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लखनऊ यूनिवर्सिटी: साइबर लॉ और गर्भ संस्कार कोर्स के लिए अभ्यर्थियों में जबरदस्त उत्साह - साइबर लॉ कोर्स

लखनऊ विश्वविद्यालय में पहली बार साइबर लॉ और गर्भ संस्कार कोर्स को इस वर्ष शुरू किया गया है. इन दोनों कोर्सों में अभ्यर्थियों का जबरदस्त रुझान देखने को मिल रहा है. इन दोनों पाठ्यक्रमों के अलावा लखनऊ विश्वविद्यालय ने चार अन्य डिप्लोमा पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए अभ्यर्थियों से अपने प्रमाण पत्र अपलोड करने के लिए कहा है.

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Published : Oct 11, 2020, 12:45 PM IST

लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय में पहली बार साइबर लॉ और गर्भ संस्कार कोर्स को इस वर्ष शुरू किया गया है. इन दोनों कोर्सों में अभ्यर्थियों का जबरदस्त रुझान देखने को मिल रहा है. इन दोनों पाठ्यक्रमों के अलावा लखनऊ विश्वविद्यालय ने चार अन्य डिप्लोमा पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए अभ्यर्थियों से अपने प्रमाण पत्र अपलोड करने के लिए कहा है. लखनऊ विश्वविद्यालय ने इस साल 28 डिप्लोमा पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए आवेदन मांगे थे. इनमें से सिर्फ 6 पाठ्यक्रमों में ही कोर्स शुरू करने लायक आवेदन फॉर्म आए हैं. बाकी में सीट के मुकाबले 40 फीसदी से भी कम आवेदन फॉर्म आए हैं. इस वजह से लखनऊ विश्वविद्यालय ने इन पाठ्यक्रमों में अभी कोई फैसला नहीं किया है.

विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी दुर्गेश श्रीवास्तव ने बताया कि इस वर्ष लॉ और गर्भ संस्कार कोर्स को भी शुरू किया गया था. उत्तर प्रदेश में पहली ऐसी लखनऊ यूनिवर्सिटी है जिसमें गर्भ संस्कार कोर्स शुरू किया गया है. इस कोर्स में 30 सीटों के लिए आवेदन मांगे गए थे. शुरुआती दौर में इन कोर्सों में भी फॉर्म भरने वाले आवेदकों की संख्या कम रही थी. लेकिन अब गर्भ संस्कार कोर्स के लिए अधिक से अधिक आवेदन आ चुके हैं. लखनऊ विश्वविद्यालय में पिछले साल तक 40 से ज्यादा डिप्लोमा, पीजी डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स चलते थे. इनमें कोई एकरूपता नहीं थी. स्ववित्तपोषित प्रणाली पर आधारित पाठ्यक्रमों की फीस एक-दूसरे से काफी अलग थी. इसको देखते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति आलोक कुमार राय ने एक समिति का गठन किया था. समिति की सिफारिशों के आधार पर डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के संचालन में काफी बदलाव किया गया है.

लखनऊ विश्वविद्यालय ने डिप्लोमा पाठयक्रम के संबंध में ऐडऑन की अनिवार्यता भी हटा ली है. अब डिप्लोमा पाठ्यक्रम में सीधा दाखिला लिया जाएगा. हालांकि विभागाध्यक्षों के ऊपर होगा कि वे चाहें तो संबंधित डिप्लोमा में शामिल रखें. इसके बाद सिर्फ 28 पाठ्यक्रम के आवेदन फॉर्म मांगे गए हैं. इसमें विश्वविद्यालय द्वारा इस साल शुरू किए गए गर्भ संस्कार और साइबर लॉ पर आधारित डिप्लोमा पाठ्यक्रम भी शामिल हैं. इन बदलावों के बाद लखनऊ विश्वविद्यालय को उम्मीद थी कि साल दर साल स्थगित हो रहे पाठ्यक्रम संचालित हो सकेंगे, पर ऐसा नहीं हुआ. यहां तक कि 28 में से सिर्फ 6 पाठ्यक्रम ही संचालित होने की स्थिति में हैं.

लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय में पहली बार साइबर लॉ और गर्भ संस्कार कोर्स को इस वर्ष शुरू किया गया है. इन दोनों कोर्सों में अभ्यर्थियों का जबरदस्त रुझान देखने को मिल रहा है. इन दोनों पाठ्यक्रमों के अलावा लखनऊ विश्वविद्यालय ने चार अन्य डिप्लोमा पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए अभ्यर्थियों से अपने प्रमाण पत्र अपलोड करने के लिए कहा है. लखनऊ विश्वविद्यालय ने इस साल 28 डिप्लोमा पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए आवेदन मांगे थे. इनमें से सिर्फ 6 पाठ्यक्रमों में ही कोर्स शुरू करने लायक आवेदन फॉर्म आए हैं. बाकी में सीट के मुकाबले 40 फीसदी से भी कम आवेदन फॉर्म आए हैं. इस वजह से लखनऊ विश्वविद्यालय ने इन पाठ्यक्रमों में अभी कोई फैसला नहीं किया है.

विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी दुर्गेश श्रीवास्तव ने बताया कि इस वर्ष लॉ और गर्भ संस्कार कोर्स को भी शुरू किया गया था. उत्तर प्रदेश में पहली ऐसी लखनऊ यूनिवर्सिटी है जिसमें गर्भ संस्कार कोर्स शुरू किया गया है. इस कोर्स में 30 सीटों के लिए आवेदन मांगे गए थे. शुरुआती दौर में इन कोर्सों में भी फॉर्म भरने वाले आवेदकों की संख्या कम रही थी. लेकिन अब गर्भ संस्कार कोर्स के लिए अधिक से अधिक आवेदन आ चुके हैं. लखनऊ विश्वविद्यालय में पिछले साल तक 40 से ज्यादा डिप्लोमा, पीजी डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स चलते थे. इनमें कोई एकरूपता नहीं थी. स्ववित्तपोषित प्रणाली पर आधारित पाठ्यक्रमों की फीस एक-दूसरे से काफी अलग थी. इसको देखते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति आलोक कुमार राय ने एक समिति का गठन किया था. समिति की सिफारिशों के आधार पर डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के संचालन में काफी बदलाव किया गया है.

लखनऊ विश्वविद्यालय ने डिप्लोमा पाठयक्रम के संबंध में ऐडऑन की अनिवार्यता भी हटा ली है. अब डिप्लोमा पाठ्यक्रम में सीधा दाखिला लिया जाएगा. हालांकि विभागाध्यक्षों के ऊपर होगा कि वे चाहें तो संबंधित डिप्लोमा में शामिल रखें. इसके बाद सिर्फ 28 पाठ्यक्रम के आवेदन फॉर्म मांगे गए हैं. इसमें विश्वविद्यालय द्वारा इस साल शुरू किए गए गर्भ संस्कार और साइबर लॉ पर आधारित डिप्लोमा पाठ्यक्रम भी शामिल हैं. इन बदलावों के बाद लखनऊ विश्वविद्यालय को उम्मीद थी कि साल दर साल स्थगित हो रहे पाठ्यक्रम संचालित हो सकेंगे, पर ऐसा नहीं हुआ. यहां तक कि 28 में से सिर्फ 6 पाठ्यक्रम ही संचालित होने की स्थिति में हैं.

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