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सावधान हो जाइए, रिश्तेदारों का नाम लेकर खाते से पैसा उड़ा रहे साइबर ठग - साइबर फ्राड से कैसे बचें

साइबर ठगों ने ठगी का नया तरीका खोजा है. इसके जरिए ये रिश्तेदारों का नाम लेकर ठगी को अंजाम दे रहे हैं. आखिर इनसे कैसे बचा जाए चलिए जानते हैं?

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साइबर एक्सपर्ट की सलाह.
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Published : Aug 20, 2022, 4:04 PM IST

Updated : Aug 20, 2022, 4:12 PM IST

लखनऊ: लोग अपने रिश्तेदारों की कॉल से घबराने लगे हैं. अथिति सत्कार से बचने से नही बल्कि बैंक खाता खाली न हो जाए इस डर से कॉल करने वाले रिश्तेदार की आवाज सुनते ही लोग फोन काट दे रहे हैं. वजह साइबर क्रिमनल्स (cyber criminals) के ठगने का एक खास तरीका है. इसका इस्तेमाल कर ठग शिकार का एक झटके में खाता खाली कर दे रहे हैं. दरअसल, साइबर ठग (cyber fraudsters) लोगों को ठगने के लिए नए-नए हथकंडे अपना रहे हैं. वे किसी को दोस्त तो किसी को रिश्तेदार का परिचित बताकर खाते में रुपये डलवाने का झांसा देते हैं. भरोसा कर पीड़ित कॉल करने वाले की बातों में आ जाता है और उसके बताए गए निर्देशों का पालन करते ही बैंक खाता खाली हो जाता है.

सरोजनीनगर के विकास शुक्ला के मोबाइल में एक अनजान नम्बर से कॉल आई. कॉल करने वाले ने विकास का नाम लेते हुए प्रणाम बोला और कहा कि कैसे हैं...पहचाना? विकास जब तक कुछ कहते उसने कहा कि मैं गुड़िया का पति बोल रहा हूं. कुछ देर सोचने के बाद विकास बोले अरे फूफा जी नमस्कार. कॉल करने वाले ने अभिवादन स्वीकार किया और फिर शुरू हुआ विकास को साइबर जाल में फंसाने का सिलसिला. लखनऊ में रोजाना ऐसी कॉल दर्जनों लोगों के पास आ रही है, कुछ अपनी जागरूकता के चलते बच जा रहे है लेकिन कई साइबर क्रिमिनल्स के जाल में फंसकर अपनी मेहनत की कमाई लुटा चुके हैं.

साइबर एक्सपर्ट की सलाह.
गोमतीनगर विशाल खंड में रहने वाले अलंकार दीक्षित के पास जुलाई के माह में एक अनजान नंबर से कॉल आई थी. कॉल करने वाले ने खुद को उनके ससुर का करीबी दोस्त बताया. अलंकार की कुछ महीने पहले ही शादी हुई थी, जिसके चलते उन्होंने ज्यादा सवाल न करते हुए बातचीत शुरू कर दी. कॉल करने वाले ने झांसे में फंसाया कि उसका कुछ पैसा आने वाले है. वह शहर में नहीं है और उसका डिजिटल वालेट नहीं चल रहा है. आप ऑनलाइन अपने डिजिटल वालेट में पैसा मंगवा लें. उसके बाद उन्हें दोबारा कॉल आई और कॉल करने वाले ने कहा कि अकाउंट वैरीफिकेशन के लिए एक रुपये ट्रांसफर किया. एक रुपये आने पर जैसे ही अलंकार ने हां कहा कॉल करने वाले ने गूगल पे नंबर पर एक लिंक भेजा. जिसमें 10 हजार अकाउंट के साथ पे लिखा था. उन्हें कंफ्यूजन भी हुआ कि वह पेमेंट कर रहे हैं या फिर पेमेंट आ रहा है. लेकिन उन्होंने लिंक ओपन कर लिया और उनके तीन बार में 15 हजार रुपये खाते से उड़ गए.
कैसे शिकार ढूंढते हैं साइबर ठग?
यूपी पुलिस के साइबर सलाहकार राहुल मिश्रा के मुताबिक साइबर क्रिमिनल्स ठगी करने से पहले काफी रिसर्च करते है. इस तरह की ठगी के लिए ये क्रिमिनल्स सोशल मीडिया खासतौर पर फेसबुक में कई प्रोफाइल को देखते है और जिसमें मोबाइल नंबर दिख जाता है, उस प्रोफाइल को अच्छे से स्टडी करते हैं. प्रोफाइल में दोस्तों व रिश्तेदारों के कमेंट पढ़ते है. इसके बाद उन्ही में से किसी एक का नाम प्रयोग कर शिकार को कॉल करते है और फिर पैसा भेजने के लिए कहते हैं.

ये भी पढ़ेंः ATS रिमांड पर आतंकी मोहम्मद नदीम, पूछताछ में इन खौफनाक साजिशों से उठा पर्दा

राहुल मिश्रा के मुताबिक साइबर क्रिमनल्स पैसा भेजने की बात कहने के बाद एक क्यू आर कोड भेजते है. शिकार को इस क्यू आर कोड को स्कैन करने के लिए कहा जाता है जिससे अमाउंट शिकार को मिल जाए. भरोसे में आकर जैसे ही उस क्यू आर कोड को स्कैन कर खाते में पैसे चेक करने के लिए पिन इंटर करते है, खाते से पैसे उड़ जाते है. राहुल के मुताबिक, साइबर ठग जो क्यू आर कोड भेजते है, उसमें यह लिख देते है कि 10 हजार (जितनी रकम भेजी जा रही हो) रिसीवड, जिससे शिकार को लगता है कि उन्हें पैसा मिलेगा जबकि किसी क्यूआर कोड को स्कैन करने से पैसा कटता है, मिलता नहीं.

लखनऊ के साइबर क्राइम सेल प्रभारी रणजीत राय ने बताया कि ऑनलाइन फ्राड के मामले हर रोज ऐसे तरीकों से ही ठगे गए लोग पीड़ित होकर शिकायत लेकर आते है. इस तरह की वारदात मेवाती गैंग अंजाम दे रहा है. एक जनवरी से अब तक 3100 साइबर फ्राड में मामले आ चुके है, ज्यादातर मेवाती गैंग से जुड़े है.


ये भी पढ़ेंः डॉन माफिया राजन तिवारी की जेल हुई ट्रांसफर, गोरखपुर से फतेहगढ़ जेल भेजा गया

लखनऊ: लोग अपने रिश्तेदारों की कॉल से घबराने लगे हैं. अथिति सत्कार से बचने से नही बल्कि बैंक खाता खाली न हो जाए इस डर से कॉल करने वाले रिश्तेदार की आवाज सुनते ही लोग फोन काट दे रहे हैं. वजह साइबर क्रिमनल्स (cyber criminals) के ठगने का एक खास तरीका है. इसका इस्तेमाल कर ठग शिकार का एक झटके में खाता खाली कर दे रहे हैं. दरअसल, साइबर ठग (cyber fraudsters) लोगों को ठगने के लिए नए-नए हथकंडे अपना रहे हैं. वे किसी को दोस्त तो किसी को रिश्तेदार का परिचित बताकर खाते में रुपये डलवाने का झांसा देते हैं. भरोसा कर पीड़ित कॉल करने वाले की बातों में आ जाता है और उसके बताए गए निर्देशों का पालन करते ही बैंक खाता खाली हो जाता है.

सरोजनीनगर के विकास शुक्ला के मोबाइल में एक अनजान नम्बर से कॉल आई. कॉल करने वाले ने विकास का नाम लेते हुए प्रणाम बोला और कहा कि कैसे हैं...पहचाना? विकास जब तक कुछ कहते उसने कहा कि मैं गुड़िया का पति बोल रहा हूं. कुछ देर सोचने के बाद विकास बोले अरे फूफा जी नमस्कार. कॉल करने वाले ने अभिवादन स्वीकार किया और फिर शुरू हुआ विकास को साइबर जाल में फंसाने का सिलसिला. लखनऊ में रोजाना ऐसी कॉल दर्जनों लोगों के पास आ रही है, कुछ अपनी जागरूकता के चलते बच जा रहे है लेकिन कई साइबर क्रिमिनल्स के जाल में फंसकर अपनी मेहनत की कमाई लुटा चुके हैं.

साइबर एक्सपर्ट की सलाह.
गोमतीनगर विशाल खंड में रहने वाले अलंकार दीक्षित के पास जुलाई के माह में एक अनजान नंबर से कॉल आई थी. कॉल करने वाले ने खुद को उनके ससुर का करीबी दोस्त बताया. अलंकार की कुछ महीने पहले ही शादी हुई थी, जिसके चलते उन्होंने ज्यादा सवाल न करते हुए बातचीत शुरू कर दी. कॉल करने वाले ने झांसे में फंसाया कि उसका कुछ पैसा आने वाले है. वह शहर में नहीं है और उसका डिजिटल वालेट नहीं चल रहा है. आप ऑनलाइन अपने डिजिटल वालेट में पैसा मंगवा लें. उसके बाद उन्हें दोबारा कॉल आई और कॉल करने वाले ने कहा कि अकाउंट वैरीफिकेशन के लिए एक रुपये ट्रांसफर किया. एक रुपये आने पर जैसे ही अलंकार ने हां कहा कॉल करने वाले ने गूगल पे नंबर पर एक लिंक भेजा. जिसमें 10 हजार अकाउंट के साथ पे लिखा था. उन्हें कंफ्यूजन भी हुआ कि वह पेमेंट कर रहे हैं या फिर पेमेंट आ रहा है. लेकिन उन्होंने लिंक ओपन कर लिया और उनके तीन बार में 15 हजार रुपये खाते से उड़ गए.
कैसे शिकार ढूंढते हैं साइबर ठग?
यूपी पुलिस के साइबर सलाहकार राहुल मिश्रा के मुताबिक साइबर क्रिमिनल्स ठगी करने से पहले काफी रिसर्च करते है. इस तरह की ठगी के लिए ये क्रिमिनल्स सोशल मीडिया खासतौर पर फेसबुक में कई प्रोफाइल को देखते है और जिसमें मोबाइल नंबर दिख जाता है, उस प्रोफाइल को अच्छे से स्टडी करते हैं. प्रोफाइल में दोस्तों व रिश्तेदारों के कमेंट पढ़ते है. इसके बाद उन्ही में से किसी एक का नाम प्रयोग कर शिकार को कॉल करते है और फिर पैसा भेजने के लिए कहते हैं.

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राहुल मिश्रा के मुताबिक साइबर क्रिमनल्स पैसा भेजने की बात कहने के बाद एक क्यू आर कोड भेजते है. शिकार को इस क्यू आर कोड को स्कैन करने के लिए कहा जाता है जिससे अमाउंट शिकार को मिल जाए. भरोसे में आकर जैसे ही उस क्यू आर कोड को स्कैन कर खाते में पैसे चेक करने के लिए पिन इंटर करते है, खाते से पैसे उड़ जाते है. राहुल के मुताबिक, साइबर ठग जो क्यू आर कोड भेजते है, उसमें यह लिख देते है कि 10 हजार (जितनी रकम भेजी जा रही हो) रिसीवड, जिससे शिकार को लगता है कि उन्हें पैसा मिलेगा जबकि किसी क्यूआर कोड को स्कैन करने से पैसा कटता है, मिलता नहीं.

लखनऊ के साइबर क्राइम सेल प्रभारी रणजीत राय ने बताया कि ऑनलाइन फ्राड के मामले हर रोज ऐसे तरीकों से ही ठगे गए लोग पीड़ित होकर शिकायत लेकर आते है. इस तरह की वारदात मेवाती गैंग अंजाम दे रहा है. एक जनवरी से अब तक 3100 साइबर फ्राड में मामले आ चुके है, ज्यादातर मेवाती गैंग से जुड़े है.


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Last Updated : Aug 20, 2022, 4:12 PM IST
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