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क्या होती है क्यूरेटिव पिटीशन, जिसे निर्भया के दोषी कर सकते हैं दायर...

दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया केस में चारों दोषियों को मौत की सजा दी है. फांसी का दिन और वक्त 22 जनवरी की सुबह 7 बजे तय किया गया है. इसी बीच दोषियों के वकील एपी सिंह का एक बयान सामने आया है. वकील एपी सिंह का कहना है कि वो अब क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल करेंगे. आइये जानते हैं कि क्या होती है क्यूरेटिव पिटीशन.

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कोर्ट ने निर्भया केस में चारों दोषियों को मौत की सजा दी है.
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Published : Jan 8, 2020, 8:07 PM IST

लखनऊ: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया केस में चारों दोषियों के खिलाफ डेथ वॉरंट जारी कर दिया. दोषियों को फांसी, फांसी का दिन और वक्त मुकर्रर किया जा चुका है. 22 जनवरी की सुबह 7 बजे चारों दोषियों को फांसी के फंदे पर लटकाया जाएगा. इसी बीच दोषियों के वकील एपी सिंह का एक बयान सामने आया है. वकील एपी सिंह का कहना है कि वे अब क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल करेंगे.

कोर्ट ने निर्भया केस में चारों दोषियों को मौत की सजा दी है.

क्या होती है क्यूरेटिव पेटीशन
आइए जानते हैं कि क्या होती है क्यूरेटिव पिटीशन, जिसे फाइल करने की बात की जा रही है. दोषी को सुप्रीम कोर्ट से फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद दोषी सबसे पहले पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकता है. इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट में फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए लगाया जाता है. इस याचिका पर फैसला अगर दोषी के खिलाफ आता है तो दोषी के पास दया याचिका डालने का रास्ता बचता है. इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है.

अगर पुनर्विचार याचिका और दया याचिका दोनों ही खारिज कर दी जाती हैं, तब दोषी के पास एक आखिरी रास्ता बचता है. वो है क्यूरेटिव पिटीशन का. क्यूरेटिव पिटीशन भी सुप्रीम कोर्ट में ही दाखिल होती है. इसमें तय सजा को कम करने की प्रार्थना की जाती है. जैसे कि अगर कोर्ट ने दोषी के लिए फांसी की सजा तय की है, तो क्यूरेटिव पिटीशन के जरिये उसे उम्रकैद में बदला जा सकता है.

अगर किसी की तरफ से क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की जाती है तो उसे ये बताना होगा कि किस आधार पर ये पिटीशन फाइल की जा रही है. इस क्यूरेटिव पिटीशन को कोर्ट के तीन सबसे सीनियर जजों के पास भेजा जाता है. ये जज इस पिटीशन पर अपना अंतिम फैसला सुनाते हैं. एक बार क्यूरेटिव पिटीशन रद हो जाती है तो दोषी के पास फिर कोई रास्ता नहीं बचता.

-अशोक निगम, सीनियर एडवोकेट

लखनऊ: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया केस में चारों दोषियों के खिलाफ डेथ वॉरंट जारी कर दिया. दोषियों को फांसी, फांसी का दिन और वक्त मुकर्रर किया जा चुका है. 22 जनवरी की सुबह 7 बजे चारों दोषियों को फांसी के फंदे पर लटकाया जाएगा. इसी बीच दोषियों के वकील एपी सिंह का एक बयान सामने आया है. वकील एपी सिंह का कहना है कि वे अब क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल करेंगे.

कोर्ट ने निर्भया केस में चारों दोषियों को मौत की सजा दी है.

क्या होती है क्यूरेटिव पेटीशन
आइए जानते हैं कि क्या होती है क्यूरेटिव पिटीशन, जिसे फाइल करने की बात की जा रही है. दोषी को सुप्रीम कोर्ट से फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद दोषी सबसे पहले पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकता है. इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट में फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए लगाया जाता है. इस याचिका पर फैसला अगर दोषी के खिलाफ आता है तो दोषी के पास दया याचिका डालने का रास्ता बचता है. इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है.

अगर पुनर्विचार याचिका और दया याचिका दोनों ही खारिज कर दी जाती हैं, तब दोषी के पास एक आखिरी रास्ता बचता है. वो है क्यूरेटिव पिटीशन का. क्यूरेटिव पिटीशन भी सुप्रीम कोर्ट में ही दाखिल होती है. इसमें तय सजा को कम करने की प्रार्थना की जाती है. जैसे कि अगर कोर्ट ने दोषी के लिए फांसी की सजा तय की है, तो क्यूरेटिव पिटीशन के जरिये उसे उम्रकैद में बदला जा सकता है.

अगर किसी की तरफ से क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की जाती है तो उसे ये बताना होगा कि किस आधार पर ये पिटीशन फाइल की जा रही है. इस क्यूरेटिव पिटीशन को कोर्ट के तीन सबसे सीनियर जजों के पास भेजा जाता है. ये जज इस पिटीशन पर अपना अंतिम फैसला सुनाते हैं. एक बार क्यूरेटिव पिटीशन रद हो जाती है तो दोषी के पास फिर कोई रास्ता नहीं बचता.

-अशोक निगम, सीनियर एडवोकेट

Intro:खबर के संदर्भ में धीरज जी ने लाइव यू से बाइट भेजी है

एंकर


लखनऊ। वर्ष 2012 में हुए बहुचर्चित निर्भया दुष्कर्म मामले में सुप्रीम कोर्ट में चारों मुजरिम को फांसी की सजा सुनाई है। डेथ वारंट के तहत 22 जनवरी को सुबह 7:00 बजे चारों मुजरिम को फांसी की सजा दी जाएगी। हालाकी, अभी चारों आरोपियों के पास क्यूरेटिव( उपचारात्मक) पिटीशन का मौका है। पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने चारों मुलजिम की ओर से दाखिल की गई थी रिव्यू पिटिशन को खारिज कर दिया है। वही चारों मुलजिम द्वारा राष्ट्रपति को भेजी गई मर्सी पिटिशन को भी खारिज किया जा चुकी है ऐसे में अब चारों आरोपियों के पास सिर्फ क्यूरेटिव पिटिशन का अंतिम मौका बचा है।




Body:वियो

सुप्रीम कोर्ट के वकील अशोक निगम ने ईटीवी से बातचीत में जानकारी दी कि आरोपियों के लिए अंतिम मौका होता है। निर्भया कांड में दोषी सिद्ध चारों आरोपी क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल कर सकते हैं। क्यूरेटिव पिटिशन सके माध्यम से मुजरिम सजा में नरमी की गुहार लगा सकते हैं। हालांकि, पिटिशन मे यह बताना जरूरी है कि वह किस आधार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चैलेंज कर रहे हैं। क्यूरेटिव पिटिशन अंतिम मौका होता है इसके बाद मुजरिम के पास कोई रास्ता नहीं बचता है। अशोक निगम ने जानकारी देते हुए बताया कि 2002 में क्यूरेटिव पिटिशन का पहला मामला सामने आया था। निगम ने क्यूरेटिव पिटीशन की टेक्निकलटी बताते हुए कहा कि यह पिटिशन किसी सीनियर वकील द्वारा सर्टिफाइड होनी चाहिए। जिसके बाद इस पिटिशन को फैसला सुनाने वाले जजों को व कोर्ट के सीनियर मोस्ट जजों को भेजी जाती है। जजों को लगता है कि फैसले पर सुनवाई होनी चाहिए तो फिर रिव्यू पिटिशन स्वीकार होती है।

बाइट- अशोक निगम, अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट





Conclusion:(संवाददाता प्रशांत मिश्रा 90 2639 25 26)
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