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किसान परेशान, बारिश और हवा ने किया इन फसलों का नुकसान

मानसूनी बारिश के साथ तेज हवाओं के कारण तमाम फसलों को नुकसान पहुंचा है. कोरोना काल में फसलें खराब होने के बाद अब किसानों पर मौसम की मार पड़ रही है.

लखनऊः
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Published : Jun 13, 2021, 2:10 PM IST

लखनऊः पहले कोरोना काल में फसलें खराब हुईं और अब मौसम की मार पड़ रही है. किसानों का हाल बेहाल है. दरअसल, कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन लगा, जिससे फसलें बिक नहीं सकीं. कई फसलें खेतों में ही खराब हो गईं. अब रविवार से मानसूनी बारिश के साथ तेज हवा शुरू हो गई है. इससे मक्का, उड़द और मूंग जैसी फसलों को नुकसान हुआ है. इसके अलावा तरोई, लौकी, कद्दू, टिंडा, परवल, भिंडी, मेंथा एवं ग्वार भी अधिक प्रभावित हुई हैं.

कृषि विशेषज्ञ डॉ. सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि आज (रविवार) सुबह अचानक तेज हवाओं के साथ बारिश होने से मक्का की फसल को बहुत अधिक नुकसान हुआ है. हवा में मक्का बीच से टूट जाता है और पूरा पौधा क्षतिग्रस्त हो जाता है. साथ में पिछले माह ताऊते और यास तूफानों के कारण उड़द की फसल अधिक प्रभावित हुई थी. जो कुछ फसल बच गई थी, वह मानसूनी बारिश के कारण बर्बाद हो गई. इस तरह मूंग की फसल में भी किसानों का भारी नुकसान होने की आशंका है.

लॉकडाउन के कारण बहुत से किसानों ने सब्जियों की बुवाई प्रारंभ कर दी थी. बरसात हो जाने से बीज नष्ट हो जाएंगे. प्रमुख रूप से इस समय प्याज तथा गोभी की नर्सरी का उचित समय था. तेज बरसात के कारण नर्सरी में बोई गई फसलें नष्ट हो हुई हैं. बरसात के कारण जलभराव की स्थिति होने से केले की फसल भी प्रभावित हुई है. आम में फल, मक्खी, कीट के साथ-साथ बीमारी लगने का अधिक खतरा है.

गौरतलब है कि कोविड संक्रमण काल में लॉकडाउन होने से प्रमुख रूप से टमाटर,तरोई, लौकी, कद्दू, खीरा, खरबूजा एवं तरबूज की फसलें खेतों में ही सड़ गई. अब मौसम की मार पड़ने से किसान परेशान हैं. आज सुबह से ही यूपी के कई जिलों में मौसम का मिजाज अचानक बदल गया है. मौसम विभाग ने भी प्रदेश के कई जिलों में हवा के साथ तेज बारिश की चेतावनी दी थी.

विशेषज्ञों का कहना है कि तरोई, लौकी, कद्दू, टिंडा, परवल, भिंडी एवं ग्वार आदि सब्जियों पर जब बारिश हो जाती है तो पत्ती का रस चूसने वाले कीटों की संख्या बढ़ जाती है. जो अपने चूसने वाले मुखांग से रस को चूस लेने से उत्पादन कम हो जाता है तथा यह कीट फसलों में लगने वाली विषाणु बीमारी को फैलाने का भी काम करते हैं.

राजधानी लखनऊ में स्थित चंद्र भानु गुप्त कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय के सहायक आचार्य डॉ. सत्येंद्र कुमार सिंह ने किसानों को सलाह दी है कि बारिश जब बंद हो जाए तब अपनी फसलों पर इन कीटों को प्रबंधित करने के लिए इमिडाक्लोप्रिड नामक कीटनाशक दवा की 0.5 एम एल मात्रा को 1 लीटर पानी कि दर से घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए.

इसे भी पढ़ेंः कोरोना महामारी को मिटाएगा महामृत्युंजय जप!


कृषि महाविद्यालय के उद्यान विभाग के सहायक आचार्य डॉ. एल पी यादव ने बताया की फूलों की खेती करने वाले किसानों का कोरोना काल में व्यापार बिल्कुल ठप हो गया था. इधर बरसात हो जाने से ग्लैडियोलस, जरबेरा, गुलाब एवं गेंदा की फसल अधिक प्रभावित होगी. इन फसलों पर कीटों एवं बीमारियों का अधिक प्रकोप होगा. किसानों का 90% तक नुकसान होगा. बरसात होने से लखनऊ जिले के आम किसानों की फसल पर आम की फल मक्खी का अधिक प्रकोप होता है किसानों को सलाह दी जाती है कि यथाशीघ्र अपने आम के बागों में प्रति एकड़ की दर से तीन फेरोमोन ट्रैप अवश्य लगा दें.

इसे भी पढ़ेंः बचा लीजिए एसएसपी साहब, मां-बाप मुझे जान से मार डालेंगे

लखनऊः पहले कोरोना काल में फसलें खराब हुईं और अब मौसम की मार पड़ रही है. किसानों का हाल बेहाल है. दरअसल, कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन लगा, जिससे फसलें बिक नहीं सकीं. कई फसलें खेतों में ही खराब हो गईं. अब रविवार से मानसूनी बारिश के साथ तेज हवा शुरू हो गई है. इससे मक्का, उड़द और मूंग जैसी फसलों को नुकसान हुआ है. इसके अलावा तरोई, लौकी, कद्दू, टिंडा, परवल, भिंडी, मेंथा एवं ग्वार भी अधिक प्रभावित हुई हैं.

कृषि विशेषज्ञ डॉ. सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि आज (रविवार) सुबह अचानक तेज हवाओं के साथ बारिश होने से मक्का की फसल को बहुत अधिक नुकसान हुआ है. हवा में मक्का बीच से टूट जाता है और पूरा पौधा क्षतिग्रस्त हो जाता है. साथ में पिछले माह ताऊते और यास तूफानों के कारण उड़द की फसल अधिक प्रभावित हुई थी. जो कुछ फसल बच गई थी, वह मानसूनी बारिश के कारण बर्बाद हो गई. इस तरह मूंग की फसल में भी किसानों का भारी नुकसान होने की आशंका है.

लॉकडाउन के कारण बहुत से किसानों ने सब्जियों की बुवाई प्रारंभ कर दी थी. बरसात हो जाने से बीज नष्ट हो जाएंगे. प्रमुख रूप से इस समय प्याज तथा गोभी की नर्सरी का उचित समय था. तेज बरसात के कारण नर्सरी में बोई गई फसलें नष्ट हो हुई हैं. बरसात के कारण जलभराव की स्थिति होने से केले की फसल भी प्रभावित हुई है. आम में फल, मक्खी, कीट के साथ-साथ बीमारी लगने का अधिक खतरा है.

गौरतलब है कि कोविड संक्रमण काल में लॉकडाउन होने से प्रमुख रूप से टमाटर,तरोई, लौकी, कद्दू, खीरा, खरबूजा एवं तरबूज की फसलें खेतों में ही सड़ गई. अब मौसम की मार पड़ने से किसान परेशान हैं. आज सुबह से ही यूपी के कई जिलों में मौसम का मिजाज अचानक बदल गया है. मौसम विभाग ने भी प्रदेश के कई जिलों में हवा के साथ तेज बारिश की चेतावनी दी थी.

विशेषज्ञों का कहना है कि तरोई, लौकी, कद्दू, टिंडा, परवल, भिंडी एवं ग्वार आदि सब्जियों पर जब बारिश हो जाती है तो पत्ती का रस चूसने वाले कीटों की संख्या बढ़ जाती है. जो अपने चूसने वाले मुखांग से रस को चूस लेने से उत्पादन कम हो जाता है तथा यह कीट फसलों में लगने वाली विषाणु बीमारी को फैलाने का भी काम करते हैं.

राजधानी लखनऊ में स्थित चंद्र भानु गुप्त कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय के सहायक आचार्य डॉ. सत्येंद्र कुमार सिंह ने किसानों को सलाह दी है कि बारिश जब बंद हो जाए तब अपनी फसलों पर इन कीटों को प्रबंधित करने के लिए इमिडाक्लोप्रिड नामक कीटनाशक दवा की 0.5 एम एल मात्रा को 1 लीटर पानी कि दर से घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए.

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कृषि महाविद्यालय के उद्यान विभाग के सहायक आचार्य डॉ. एल पी यादव ने बताया की फूलों की खेती करने वाले किसानों का कोरोना काल में व्यापार बिल्कुल ठप हो गया था. इधर बरसात हो जाने से ग्लैडियोलस, जरबेरा, गुलाब एवं गेंदा की फसल अधिक प्रभावित होगी. इन फसलों पर कीटों एवं बीमारियों का अधिक प्रकोप होगा. किसानों का 90% तक नुकसान होगा. बरसात होने से लखनऊ जिले के आम किसानों की फसल पर आम की फल मक्खी का अधिक प्रकोप होता है किसानों को सलाह दी जाती है कि यथाशीघ्र अपने आम के बागों में प्रति एकड़ की दर से तीन फेरोमोन ट्रैप अवश्य लगा दें.

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