लखनऊ : यूपी में कोरोना के डेढ़ साल हो गए हैं. अब तक लाखों की आबादी जहां वायरस की चपेट में आ चुकी है, वहीं हजारों को महामारी निगल चुकी है. राहत की बात है अब तक यह है कि दोनों लहरें बच्चों को ज्यादा नहीं डिगा सकीं. इसी को ध्यान में रखते हुए स्वस्थ्य विभाग तीसरी लहर से निपटने का प्लान तैयार कर रहा है.
दरअसल, अक्टूबर में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका जताई गई है. इसके बचाव के लिए वैक्सीनेशन पर जोर दिया जा रहा है. यूपी की 18 वर्ष से ऊपर 48 फीसद आबादी कोरोना रक्षक टीके की पहली डोज से कवर हो चुकी है. वहीं अधिक से अधिक लोगों को टीकाकरण करने का प्रयास जारी है, लेकिन बच्चों के बचाव के लिए कोरोना रोधी वैक्सीन का देश में इंतजार है. लिहाजा एक्सपर्ट कमेटी ने तीसरी लहर में बच्चों में अधिक संक्रमण फैलने की आशंका जताई है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने तीसरी लहर से निपटने के लिए पहली व दूसरी लहर के प्रभावों का आंकलन किया. स्टेट नोडल ऑफीसर कोविड डॉ विकासेंदु अग्रवाल के मुताबिक यूपी में अब तक 17 लाख 9 हजार 555 लोग कोरोना की चपेट में आए हैं. इसमें 0 से 10 साल तक के 2.88 फीसद बच्चे ही वायरस की चपेट में आए हैं। वहीं 11 से 20 वर्ष तक 8.44फीसद संक्रमण की गिरफ्त में आए.
लखनऊ में सबसे ज्यादा रहे मरीज
यूपी में लखनऊ कोरोना संक्रमण में टॉप पर रहा. यहां सोमवार तक दो लाख 38 हजार 754 मरीज पाए गए. वहीं 2 हजार 652 ने जान गंवाईं. इसमें 0-9 साल तक के 6,996 बच्चे रहे. इसमें 3,050 बेटियां व 3,646 बेटे बीमार हुए. वहीं इलाज के दरम्यान नौ की जान गई. इसके अलावा 10 से 19 वर्ष तक के 14,740, 20 से 29 वर्ष तक के 44 हजार995 चपेट में आए. बीमारी का सर्वाधिक प्रकोप 30 से 39 साल वालों पर रहा. इस उम्र के 52 हजार, 259 लोग कोरोना की गिरफ्त में आए.
6600 पीकू-नीकू बेड तैयार
कोरोना से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए यूपी में विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं. इसमें सीएचसी से लेकर अस्पतालों तक पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट ( पीकू) व नियोनेटल इंटेसिव केयर यूनिट (नीकू) बनाए गए हैं. इसमें गंभीर बच्चों के इलाज की व्यवस्था होगी. इन यूनिट में वेंटीलेटर भी होंगे. इसके लिए केजीएमयू व पीजीआई में बच्चों के इलाज की ट्रेनिंग भी स्टाफ को दिलाई जा चुकी है.
यूपी के 2.88 फीसद बच्चों पर कोरोना वायरस ने किया हमला
यूपी में कोरोना के डेढ़ साल हो गए हैं. अब तक लाखों की आबादी जहां वायरस की चपेट में आ चुकी है, वहीं हजारों को महामारी निगल चुकी है. राहत की बात है अब तक यह है कि दोनों लहरें बच्चों को ज्यादा नहीं डिगा सकीं. इसी को ध्यान में रखते हुए स्वस्थ्य विभाग तीसरी लहर से निपटने का प्लान तैयार कर रहा है.
लखनऊ : यूपी में कोरोना के डेढ़ साल हो गए हैं. अब तक लाखों की आबादी जहां वायरस की चपेट में आ चुकी है, वहीं हजारों को महामारी निगल चुकी है. राहत की बात है अब तक यह है कि दोनों लहरें बच्चों को ज्यादा नहीं डिगा सकीं. इसी को ध्यान में रखते हुए स्वस्थ्य विभाग तीसरी लहर से निपटने का प्लान तैयार कर रहा है.
दरअसल, अक्टूबर में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका जताई गई है. इसके बचाव के लिए वैक्सीनेशन पर जोर दिया जा रहा है. यूपी की 18 वर्ष से ऊपर 48 फीसद आबादी कोरोना रक्षक टीके की पहली डोज से कवर हो चुकी है. वहीं अधिक से अधिक लोगों को टीकाकरण करने का प्रयास जारी है, लेकिन बच्चों के बचाव के लिए कोरोना रोधी वैक्सीन का देश में इंतजार है. लिहाजा एक्सपर्ट कमेटी ने तीसरी लहर में बच्चों में अधिक संक्रमण फैलने की आशंका जताई है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने तीसरी लहर से निपटने के लिए पहली व दूसरी लहर के प्रभावों का आंकलन किया. स्टेट नोडल ऑफीसर कोविड डॉ विकासेंदु अग्रवाल के मुताबिक यूपी में अब तक 17 लाख 9 हजार 555 लोग कोरोना की चपेट में आए हैं. इसमें 0 से 10 साल तक के 2.88 फीसद बच्चे ही वायरस की चपेट में आए हैं। वहीं 11 से 20 वर्ष तक 8.44फीसद संक्रमण की गिरफ्त में आए.
लखनऊ में सबसे ज्यादा रहे मरीज
यूपी में लखनऊ कोरोना संक्रमण में टॉप पर रहा. यहां सोमवार तक दो लाख 38 हजार 754 मरीज पाए गए. वहीं 2 हजार 652 ने जान गंवाईं. इसमें 0-9 साल तक के 6,996 बच्चे रहे. इसमें 3,050 बेटियां व 3,646 बेटे बीमार हुए. वहीं इलाज के दरम्यान नौ की जान गई. इसके अलावा 10 से 19 वर्ष तक के 14,740, 20 से 29 वर्ष तक के 44 हजार995 चपेट में आए. बीमारी का सर्वाधिक प्रकोप 30 से 39 साल वालों पर रहा. इस उम्र के 52 हजार, 259 लोग कोरोना की गिरफ्त में आए.
6600 पीकू-नीकू बेड तैयार
कोरोना से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए यूपी में विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं. इसमें सीएचसी से लेकर अस्पतालों तक पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट ( पीकू) व नियोनेटल इंटेसिव केयर यूनिट (नीकू) बनाए गए हैं. इसमें गंभीर बच्चों के इलाज की व्यवस्था होगी. इन यूनिट में वेंटीलेटर भी होंगे. इसके लिए केजीएमयू व पीजीआई में बच्चों के इलाज की ट्रेनिंग भी स्टाफ को दिलाई जा चुकी है.