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Corruption case of Prof Vinay Pathak : सीबीआई जांच के खिलाफ वादी की याचिका पर आदेश सुरक्षित

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Published : Feb 9, 2023, 8:17 PM IST

Updated : Feb 9, 2023, 9:10 PM IST

कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफसर विनय पाठक (Corruption case of Prof Vinay Pathak) पर लगे भ्रष्टाचार और वसूली केस की जांच सीबीआई से कराने वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है. अदालत अपना फैसला 13 फरवरी को सुनाएगी.

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लखनऊ : कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय पाठक के खिलाफ इंदिरानगर थाने में दर्ज वसूली व भ्रष्टाचार मामले की जांच सीबीआई से कराने के राज्य सरकार के फैसले के विरुद्ध वादी डेविड मारियो डेनिस की याचिका पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपना आदेश सुरक्षित कर लिया है. न्यायालय ने कहा है कि वह अपना आदेश 13 फरवरी को सुनाएगी. गुरुवार को न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार जौहरी की खंडपीठ के समक्ष वादी डेविड मारियो डेनिस की याचिका पर बहस हुई. याचिका का एडिश्नल सॉलिसीटर जनरल एसबी पांडेय द्वारा विरोध किया गया. न्यायालय ने सुनवाई के पश्चात अपना आदेश सुरक्षित कर लिया है.


उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व 9 जनवरी को वादी ने अपनी याचिका सीबीआई जांच सम्बन्धी नोटिफिकेशन संलग्न न होने के कारण बेहतर याचिका दाखिल करने की अनुमति के साथ वापस ले ली थी. वर्तमान याचिका में भी वादी ने मामले की जांच सीबीआई से कराने के फैसले को चुनौती दी है. कहा गया है कि एसटीएफ ने मामले की जांच लगभग पूरी कर ली थी व चार्ज शीट दाखिल करने वाली थी, लेकिन अचानक से जांच सीबीआई को दे कर मामले के अभियुक्तों प्रोफेसर विनय पाठक व उसके सहयोगी अजय मिश्रा के मदद का प्रयास किया जा रहा है. बहस के दौरान यह भी दलील दी गई कि जांच सीबीआई को स्थानांतरित करने में प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया.


वहीं याचिका का विरोध करते हुए एडिश्नल सॉलिसीटर जनरल एसबी पांडेय ने दलील दी कि जांच ट्रांसफर करने में किसी प्रकार की कोई अनियमितता नहीं हुई है. कहा गया कि वादी ने स्वयं पैसा देने की बात स्वीकारी है व इसकी पुलिस को सूचना भी काफी विलम्ब से दी. जबकि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत उसे सात दिनों में सूचना देनी चाहिए थी.


यह भी पढ़ें : Bullet train : HC ने बुलेट ट्रेन के खिलाफ याचिका खारिज की, कहा- परियोजना देश के लिए महत्वपूर्ण

लखनऊ : कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय पाठक के खिलाफ इंदिरानगर थाने में दर्ज वसूली व भ्रष्टाचार मामले की जांच सीबीआई से कराने के राज्य सरकार के फैसले के विरुद्ध वादी डेविड मारियो डेनिस की याचिका पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपना आदेश सुरक्षित कर लिया है. न्यायालय ने कहा है कि वह अपना आदेश 13 फरवरी को सुनाएगी. गुरुवार को न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार जौहरी की खंडपीठ के समक्ष वादी डेविड मारियो डेनिस की याचिका पर बहस हुई. याचिका का एडिश्नल सॉलिसीटर जनरल एसबी पांडेय द्वारा विरोध किया गया. न्यायालय ने सुनवाई के पश्चात अपना आदेश सुरक्षित कर लिया है.


उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व 9 जनवरी को वादी ने अपनी याचिका सीबीआई जांच सम्बन्धी नोटिफिकेशन संलग्न न होने के कारण बेहतर याचिका दाखिल करने की अनुमति के साथ वापस ले ली थी. वर्तमान याचिका में भी वादी ने मामले की जांच सीबीआई से कराने के फैसले को चुनौती दी है. कहा गया है कि एसटीएफ ने मामले की जांच लगभग पूरी कर ली थी व चार्ज शीट दाखिल करने वाली थी, लेकिन अचानक से जांच सीबीआई को दे कर मामले के अभियुक्तों प्रोफेसर विनय पाठक व उसके सहयोगी अजय मिश्रा के मदद का प्रयास किया जा रहा है. बहस के दौरान यह भी दलील दी गई कि जांच सीबीआई को स्थानांतरित करने में प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया.


वहीं याचिका का विरोध करते हुए एडिश्नल सॉलिसीटर जनरल एसबी पांडेय ने दलील दी कि जांच ट्रांसफर करने में किसी प्रकार की कोई अनियमितता नहीं हुई है. कहा गया कि वादी ने स्वयं पैसा देने की बात स्वीकारी है व इसकी पुलिस को सूचना भी काफी विलम्ब से दी. जबकि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत उसे सात दिनों में सूचना देनी चाहिए थी.


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Last Updated : Feb 9, 2023, 9:10 PM IST
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