लखनऊ: जिले में ऊर्जा निगमों में भ्रष्टाचार के खिलाफ बिजलीकर्मियों ने आवाज उठाई है. सोमवार को अपनी मांगों को लेकर निगम चेयरमैन एम. देवराज को ज्ञापन सौंपा है. साथ ही 15 मार्च से प्रदेश के सभी बिजली अभियन्ता और जूनियर इंजीनियर संगठन असयोग आंदोलन करेंगे. जूनियर इंजीनियरों ने ज्ञापन में ईआरपी, बिजली खरीद में हुए घोटाले में उचित कार्रवाई करने की मांग है.
बिजलीकर्मियों ने कहा कि विगत वर्ष 2020 में लाखों उपभोक्ताओं की विद्युत आपूर्ति ठप करने की दोषी निजी कम्पनी पर एक्शन लिया जाए. साथ ही प्रबंधन को अल्टीमेटम देते हुए नियम विरुद्ध उत्पीड़नात्मक कार्रवाई निरस्त नहीं करने पर 15 मार्च को असयोग आंदोलन करने की बात कही है. प्रबंधन के भ्रष्ट निजी कंपनी को संरक्षण देने से बिजली कर्मचारी काफी आक्रोशित है.
पीठासीन अधिकारी पर दूसरे का वोट डालने का आरोप, बाहुबली धनंजय सिंह ने मजिस्ट्रेट से की शिकायत
अभियन्ता संघ के वरिष्ठ आधिकारियों ने बताया कि उत्तर प्रदेश बिजली निगमों में ईआरपी प्रणाली लागू कराने करीब 700 करोड़ रुपये का खर्च ऊर्जा निगम प्रबंधन द्वारा किया गया है. जोकि अन्य प्रदेशों की तुलना में कई गुना अधिक है. इसमें साफ तौर पर भ्रष्टाचार नजर आ रहा है. बता दें कि महाराष्ट्र में करीब 90 करोड़ रुपये, आंध्रप्रदेश में करीब 25 करोड़, तमिलनाडु में करीब 40 करोड़ ईआरपी में खर्च किए गए. लेकिन यूपी में इतनी बड़ी धनराशि ईआरपी में व्यय की गई है. इतना ही नहीं विद्युत उत्पादन निगम को कोल इण्डिया लिमिटेड का कुछ करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया गया, बल्कि कृत्रिम बिजली संकट के दौरान एनर्जी एक्सचेंज से 20-21 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदी गई.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप