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लखनऊ: दैनिक मजदूर भूखे, प्रशासन से नहीं मिलीं सुविधाएं - कोरोना वायरस समाचार

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कोरोना वायरस को लेकर किए गए लॉकडाउन के चलते दैनिक मजदूर भूखे रहने को मजबूर हैं. प्रशासन से सुविधाएं उन लोगों तक नहीं पहुंच पाई हैं.

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दिहाड़ी मजदूर भूखे पेट सोने को मजबूर.
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Published : Mar 27, 2020, 9:02 PM IST

लखनऊ: राजधानी में कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन किया गया है, जिसके बाद से लगातार दैनिक मजदूरी करने वाले मजदूर, रिक्शा चलाक और ठेले पर सामान बेचने वाले भूखे पेट सोने को मजबूर हैं. लॉकडाउन के बाद से इनको आवश्यकता अनुसार संसाधन मुहैया नहीं हो पा रहे हैं.

दिहाड़ी मजदूर भूखे पेट सोने को मजबूर.

दिहाड़ी मजदूर भूखे पेट सोने को मजबूर
महामारी का असर पूरे विश्व में फैला है, वहीं दूसरी ओर भारत में भी इसका असर देखने को मिल रहा है. दैनिक मजदूर और रिक्शा चलक भूखे पेट रहने को मजबूर हैं. अपना पेट भरने के लिए दैनिक मजदूरी करने वाले मजदूरों की कोई सुध लेने को तैयार नहीं है. लॉकडाउन के बाद इन पर बहुत बड़ा असर पड़ा है. पैसों की कमी और इनकी आवश्यकता अनुसार संसाधन मुहैया नहीं हो पा रहे हैं. कोरोना वायरस से बचाव के लिए भी इन्हें सैनिटाइजर, मास्क उपलब्ध नहीं हो पाए हैं.

संवाददाता ने जब लखनऊ के हजरतगंज में रिक्शा चालकों से बात की तो उनका कहना था कि प्रशासन से कुछ शिकायत थीं. उनका कहना था कि हमारे पास अभी तक प्रशासन की तरफ से खाने-पीने की कोई चीज उपलब्ध नहीं हो पाई है. ऐसी स्थिति में न ही हम अपने घर जा सकते हैं और न ही भूखे पेट सो सकते हैं.

लखनऊ: राजधानी में कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन किया गया है, जिसके बाद से लगातार दैनिक मजदूरी करने वाले मजदूर, रिक्शा चलाक और ठेले पर सामान बेचने वाले भूखे पेट सोने को मजबूर हैं. लॉकडाउन के बाद से इनको आवश्यकता अनुसार संसाधन मुहैया नहीं हो पा रहे हैं.

दिहाड़ी मजदूर भूखे पेट सोने को मजबूर.

दिहाड़ी मजदूर भूखे पेट सोने को मजबूर
महामारी का असर पूरे विश्व में फैला है, वहीं दूसरी ओर भारत में भी इसका असर देखने को मिल रहा है. दैनिक मजदूर और रिक्शा चलक भूखे पेट रहने को मजबूर हैं. अपना पेट भरने के लिए दैनिक मजदूरी करने वाले मजदूरों की कोई सुध लेने को तैयार नहीं है. लॉकडाउन के बाद इन पर बहुत बड़ा असर पड़ा है. पैसों की कमी और इनकी आवश्यकता अनुसार संसाधन मुहैया नहीं हो पा रहे हैं. कोरोना वायरस से बचाव के लिए भी इन्हें सैनिटाइजर, मास्क उपलब्ध नहीं हो पाए हैं.

संवाददाता ने जब लखनऊ के हजरतगंज में रिक्शा चालकों से बात की तो उनका कहना था कि प्रशासन से कुछ शिकायत थीं. उनका कहना था कि हमारे पास अभी तक प्रशासन की तरफ से खाने-पीने की कोई चीज उपलब्ध नहीं हो पाई है. ऐसी स्थिति में न ही हम अपने घर जा सकते हैं और न ही भूखे पेट सो सकते हैं.

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