लखनऊ: आईएएस अधिकारी अनुराग तिवारी की मौत की गुत्थी को सुलझाने में नाकामयाब रही सीबीआई अब अपनी क्लोजर रिपोर्ट को सही साबित करने के लिए हाईकोर्ट का सहारा ले सकती है. बताते चलें गुरुवार को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने सीबीआई द्वारा आईएएस अनुराग तिवारी की मौत के मामले में दाखिल की गई क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया था. जिसके बाद अब सीबीआई को इस मामले की नए सिरे से जांच करनी है. सीबीआई को हर महीने जांच की प्रगति रिपोर्ट कोर्ट के सामने पेश करनी है.
हालांकि, यह जानकारी मिल रही है कि सीबीआई क्लोजर रिपोर्ट को सही बताते हुए हाईकोर्ट का सहारा ले सकती हैं. नूतन ठाकुर ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि सीबीआई की स्पेशल कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई अपने आप को सही साबित करने व आईएएस अनुराग तिवारी मौत की जांच करने से बचने के लिए हाईकोर्ट जा सकती है, लेकिन हाईकोर्ट से उसे रिलीफ मिलने की संभावनाएं कम है.
17 मई 2017 को सुबह राजधानी लखनऊ के पॉस इलाके हजरतगंज के वीवीआईपी गेस्ट हाउस के पास कर्नाटक कैडर के आईएएस अधिकारी अनुराग तिवारी मृत अवस्था में पाए गए थे. सड़क किनारे मृत पाए गए आईएएस अधिकारी की मौत को लेकर उस समय खूब हल्ला हुआ था. हजरतगंज थाने में भाई मयंक ने हत्या के तहत एफआईआर दर्ज कराई थी. हालांकि एफआईआर में किसी को नामजद आरोपी नहीं बनाया गया था. बाद में इस जांच को सीबीआई के हवाले कर दिया गया. सीबीआई ने जांच की और 2 साल बाद जून 2019 में 23 पन्नों की क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी.
क्लोजर रिपोर्ट पर खड़े हुए सवाल
सीबीआई की विशेष कोर्ट के फैसले के बाद मृतक आईएएस अनुराग तिवारी के भाई मयंक ने सीबीआई जांच को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं. मयंक का कहना है कि सीबीआई ने गंभीरता से जांच नहीं की है न ही उनके द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब सीबीआई ने दिए हैं. अनुराग ने सवाल खड़े करते हुए कहा है कि उनके भाई का मोबाइल ट्रिपल सिक्योरिटी लॉक पर था. लेकिन जब उनका फोन मिला तो वह अनलॉक था. आखिर किसने उनके फोन को अनलॉक किया था. मयंक ने सीबीआई की जांच पर सवाल खड़े करते हुए कहा है उनके द्वारा दिए गए बयानों को सीबीआई ने बदल कर प्रस्तुत किया. अनुराग ने सीबीआई जांच पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जहां एक और पुलिस या नहीं पता लगा पाई है कि अनुराग तिवारी के मोबाइल का पासवर्ड किसने खोला, तो वहीं दूसरी ओर अनुराग के इलेक्ट्रॉनिक गैजेट का पासवर्ड भी खोलने और सबूत जुटाने में सीबीआई ने लापरवाही की है.
अनुराग की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का समय रात के करीब 12:30 बजे का है. ऐसे में यह सवाल अभी तक बरकरार है कि अनुराग की डेड बॉडी सुबह सड़क पर कैसे आई. मयंक का कहना है कि उन्होंने 4 लोगों को आरोपी बनाया था, लेकिन सीबीआई की टीम ने सिर्फ 2 लोगों को आरोपी मानते हुए जांच की. मयंक ने कहा कि सीबीआई ने अपनी जांच में सिर्फ खानापूर्ति की है.
अनुराग तिवारी उत्तर प्रदेश के बहराइच के रहने वाले थे. घटना 17 मई 2017 से ठीक 2 दिन पहले 15 मई 2017 को अनुराग तिवारी राजधानी लखनऊ के वीवीआईपी गेस्ट हाउस के कमरा नंबर 19 में ठहरे थे. 17 मई को वह गेस्ट हाउस के बाहर मृत पाए गए. अनुराग तिवारी की मौत की गुत्थी अभी तक सुलझ नहीं पाई है. अपनी एफआईआर में अनुराग तिवारी के भाई मयंक ने कहा था कि अनुराग तिवारी के ऊपर घोटाले की एक फाइल पर साइन करने का लगातार दबाव बनाया जा रहा है. 2 महीने पहले उन्होंने खुद की जान के खतरे की बात कही थी. बताते चलें अनुराग बेंगलुरु में फूड सिविल सप्लाई एवं कंज्यूमर अफेयर्स डिपार्टमेंट में कमिश्नर के पद पर तैनात थे.
सीबीआई इंस्पेक्टर व इस मामले के विवेचक पूरण कुमार ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी. उन्होंने अपने 23 पन्ने की क्लोजर रिपोर्ट में मेडिकल रिपोर्ट व अन्य तथ्यों का हवाला देते हुए आईएएस अनुराग की मौत का कारण सड़क पर अचानक गिरने को बताया था. क्लोजर रिपोर्ट में अनुराग को एक ईमानदार अधिकारी बताया गया था और यह भी बताया गया था कि 10 साल में उनका 8 बार तबादला हुआ. क्लोजर रिपोर्ट में हत्या या आत्महत्या किसी के भी सबूत नहीं पेश किए गए थे. क्लोजर रिपोर्ट में बताया गया था कि घटना से पहले अनुराग तिवारी के व्यवहार में कोई असमान्य परिवर्तन देखने को नहीं मिली था. परिजनों ने जो आरोप लगाए थे. उनकी जांच की गई, लेकिन उस संदर्भ में कोई सबूत सीबीआई को नहीं मिले.