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पिता की हत्या की तहरीर लेकर ढाई महीने तक भटकता रहा बेटा, कमिश्नर के पास पहुंचा तब हुई FIR

लखनऊ (Lucknow Crime News) में एक युवक ढाई महीने तक अपने पिता की हत्या की एफआईआर लिखवाने लिए थाने के चक्कर लगाता रहा. लेकिन, उसकी सुनवाई नहीं हुई. अब कमिश्नर के आदेश पर FIR दर्ज की (FIR On Commissioner Order) गई है.

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ढाई महीने तक भटकता रहा बेटा
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 15, 2023, 6:17 PM IST

पिता की हत्या की तहरीर लेकर ढाई महीने तक भटकता रहा बेटा

लखनऊ: 'साहब मेरे पिता की हत्या कर दी गई थी. लेकिन, पुलिस हत्या को दुर्घटना बता रही है. कई बार थाने पर जाकर शिकायत की. लेकिन, किसी ने सुनवाई नहीं की. हत्या के ठीक बाद पुलिस से संपर्क किया गया था. जिसपर पुलिस ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ जाएगी, उसके बाद FIR दर्ज होगी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ गई, जिसमें चोटों का जिक्र है. इसके बाद भी पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं कर रही'. रामकरण राजपूत नाम का एक व्यक्ति अपनी यह फरियाद लेकर लखनऊ पुलिस कमिश्नर एसबी शिरोडकर के पास पहुंचा.

कमिश्नर ने गंभीरता से मामले को सुना और संबंधित जोन के अधिकारियों को कार्रवाई के निर्देश दिए. लखनऊ पुलिस कमिश्नर के हस्तक्षेप के बाद बीकेटी पुलिस ने रामकरन राजपूत की शिकायत पर दो महीने 19 दिन बाद हत्या की धारा 302 में एफआईआर दर्ज की है. इंस्पेक्टर बीकेटी राणा राजेश कुमार सिंह ने बताया कि पीड़ित की शिकायत पर एफआईआर दर्ज कर ली गई है.

ढाई महीने बाद क्यों दर्ज की FIR: भले ही लखनऊ पुलिस कमिश्नर एसबी शिरोडकर के संज्ञान में मामला आने के बाद बीकेटी पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली हो. लेकिन, सवाल यह खड़े हो रहे हैं कि आखिर पुलिस ने पिछले ढाई महीने में यह FIR क्यों दर्ज नहीं की. अगर FIR दर्ज होने वाला मामला नहीं था, तो फिर अब FIR क्यों दर्ज की गई. सवाल यह भी खड़े हो रहे हैं कि अब ढाई महीने के बाद पुलिस कैसे इस मामले में साइंटिफिक एविडेंस जुटाएगी. माना जाता है कि घटना के बाद जितना समय बीत जाता है, मामले का खुलासा करना उतना ही कठिन हो जाता है. सवाल ये भी है कि हत्या जैसे गंभीर मामले में ऐसा संवेदनहीन रवैया रखने वालों पर क्या कार्रवाई होती है.

26 जून को दी तहरीर, 14 अक्टूबर को दर्ज हुआ मुकदमा: पीड़ित रामकरन राजपूत ने मुकदमा दर्ज होने के बाद ईटीवी से खास बातचीत में लखनऊ पुलिस कमिश्नर, जोन के डीसीपी व संबंधित एसीपी का धन्यवाद कहां. भले ही शिकायतकर्ता अधिकारियों को FIR दर्ज होने के बाद धन्यवाद दे रहे हैं. लेकिन, कमिश्नर को दी गई अपनी शिकायत में शिकायतकर्ता ने बताया है कि कई बार जोन के अधिकारियों से मिलने के बाद भी उसकी एफआईआर दर्ज नहीं की गई. अपनी शिकायत में शिकायतकर्ता ने बताया कि 26 जुलाई को बीकेटी थाने में उसने लिखित तहरीर दी थी. इस दौरान कोई कार्रवाई नहीं की गई. इसके बाद पुलिस उपायुक्त उत्तरी को 6 अक्टूबर को शिकायत की गई. इसमें बताया गया कि 26 जुलाई को दी गई शिकायत पर अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई है. पुलिस उपायुक्त ने कार्रवाई के लिए थाने को निर्देशित किया. लेकिन, इसके बावजूद भी FIR दर्ज नहीं हुई.

पीड़ित का आरोप, पुलिस ने टरकाया: रामकरन का कहना है कि अब उम्मीद जगी है कि मुझे न्याय मिलेगा. हालांकि, थाने की कार्रवाई पर अभी भी रामकरन को संशय है. रामकरण ने तात्कालिक इंस्पेक्टर को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा है कि जब वह शिकायत करने के लिए थाने पहुंचे, तो इंस्पेक्टर ने उन्हें पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद FIR दर्ज करने की बात कही. जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई उसके बाद भी FIR नहीं लिखी गई. पीड़ित ने बताया कि 23 जुलाई को उसके पिता की हत्या कर दी गई थी. पुलिस को गुमराह करने के लिए हत्या को एक्सीडेंट का रूप दिया गया था. रामकरन इस मामले की निष्पक्ष जांच चाहते हैं.

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पिता की हत्या की तहरीर लेकर ढाई महीने तक भटकता रहा बेटा

लखनऊ: 'साहब मेरे पिता की हत्या कर दी गई थी. लेकिन, पुलिस हत्या को दुर्घटना बता रही है. कई बार थाने पर जाकर शिकायत की. लेकिन, किसी ने सुनवाई नहीं की. हत्या के ठीक बाद पुलिस से संपर्क किया गया था. जिसपर पुलिस ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ जाएगी, उसके बाद FIR दर्ज होगी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ गई, जिसमें चोटों का जिक्र है. इसके बाद भी पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं कर रही'. रामकरण राजपूत नाम का एक व्यक्ति अपनी यह फरियाद लेकर लखनऊ पुलिस कमिश्नर एसबी शिरोडकर के पास पहुंचा.

कमिश्नर ने गंभीरता से मामले को सुना और संबंधित जोन के अधिकारियों को कार्रवाई के निर्देश दिए. लखनऊ पुलिस कमिश्नर के हस्तक्षेप के बाद बीकेटी पुलिस ने रामकरन राजपूत की शिकायत पर दो महीने 19 दिन बाद हत्या की धारा 302 में एफआईआर दर्ज की है. इंस्पेक्टर बीकेटी राणा राजेश कुमार सिंह ने बताया कि पीड़ित की शिकायत पर एफआईआर दर्ज कर ली गई है.

ढाई महीने बाद क्यों दर्ज की FIR: भले ही लखनऊ पुलिस कमिश्नर एसबी शिरोडकर के संज्ञान में मामला आने के बाद बीकेटी पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली हो. लेकिन, सवाल यह खड़े हो रहे हैं कि आखिर पुलिस ने पिछले ढाई महीने में यह FIR क्यों दर्ज नहीं की. अगर FIR दर्ज होने वाला मामला नहीं था, तो फिर अब FIR क्यों दर्ज की गई. सवाल यह भी खड़े हो रहे हैं कि अब ढाई महीने के बाद पुलिस कैसे इस मामले में साइंटिफिक एविडेंस जुटाएगी. माना जाता है कि घटना के बाद जितना समय बीत जाता है, मामले का खुलासा करना उतना ही कठिन हो जाता है. सवाल ये भी है कि हत्या जैसे गंभीर मामले में ऐसा संवेदनहीन रवैया रखने वालों पर क्या कार्रवाई होती है.

26 जून को दी तहरीर, 14 अक्टूबर को दर्ज हुआ मुकदमा: पीड़ित रामकरन राजपूत ने मुकदमा दर्ज होने के बाद ईटीवी से खास बातचीत में लखनऊ पुलिस कमिश्नर, जोन के डीसीपी व संबंधित एसीपी का धन्यवाद कहां. भले ही शिकायतकर्ता अधिकारियों को FIR दर्ज होने के बाद धन्यवाद दे रहे हैं. लेकिन, कमिश्नर को दी गई अपनी शिकायत में शिकायतकर्ता ने बताया है कि कई बार जोन के अधिकारियों से मिलने के बाद भी उसकी एफआईआर दर्ज नहीं की गई. अपनी शिकायत में शिकायतकर्ता ने बताया कि 26 जुलाई को बीकेटी थाने में उसने लिखित तहरीर दी थी. इस दौरान कोई कार्रवाई नहीं की गई. इसके बाद पुलिस उपायुक्त उत्तरी को 6 अक्टूबर को शिकायत की गई. इसमें बताया गया कि 26 जुलाई को दी गई शिकायत पर अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई है. पुलिस उपायुक्त ने कार्रवाई के लिए थाने को निर्देशित किया. लेकिन, इसके बावजूद भी FIR दर्ज नहीं हुई.

पीड़ित का आरोप, पुलिस ने टरकाया: रामकरन का कहना है कि अब उम्मीद जगी है कि मुझे न्याय मिलेगा. हालांकि, थाने की कार्रवाई पर अभी भी रामकरन को संशय है. रामकरण ने तात्कालिक इंस्पेक्टर को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा है कि जब वह शिकायत करने के लिए थाने पहुंचे, तो इंस्पेक्टर ने उन्हें पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद FIR दर्ज करने की बात कही. जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई उसके बाद भी FIR नहीं लिखी गई. पीड़ित ने बताया कि 23 जुलाई को उसके पिता की हत्या कर दी गई थी. पुलिस को गुमराह करने के लिए हत्या को एक्सीडेंट का रूप दिया गया था. रामकरन इस मामले की निष्पक्ष जांच चाहते हैं.

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