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लखनऊ: शादी के 38 साल बाद 54 वर्षीय महिला ने जुड़वा बच्चों को दिया जन्म - कोविड-19

केजीएमयू के क्वीन मैरी प्रसूति रोग विभाग में शादी के 38 साल बाद 54 वर्षीय महिला ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया है. सोमवार को महिला गर्भावस्था के दौरान इमरजेंसी में शाहजहांपुर से क्वीन मैरी लाई गई थी.

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केजीएमयू का क्वीन मैरी प्रसूति रोग विभाग
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Published : Apr 17, 2020, 7:58 PM IST

लखनऊ: केजीएमयू के क्वीन मैरी प्रसूति रोग विभाग में शादी के 38 सालों बाद 62 वर्षीय पति और 54 वर्षीय पत्नी ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया है. उनके घर में गूंजी यह किलकारियां सुखद संकेत हो सकती हैं, लेकिन डॉक्टरों ने इस उम्र में माता-पिता बनने के कुछ रिस्क फैक्टर्स भी बताए हैं.

शादी के 38 साल बाद घर में गूंजी किलकारियां

केजीएमयू के क्वीन मैरी स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. एसपी जैसवार ने बताया कि सोमवार प्रसूता को इमरजेंसी में शाहजहांपुर से क्वीन मैरी लाया गया था. गर्भवती महिला जुड़वा बच्चों की 30 हफ्ते की प्रेगनेंसी के साथ हमारी इमरजेंसी में आई थी. उनका ब्लड प्रेशर बढ़ने के साथ उनकी हालत भी थोड़ी खराब हो रही थी.

डॉ. जैसवार ने बताया कि सिजेरियन के माध्यम से हमने जुड़वा बच्चों की डिलीवरी कराई है. जच्चा और बच्चे स्वस्थ हैं. जुड़वा बच्चों में एक बच्चे का वजन कम है. इस वजह से उसे अभी पीडियाट्रिक विभाग में ही भर्ती करवाया गया है.

दंपति को बरतनी पडे़गी सावधानियां

डॉ. जैसवार के मुताबिक इस उम्र में दंपत्ति ने प्राकृतिक रूप से गर्भधारण किया है और जच्चा बच्चा स्वस्थ हैं, लेकिन इस उम्र में प्रसूता को गर्भधारण करने में कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता था. इसके अलावा इस उम्र में गर्भधारण करने के बाद जन्म हुए बच्चों में भी कई तरह की परेशानियां देखने को मिल सकती हैं.

बच्चे को डाउन सिंड्रोम, मेंटल रेटारडेशन और कंजनाइटल परेशानियां भी हो सकती हैं. इसके अलावा मां में हैपरटेंशन, रीनल फेलियर, लैटेशन की परेशानियां देखने को मिल सकती हैं.
शाहजहांपुर से आए 62 वर्षीय राम दर्शन और 54 वर्षीय श्यामा देवी जुड़वा बच्चों के अभिवावक तो बन गए हैं, लेकिन डॉक्टर के अनुसार उन्हें आगे आने वाले समय में कई सावधानियां बरतनी पड़ेगी.

इसे भी पढ़ें:-राजस्थान में फंसे कोचिंग छात्रों को लाने के लिए झांसी से रवाना हुई 100 बसें पहुंची कोटा

एक दंपत्ति के आदर्श गर्भधारण करने की उम्र 20 वर्ष के बाद और 30 वर्ष तक की होती है. इस उम्र के बाद सही अंडाशय में बनने वाले अंडों की प्रक्रिया में भी बदलाव आ जाते हैं और हार्मोनल बदलाव की वजह से गर्भ धारण करने में भी परेशानियां हो सकती हैं.
-डॉ. एसपी जैसवार, एमएस, क्वीन मैरी अस्पताल, केजीएमयू

लखनऊ: केजीएमयू के क्वीन मैरी प्रसूति रोग विभाग में शादी के 38 सालों बाद 62 वर्षीय पति और 54 वर्षीय पत्नी ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया है. उनके घर में गूंजी यह किलकारियां सुखद संकेत हो सकती हैं, लेकिन डॉक्टरों ने इस उम्र में माता-पिता बनने के कुछ रिस्क फैक्टर्स भी बताए हैं.

शादी के 38 साल बाद घर में गूंजी किलकारियां

केजीएमयू के क्वीन मैरी स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. एसपी जैसवार ने बताया कि सोमवार प्रसूता को इमरजेंसी में शाहजहांपुर से क्वीन मैरी लाया गया था. गर्भवती महिला जुड़वा बच्चों की 30 हफ्ते की प्रेगनेंसी के साथ हमारी इमरजेंसी में आई थी. उनका ब्लड प्रेशर बढ़ने के साथ उनकी हालत भी थोड़ी खराब हो रही थी.

डॉ. जैसवार ने बताया कि सिजेरियन के माध्यम से हमने जुड़वा बच्चों की डिलीवरी कराई है. जच्चा और बच्चे स्वस्थ हैं. जुड़वा बच्चों में एक बच्चे का वजन कम है. इस वजह से उसे अभी पीडियाट्रिक विभाग में ही भर्ती करवाया गया है.

दंपति को बरतनी पडे़गी सावधानियां

डॉ. जैसवार के मुताबिक इस उम्र में दंपत्ति ने प्राकृतिक रूप से गर्भधारण किया है और जच्चा बच्चा स्वस्थ हैं, लेकिन इस उम्र में प्रसूता को गर्भधारण करने में कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता था. इसके अलावा इस उम्र में गर्भधारण करने के बाद जन्म हुए बच्चों में भी कई तरह की परेशानियां देखने को मिल सकती हैं.

बच्चे को डाउन सिंड्रोम, मेंटल रेटारडेशन और कंजनाइटल परेशानियां भी हो सकती हैं. इसके अलावा मां में हैपरटेंशन, रीनल फेलियर, लैटेशन की परेशानियां देखने को मिल सकती हैं.
शाहजहांपुर से आए 62 वर्षीय राम दर्शन और 54 वर्षीय श्यामा देवी जुड़वा बच्चों के अभिवावक तो बन गए हैं, लेकिन डॉक्टर के अनुसार उन्हें आगे आने वाले समय में कई सावधानियां बरतनी पड़ेगी.

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एक दंपत्ति के आदर्श गर्भधारण करने की उम्र 20 वर्ष के बाद और 30 वर्ष तक की होती है. इस उम्र के बाद सही अंडाशय में बनने वाले अंडों की प्रक्रिया में भी बदलाव आ जाते हैं और हार्मोनल बदलाव की वजह से गर्भ धारण करने में भी परेशानियां हो सकती हैं.
-डॉ. एसपी जैसवार, एमएस, क्वीन मैरी अस्पताल, केजीएमयू

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