लखनऊ : सोचिए आपको एक नोटिस आए जिसमें लिखा हो कि आपके बैंक अकाउंट और संपत्तियों की जांच से पता चला है कि आपके पास बेनामी संपत्तियां हैं और पैसों का लेखा जोखा भी नहीं है. नोटिस का जवाब जल्द दें अन्यथा आपको अरेस्ट करने के लिए एक टीम भेजी जाएगी. इतना ही नहीं एक और नोटिस मिले कि हाल ही में पकड़े गए ड्रग्स तस्कर ने पूछताछ में आपका नाम कबूला है. नारकोटिक्स के ऑफिस में आकर अपना पक्ष रखें तो आप क्या करेंगे. शायद हड़बड़ाहट में नोटिस में लिखे नंबर पर संपर्क करेंगे और फिर अधिकारी के बताए हुए रास्तों पर चल नोटिस से पीछा छुड़ा लेंगे. बस ऐसी ही गलती आपको ठगी का शिकार बना सकती है.
ईडी की नोटिस मिली, 20 लाख में पक्की हुई डील
राजधानी के अमीनाबाद इलाके में रहने वाले एक व्यापारी को जून में एक नोटिस मिली. नोटिस में प्रवर्तन निदेशालय लिखा हुआ था. व्यापारी के मुताबिक जैसे ही नोटिस का लिफाफा खोल कर उसे पढ़ा तो पता चला कि पहले हुए कई गोपनीय जांच में कई कारोबारियों के साथ उनका नाम भी शामिल मिला. जांच में उनके बैंक अकाउंट में संदिग्ध लेन देन हुआ है. इतना ही नहीं उनकी कई संपत्तियां भी बेनामी हैं. नोटिस देखते ही घबराए व्यापारी ने उसमें लिखे एक मोबाइल नंबर पर कॉल की और बताया कि उन्हें जो नोटिस मिली है वह गलत है उनके पास कोई भी संपत्ति नहीं है. कॉल उठाने वाले ने कहा कि ईडी गलत जांच नहीं करती एक हफ्ते में जवाब भेजो नहीं तो उन्हें गिरफ्तार करने के लिए टीम भेजी जाएगी. घबराए व्यापारी ने मामले को रफा दफा करने की बात कही तो कॉल उठाने वाले व्यक्ति ने नाराजगी दिखाते हुए कॉल काट दी.
व्यापारी के मुताबिक करीब दो घंटे बाद उनके पास एक कॉल आई और कहा कि अभी आपने ईडी के डिप्टी डायरेक्टर को कॉल की थी. आपने इतनी बड़ी गलती क्यों कर दी कि उन्हें घूस देने की बात कह दी. व्यापारी ने कहा कि तो मामला कैसे निपटेगा. कॉलर ने कहा कि 20 लाख दे दीजिए वो सब निपटवा देगा. व्यापारी के मुताबिक वो पैसे देने के लिए तैयार थे, लेकिन एक उनके अधिवक्ता मित्र ने ईडी के लखनऊ जोनल ऑफिस में नोटिस के विषय में जानकारी ली तो वह फर्जी निकली. व्यापारी पैसे देने से तो बच गए, लेकिन उन्होंने साइबर सेल में शिकायत जरूर दर्ज करा दी.
दवा व्यापारी को मिली नारकोटिक्स विभाग की नोटिस
ईडी की ही तरह कानपुर के एक दवा व्यापारी को नोटिस मिली कि हाल ही में एक डार्क वेब के जरिए ड्रग्स की सप्लाई करने वाले गिरोह को नारकोटिक्स विभाग ने पकड़ा है. पूछताछ में आरोपियों ने आपका नाम उगला है. ऐसे में नारकोटिक्स विभाग के कार्यालय में आकर अपना पक्ष रखें. दवा व्यापारी नोटिस पढ़ने के बाद परेशान हो गए, उन्होंने अपने कई मित्रों से मदद मांगी, लेकिन जब कोई रास्ता न दिखा तो व्यापारी ने नोटिस में लिखे मोबाइल नम्बर पर कॉल कर दी. कॉल उठाने वाले ने कहा कि यदि इस मामले को यही रफा दफा करना चाहते हो तो पांच राख रुपये अकाउंट में ट्रांसफर कर दो. व्यापारी ने तत्काल एक लाख रुपये उसके द्वारा बताए गए अकाउंट में डाल दिया और दो दिनों का समय मांगा बाकी के रुपए जमा करने के लिए. इस बीच दवा व्यापारी ने लखनऊ स्थित एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स के ऑफिस में जाकर नोटिस को हकीकत जानी तो पता चला वह फर्जी नोटिस है.
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