लखनऊ : उत्तर प्रदेश में बीते एक साल में 250 करोड़ की साइबर ठगी हुई है. हाल यह है कि हर रोज साइबर अपराधी लोगों की जमा पूंजी उड़ा रहे हैं और साइबर पुलिस की धीमी रफ्तार अपराधियों के इरादों को बल दे रहे हैं. बीते दिनों गृह विभाग ने राज्य के 18 परिक्षेत्रों में बने साइबर थानों में लंबित विवेचनाओं पर नाराजगी भी जाहिर की है. बता दें, उत्तर प्रदेश के हर जिले में लूट, डकैती, चोरी और टप्पेबाजी पर सक्रियता दिखाने वाली पुलिस उस अपराध के प्रति सुस्त है. साइबर अपराध, जिसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद गंभीर हैं. यूपी के मुख्यमंत्री ने राज्य के 18 मंडलों में साइबर थाने खोले, इस मंशा के साथ कि साइबर अपराधों से पीड़ित होने वाले लोगों को उनका ठगा गया पैसा वापस दिलाने के साथ अपराधियों की भी धड़पकड़ की जा सके. हालांकि जमीनी स्तर पर यह होता नहीं दिख रहा. इन 18 साइबर थानों में मुकदमा तो दर्ज कर लिया जा रहा है, लेकिन उनकी विवेचना कछुए की चाल से की जा रही है या यह कहें उन मुकदमों पर ध्यान ही नहीं दिया जा रहा है.
एक साल में दर्ज 216 मामलों में महज 70 की विवेचना : यूपी में योगी सरकार ने 18 मंडलों, जिसमें आगरा, अलीगढ़, प्रयागराज, चित्रकूट, बरेली, मुरादाबाद, बस्ती, गोंडा, गोरखपुर, झांसी, कानपुर, अयोध्या, लखनऊ, नोएडा, सहारनपुर, आजमगढ़, मिर्जापुर व वाराणसी शामिल हैं. बीते एक साल में इन थानों में 5 लाख से से अधिक साइबर ठगी के 216 मुकदमें दर्ज किए गए. इन 216 साइबर ठगी के मामलों में अपराधियों ने 1 अरब 56 करोड़ 12 हजार 695 रुपये की ठगी की थी. साइबर थानों में इन मुकदमों के लिए गम्भीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इन सालों में महज 70 मामलों की ही विवेचना पूरी कर चार्जशीट लगा सकी है. साइबर थानों में धीमी रफ्तार को लेकर राज्य के प्रमुख सचिव गृह भी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं.
शासन ने धीमी विवेचना पर जताई थी नाराजगी : बीते दिनों प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद ने अपर पुलिस महानिदेशक क्राइम को पत्र लिखते हुए कहा था कि यूपी में साइबर अपराधों की विवेचना की रफ्तार बहुत धीमी है. कई मुकदमे ऐसे हैं जो वर्ष 2018 में दर्ज हुए, लेकिन अब भी उनकी विवेचना ही चल रही है. प्रमुख सचिव ने कहा है कि 100 से भी अधिक मामलों की आरोप पत्र (चार्जशीट) दाखिल नहीं हुए हैं, जो काफी चिंताजनक है. हालांकि प्रमुख सचिव के पत्र के बाद चार्जशीट दाखिल करने के लिए साइबर मुख्यालय से सख्त निर्देश जारी कर दिए गए हैं.
10 फीसदी भी नहीं साइबर फ्राड की रिकवरी : राजधानी की ही बात करें तो साइबर फ्राड की रिकवरी के मामले में पुलिस अधिक गंभीर नहीं दिखती है. बीते दो साल में 35 करोड़ का साइबर फ्रॉड हुआ है. जबकि सिर्फ 4.5 करोड़ की रकम को ही रिकवर की जा सकी है. हालांकि या पहले महज तीन प्रतिशत तक ही सीमित था. साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे मानते हैं कि साइबर अपराध को लेकर पुलिस का अभी तक माइंडसेट नहीं हो पाया है. उन्हें लगता है कि चेन स्नेचिंग की घटना में शोर मचता है, उससे लॉ एंड आर्डर बिगड़ने की स्थिति बन सकती है. इसलिए वे ज्यादा सक्रिय दिखते हैं और साइबर ठगी के मामलों को ज्यादा तवज्जो नहीं देते हैं. क्योंकि ये एक तरह का साइलेंट क्राइम है.
अमित बताते हैं कि पूरी दुनिया आर्थिक अपराध को काफी गंभीरता से ले रही है. जबकि स्थानीय पुलिस इस पर सतर्क ही नहीं है. इसके लिए टॉप लेवल के अफसरों को सिस्टम तैयार करना होगा. तभी वर्तमान समय में बड़ी मुसीबत बन चुके साइबर क्राइम को कंट्रोल किया जा सकेगा. पुलिस विभाग के मुताबिक साइबर क्राइम को लेकर पूरी फोर्स गम्भीर है. साइबर क्राइम से जुड़े हर मामलों को साइबर थानों और स्थानीय थानों में दर्ज किया जा रहा है और उनकी विवेचना समयबद्ध तरीके से को जा रही है. यही नहीं लोगों से ठगे हुए पैसों को भी वापस दिलाया जा रहा है. जैसे जैसे संसाधन मजबूत होते जाएंगे, हम साइबर अपराधियों पर शिकंजा कसते जाएंगे.
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