लखनऊ: अयोध्या भूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट 10:30 बजे तक अपना फैसला सुना सकता है. इस फैसले को लेकर अयोध्या में पहले से ही पुलिस-प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद कर रखी है. वहीं फैसला देने से पहले कानून-व्यवस्था की स्थिति जानने के लिए प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव आरके तिवारी और डीजीपी ओपी सिंह को तलब किया था.
मामले की सुनवाई 40 दिनों में पूरी हुई
अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इस पूरी सुनवाई को 40 दिनों में पूरा किया है. इस पूरे मामले की सुनवाई प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड, अशोक भूषण और एस अब्दुल नजीर की पांच सदस्यीय संविधान पीठ कर रही थी.
6 अगस्त से रोजाना सुनवाई का था आदेश
1 अगस्त 2019 को अयोध्या विवाद के मध्यस्थता पैनल ने सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट सौंपी थी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अयोध्या पर मध्यस्थता से हल नहीं निकल सका था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने छह अगस्त से मामले की रोजाना सुनवाई करने का आदेश दिया था. मामले की अंतिम सुनवाई 20 अक्टूबर 2019 को थी.
सुनवाई के अंतिन दिन वैकल्पिक राहत पर रखा पक्ष
20 अक्टूबर 2019 को छह मुस्लिम पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट में वैकल्पिक राहत पर अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि कोर्ट अपना फैसला देश के भविष्य को ध्यान में रखते हुए ले. पक्ष का कहना था कि इस फैसले का असर भावी पीढ़ियों और देश की राजनीति पर पड़ेगा.
वकील राजीव धवन ने फाड़ा था नक्शा
सुनवाई के अंतिम दिन जब हिंदू महासभा की ओर से दलील शुरू हुई. हिंदू महासभा के वकील की ओर से सुप्रीम कोर्ट में किताब दिए जाने पर मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने आपत्ति जताई. इस दौरान दोनों पक्षों के वकीलों में तीखी बहस हुई और राजीव धवन ने अदालत में एक नक्शा भी फाड़ डाला. दरअसल हिंदू महासभा के वकील विकास सिंह ने जब अदालत में एक किताब रखने की कोशिश की तो मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने आपत्ति जताई थी. उनका कहना था कि अगर ऐसा हुआ तो वह इनके सवालों का जवाब नहीं देंगे.
16 अक्टूबर को जारी किया था बयान
सुप्रीम कोर्ट ने 16 अक्टूबर की शाम एक बयान जारी कर कहा था कि 17 तारीख को अयोध्या मामले की सुनवाई कर रहे 5 जजों की संवैधानिक पीठ के सभी सदस्य चेंबर में बैंठेंगे.
17 नवंबर को रिटायर हो रहे चीफ जस्टिस
आपको बता दें कि चीफ जस्टिस 17 नबंवर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. पीठ की अध्यक्षता भारत के चीफ जस्टिस गोगोई ही कर रहे हैं. 40 दिन तक चली सुनवाई के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.