लखनऊ: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया केस में चारों दोषियों के खिलाफ डेथ वॉरंट जारी कर दिया. दोषियों को फांसी, फांसी का दिन और वक्त मुकर्रर किया जा चुका है. 22 जनवरी की सुबह 7 बजे चारों दोषियों को फांसी के फंदे पर लटकाया जाएगा. इसी बीच दोषियों के वकील एपी सिंह का एक बयान सामने आया है. वकील एपी सिंह का कहना है कि वे अब क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल करेंगे.
क्या होती है क्यूरेटिव पेटीशन
आइए जानते हैं कि क्या होती है क्यूरेटिव पिटीशन, जिसे फाइल करने की बात की जा रही है. दोषी को सुप्रीम कोर्ट से फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद दोषी सबसे पहले पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकता है. इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट में फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए लगाया जाता है. इस याचिका पर फैसला अगर दोषी के खिलाफ आता है तो दोषी के पास दया याचिका डालने का रास्ता बचता है. इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है.
अगर पुनर्विचार याचिका और दया याचिका दोनों ही खारिज कर दी जाती हैं, तब दोषी के पास एक आखिरी रास्ता बचता है. वो है क्यूरेटिव पिटीशन का. क्यूरेटिव पिटीशन भी सुप्रीम कोर्ट में ही दाखिल होती है. इसमें तय सजा को कम करने की प्रार्थना की जाती है. जैसे कि अगर कोर्ट ने दोषी के लिए फांसी की सजा तय की है, तो क्यूरेटिव पिटीशन के जरिये उसे उम्रकैद में बदला जा सकता है.
अगर किसी की तरफ से क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की जाती है तो उसे ये बताना होगा कि किस आधार पर ये पिटीशन फाइल की जा रही है. इस क्यूरेटिव पिटीशन को कोर्ट के तीन सबसे सीनियर जजों के पास भेजा जाता है. ये जज इस पिटीशन पर अपना अंतिम फैसला सुनाते हैं. एक बार क्यूरेटिव पिटीशन रद हो जाती है तो दोषी के पास फिर कोई रास्ता नहीं बचता.
-अशोक निगम, सीनियर एडवोकेट