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पुण्यतिथि विशेष: यादों में रहेंगे सदा अटल, अपने काम से दिया भारत को नया मुकाम

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज पहली पुण्यतिथि है. ठीक एक साल पहले 16 अगस्त 2018 को वह हमारे बीच से चले गए. अटल जी मिलनसार, सरल व दूरदर्शी नेता के साथ-साथ पत्रकार, कवि के रूप में बेहद लोकप्रिय थे.

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Published : Aug 16, 2019, 3:21 PM IST

अटल बिहारी वाजपेयी.

लखनऊ: 'आदमी की पहचान उसके धन या आसन से नहीं होती, उसके मन से होती है. मन की फकीरी पर कुबेर की संपदा भी रोती है'. ये कालजयी पंक्तियां भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की है. ये पंक्तियां हकीकत में अटल जी के जीवन को जीवंत करती हैं. अपने जीवनकाल के 5 दशक सार्वजनिक जीवन में बिताने वाले अटल जी की छवि बेदाग राजनेता की रही. अटलजी का खुला मन, विशाल ह्रदय, अपनत्व के भाव से सभी से मिलने के साथ ही विरोधियों को भी अपना बना लेना अपने आप में खास था. वह भारतीय राजनीति के इकलौते अजातशत्रु थे, जिन्हें जितना पार्टी के नेता मान-सम्मान करते थे उतना ही विरोधी पार्टी के नेता भी. राजनेता ही नहीं अटल जी पत्रकार, कवि के रूप में उतना ही याद किये जाते हैं.

देखें वीडियो.

उन्होंने पत्रकार के रूप में पांचजन्य, राष्ट्रधर्म संपादन करते हुए उन पत्रों को शीर्ष मुकाम तक पहुंचाया. वहीं बतौर कवि जब अटलजी मंचों से कविता का पाठ करते थे, तो सुनने वाले मंत्रमुग्ध हो जाते थे. इन सब से परे उनका मुखर व्यक्तित्व बेहद सादा जीवन, विनम्र स्वभाव, असाधारण व्यक्तिव, वाकपटुता से आम जनमानस में वो बेहद लोकप्रिय थे. तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहते हुए अपने किए गए कार्यों से वो आज भी हर भारतवासी के जेहन में अटल हैं. आज राष्ट्र उनकी पहली पुण्यतिथि मना रहा है. प्रधानमंत्री रहते हुए शुरू की गई कई महत्वपूर्ण कार्यों जैसे कि स्वर्णिम चतुर्भुज योजना, दूरसंचार क्रांति, सर्वशिक्षा अभियान, पोखरण परमाणु परीक्षण जैसे बड़े कार्यों के लिए अटलजी हमेशा याद रहेंगे.

पढ़ें:- जहां अटल जी ने फूंका था आजादी का बिगुल, आज भी वीरान है वह 'जंगलात कोठी'

स्वर्णिम चतुर्भुज योजना-
अटल जी के कार्यकाल में भारत के चार बड़े महानगर दिल्ली, चेन्नई, मुम्बई, कोलकाता को आपस में सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज योजना को प्रारंभ किया. इसके चलते चारो महानगरों को आपस में सड़क मार्ग से जोड़ा गया. इतना ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की शुरुआत की गई.

दूरसंचार क्रांति-
1999 में अटल जी के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनते ही संचार को बढ़ावा देने के लिए दूरसंचार क्रांति योजना का प्रारंभ किया गया. भारतीय संचार निगम लिमिटेड के संचार में एकाधिकार को खत्म कर कई प्राइवेट कंपनी को अवसर दिया गया. इसके फलस्वरूप भारत में आज संचार का जाल पूरी तरह फैल चुका है.

पढ़ें:- पुण्यतिथि विशेष: जब अटल जी ने कार्यकर्ता से कहा तुमने नहीं दी मेरी 'मजदूरी'

सर्वशिक्षा अभियान-
अटल जी ने अपने प्रधानमंत्री के कार्यकाल में शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया. सन 2000 में सर्व शिक्षा अभियान योजना के तहत 6 वर्ष से 14 वर्ष के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने का प्रावधान किया गया. यह अटल जी की दूरदर्शी योजना थी. इसके तहत भारत में निम्न साक्षरता के ग्राफ को ऊपर की ओर ले जाना था.

पोखरण परमाणु परीक्षण-
अटल जी ने मई 1998 में राजस्थान के पोखरण में दुनिया को भारत की परमाणु शक्ति का एहसास कराने के लिए बेहद गुप्त तरीके से परमाणु परीक्षण करवाया था. परमाणु परीक्षण की भनक अमेरिका तक को नहीं लगी थी. इसके बाद अमेरिका, ब्रिटेन जैसे कई बड़े पश्चिमी देशों ने भारत पर प्रतिबंध लगा दिया था. अजलजी ने सूझ भरी विदेश नीति के चलते उन प्रतिबंधों को खत्म करा कर पश्चिमी देशों के साथ बेहतर रिश्ते कायम किए.

लखनऊ: 'आदमी की पहचान उसके धन या आसन से नहीं होती, उसके मन से होती है. मन की फकीरी पर कुबेर की संपदा भी रोती है'. ये कालजयी पंक्तियां भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की है. ये पंक्तियां हकीकत में अटल जी के जीवन को जीवंत करती हैं. अपने जीवनकाल के 5 दशक सार्वजनिक जीवन में बिताने वाले अटल जी की छवि बेदाग राजनेता की रही. अटलजी का खुला मन, विशाल ह्रदय, अपनत्व के भाव से सभी से मिलने के साथ ही विरोधियों को भी अपना बना लेना अपने आप में खास था. वह भारतीय राजनीति के इकलौते अजातशत्रु थे, जिन्हें जितना पार्टी के नेता मान-सम्मान करते थे उतना ही विरोधी पार्टी के नेता भी. राजनेता ही नहीं अटल जी पत्रकार, कवि के रूप में उतना ही याद किये जाते हैं.

देखें वीडियो.

उन्होंने पत्रकार के रूप में पांचजन्य, राष्ट्रधर्म संपादन करते हुए उन पत्रों को शीर्ष मुकाम तक पहुंचाया. वहीं बतौर कवि जब अटलजी मंचों से कविता का पाठ करते थे, तो सुनने वाले मंत्रमुग्ध हो जाते थे. इन सब से परे उनका मुखर व्यक्तित्व बेहद सादा जीवन, विनम्र स्वभाव, असाधारण व्यक्तिव, वाकपटुता से आम जनमानस में वो बेहद लोकप्रिय थे. तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहते हुए अपने किए गए कार्यों से वो आज भी हर भारतवासी के जेहन में अटल हैं. आज राष्ट्र उनकी पहली पुण्यतिथि मना रहा है. प्रधानमंत्री रहते हुए शुरू की गई कई महत्वपूर्ण कार्यों जैसे कि स्वर्णिम चतुर्भुज योजना, दूरसंचार क्रांति, सर्वशिक्षा अभियान, पोखरण परमाणु परीक्षण जैसे बड़े कार्यों के लिए अटलजी हमेशा याद रहेंगे.

पढ़ें:- जहां अटल जी ने फूंका था आजादी का बिगुल, आज भी वीरान है वह 'जंगलात कोठी'

स्वर्णिम चतुर्भुज योजना-
अटल जी के कार्यकाल में भारत के चार बड़े महानगर दिल्ली, चेन्नई, मुम्बई, कोलकाता को आपस में सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज योजना को प्रारंभ किया. इसके चलते चारो महानगरों को आपस में सड़क मार्ग से जोड़ा गया. इतना ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की शुरुआत की गई.

दूरसंचार क्रांति-
1999 में अटल जी के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनते ही संचार को बढ़ावा देने के लिए दूरसंचार क्रांति योजना का प्रारंभ किया गया. भारतीय संचार निगम लिमिटेड के संचार में एकाधिकार को खत्म कर कई प्राइवेट कंपनी को अवसर दिया गया. इसके फलस्वरूप भारत में आज संचार का जाल पूरी तरह फैल चुका है.

पढ़ें:- पुण्यतिथि विशेष: जब अटल जी ने कार्यकर्ता से कहा तुमने नहीं दी मेरी 'मजदूरी'

सर्वशिक्षा अभियान-
अटल जी ने अपने प्रधानमंत्री के कार्यकाल में शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया. सन 2000 में सर्व शिक्षा अभियान योजना के तहत 6 वर्ष से 14 वर्ष के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने का प्रावधान किया गया. यह अटल जी की दूरदर्शी योजना थी. इसके तहत भारत में निम्न साक्षरता के ग्राफ को ऊपर की ओर ले जाना था.

पोखरण परमाणु परीक्षण-
अटल जी ने मई 1998 में राजस्थान के पोखरण में दुनिया को भारत की परमाणु शक्ति का एहसास कराने के लिए बेहद गुप्त तरीके से परमाणु परीक्षण करवाया था. परमाणु परीक्षण की भनक अमेरिका तक को नहीं लगी थी. इसके बाद अमेरिका, ब्रिटेन जैसे कई बड़े पश्चिमी देशों ने भारत पर प्रतिबंध लगा दिया था. अजलजी ने सूझ भरी विदेश नीति के चलते उन प्रतिबंधों को खत्म करा कर पश्चिमी देशों के साथ बेहतर रिश्ते कायम किए.

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यादों में रहेंगे सदा अटल, अपने काम से दिया भारत को नया मुकाम





पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई  की आज पहली पुण्यतिथि है.  आज से ठीक एक  साल पहले 16 अगस्त 2018 को हमारे बीच से चले गए. अटलजी मिलनसार, सरल व दूरदर्शी नेता  के साथ-साथ पत्रकार, कवि के रूप में  बेहद लोक प्रिय थे. 

"आदमी की पहचान उसके धन या आसन से नहीं होती , उसके मन से होती है. मन की फकीरी पर  कुबेर की संपदा भी रोती है." ये कालजयी पंक्तियां भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेईजी की  है. ये पंक्तियां हकीकत  में अटलजी के जीवन को जीवंत करतीं है. अपने जीवनकाल के 5 दशक सार्वजनिक जीवन में बिताने वाले अटलजी की  छवि बेदाग राजनेता की रही. अटलजी का खुला मन , विशाल ह्रदय अपनत्व के भाव से  सभी से मिलना से वे विरोधियों को भी अपना बना लेते थे. वो भारतीय राजनीति के इकलौते अजातशत्रु थे जिन्हें  जितना  पार्टी के नेता मान-सम्मान करते थे उतना ही विरोधी पार्टी के नेता  भी. राजनेता ही नहीं अटल जी पत्रकार, कवि के रूप में उतना ही याद किये जाते हैं .. पत्रकार के  रूप में पांचजन्य, राष्ट्रधर्म संपादन करते हुए उन पत्रों को शीर्ष मुकाम तक पहुंचाया. वहीं बतौर कवि जब अटलजी मंचों से कविता का पाठ करते थे, तो सुनने वाले मंत्रमुग्ध हो जाते थे. पर  इन सब से परे उनका मुखर व्यक्तित्व  बेहद सादा जीवन , विनम्र स्वभाव,असाधारण व्यक्तिव, वाकपटुता से आम जनमानस में वो बेहद लोकप्रिय थे. तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहते हुए  अपने किए गए कार्यों से वो आज भी हर भारतवासी के जेहन में अटल हैं.  आज राष्ट्र उनकी पहली पुण्यतिथि  मना रहा है.  पर प्रधानमंत्री रहते हुए अटलजी के  द्वारा शुरू की गई कई महत्वपूर्ण कार्यों जैसे कि स्वर्णिम चतुर्भुज योजना, दूरसंचार क्रांति, सर्वशिक्षा अभियान, पोखरण परमाणु परीक्षण जैस बड़े कार्यों  के लिए हमेशा याद रहेंगे.



स्वर्णिम चतुर्भुज योजना

अटलजी के कार्यकाल में भारत के चार बड़े महानगर दिल्ली, चेन्नई, मुम्बई,कोलकाता को आपस में सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज योजना को प्रारंभ किया. जिसके चलते चारों महानगरों को आपस में सड़क मार्ग से जोड़ा गया. इतना ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की शुरूआत की गई.

 दूरसंचार क्रांति

1999 में अटलजी के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनते ही संचार को बढ़ावा देने के लिए दूरसंचार क्रांति  योजना का प्रारंभ किया गया. भारतीय संचार निगम लिमिटे़ड के संचार में एकाधिकार को खत्म कर कई प्राइवेट कंपनी को अवसर दिए गया. जिसके फलस्वरूप भारत में आज संचार  का जाल  पूरी तरह फैल चुका है.

सर्वशिक्षा अभियान 

अटलजी  ने अपने प्रधानमंत्री के में शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया सन 2000 में सर्वशिक्षा अभियान योजना के तहत 6 वर्ष से 14 वर्ष के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने प्रावधान किया गया, यह अटलजी की दूरदर्शी योजना थी. जिसके तहत भारत में निम्न साक्षरता के ग्राफ को ऊपर  की ओर  ले जाना था.

पोखरण परमाणु परीक्षण 

अटलजी  प्रधानमंत्री के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल में मई 1998 में राजस्थान के पोखरण में दुनिया को भारत की परमाणु शक्ति का एहसास कराने के लिए बेहद गुप्त तरीके से परमाणु परीक्षण करवाया था. परमाणु परीक्षण की भनक अमेरिका तक को नहीं लगी. जिसके बाद अमेरिका, ब्रिटेन जैसे कई बड़े पश्चिमी देशों ने भारत पर प्रतिबंध लगा दिया था. पर अजलजी ने सूझ भरी विदेश नीति के चलते उन प्रतिबंधों को खत्म करा कर  पश्चिमी देशों के साथ बेहतर रिश्ते कायम किए.  


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