लखनऊ : उत्तर प्रदेश में कोरोना की स्थिति भयावह हो गई है. ऐसे में लेवल-टू, लेवल-थ्री कोविड अस्पतालों की संख्या बढ़ गई है. ऐसे में कोविड-नॉन कोविड अस्पतालों में ऑक्सीजन की खपत दो गुना से ज्यादा हो गई है. खासकर, राजधानी में संकट के चलते दूसरे जनपदों से ऑक्सीजन मंगवाई गई है.
ड्रग कंट्रोलर एक जैन के मुताबिक राज्य में वायरस बढ़ गया है. ऐसे में गंभीर मरीजों की तदाद काफी हो गई है. लिहाजा फरवरी में जहां राज्यभर में ऑक्सीजन की डिमांड 70 मीट्रिक टन थी. यह 41 ऑक्सीजन प्लांटों से की जाती थी. वहीं अप्रैल में ऑक्सीजन की खपत 160 मीट्रिक टन तक पहुंच गई है. कोविड-नॉन कोविड, बेड न मिलने से घर पर भी लोग ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं.
लखनऊ में खपत ज्यादा
ड्रग इंस्पेक्टर बृजेश कुमार के मुताबिक लखनऊ में पांच प्लांट हैं. इनमें 5004 जंबो सिलेंडर रिफिलिंग की क्षमता है. वहीं 4500 सिलेंडरों की इनमें रिफिलिंग हो पा रही है. विपरीत इसके 5500 सिलेंडर की खपत रोजाना पहुंच गई है. सामान्य दिनों में 2000 सिलेंडरों की रोजाना खपत थी. वहीं अब 5500 खपत होने से बाराबंकी समेत अन्य जनपदों से ऑक्सीजन मंगवाई जा रही है.
160 का छोटा और 450 रुपये का बड़ा सिलेंडर
महीने भर पहले तक 1.5 क्यूबिक मीटर का ऑक्सीजन का छोटा सिलेंडर 80 रुपये में मिलता था, लेकिन अब यह 150 रुपये से 160 रुपये तक मिल रहा है. वहीं सात क्यूबिक मीटर का बड़ा ऑक्सीजन सिलेंडर जो 200 रुपये तक था अब 450 रुपये तक मिल रहा है. होम आइसोलेशन में इलाज करवा रहे कोरोना रोगियों को छोटे ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए छह हजार रुपये तक सुरक्षा राशि देनी पड़ रही है. वहीं बड़े सिलेंडर की सुरक्षा राशि 10 हजार रुपये है.
निजी अस्पतालों ने भी दोगुनी की ऑक्सीजन फीस
निजी अस्पतालों में अभी तक सामान्य वार्ड में भर्ती मरीज से 24 घंटे ऑक्सीजन सपोर्ट का 1600 रुपये लिया जा रहा था, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 3200 रुपये तक कर दिया गया है. वहीं आइसीयू में 24 घंटे ऑक्सीजन सपोर्ट का 2400 रुपये से बढ़ाकर 4800 रुपये तक वसूला जा रहा है.