदद के एवज में रिमाइंडर पर रिमाइंडर भेज रहे हैं.

कांग्रेस पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि आपको बच्चों की चिंता नहीं, दूसरे राज्यों में श्रमिकों के फंसे होने की चिंता नहीं है. यूपी में 27 हजार बसें लगी हैं. यहां की चिंता है. दिनेश शर्मा ने कहा कि राजस्थान सरकार को झूठा वर्णन नहीं करना चाहिए. यह केवल चर्चा में बने रहने के लिए किया है. बस के फिट होने की चिंता नहीं थी, कांग्रेस को इसके लिए अपने गिरेबान में झांकना चाहिए. इसके लिए उन्हें देश के श्रमिकों से माफी मांगनी चाहिए.

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