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18 वर्ष से ऊपर वालों का 28 अप्रैल से पंजीकरण, 1 मई से वैक्सीन की डोज

उत्तर प्रदेश में 18 वर्ष से ऊपर के लोगों के वैक्सीनेशन की तैयारी की जा रही है. इसके लिए 28 अप्रैल से पंजीकरण का कार्य शुरू होगा. एक मई को वैक्सीन की डोज लगाई जाएगी.

वैक्सीन की डोज
वैक्सीन की डोज
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Published : Apr 26, 2021, 2:33 PM IST

लखनऊ : राज्य में वायरस भयावह हो रहा है. इस महामारी को परास्त करने का वैक्सीन ही एक मात्र ठोस हथियार है. ऐसे में अब उत्तर प्रदेश में पांचवें चरण के टीकाकरण के लिए नए सिरे से रणनीति तैयार की जा रही है. इसमें 18 वर्ष से ऊपर के लोगों का वैक्सीनेशन किया जाएगा. इसके लिए 28 अप्रैल से पंजीकरण शुरू होगा.

उत्तर प्रदेश में जनवरी में कोरोना का वैक्सीनेशन शुरू हुआ था. सरकार ने पहले हेल्थ वर्करों के टीकाकरण का फैसला किया. इसके बाद फ्रंट वर्करों का वैक्सीनेशन शुरू किया गया. बाद में 60 वर्ष से ऊपर, 45 साल से अधिक बीमार लोगों का वैक्सीनेशन किया गया. अब 45 साल से ज्यादा सभी लोगों का वैक्सीनेशन किया जा रहा है. इसके लिए डॉक्टर से बीमारी के प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है.

18 वर्ष से ऊपर का 28 अप्रैल से पंजीकरण

अब पांचवें चरण में 18 वर्ष के ऊपर के लोगों का टीकाकरण किया जाएगा. इनकी तादाद करीब 9 करोड़ है. जिला अस्पताल, मेडिकल कॉलेज, सीएचसी में सप्ताह में छह कार्य दिवसों में वैक्सीन लगाई जा रही है. वहीं, राजकीय और अन्य अवकाश पड़ने पर भी वैक्सीनेशन का काम बंद नहीं होगा. पीएचसी, हेल्थ वेलनेस सेंटर पर भी वैक्सीन लगाई जा रही है. अब तक एक करोड़ 15 लाख के करीब लोगों को वैक्सीन लगाई गई है.

ये हैं नियम-

  • सभी मेडिकल कॉलेज, जिला चिकित्सालय और सीएचसी पर सोमवार से शनिवार तक लगेगी वैक्सीन.
  • रविवार को छुट्टी, राजकीय अवकाश के दिन लगेगी वैक्सीन.
  • पीएचसी-हेल्थ वेलनेस सेंटर पर सोमवार, गुरुवार और शुक्रवार को लगेगी वैक्सीन.
  • कोविड पोर्टल- http://cowin.gov.in पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन और सेंटर पर ऑफ लाइन पंजीकरण होगा.
  • दो तरह की वैक्सीन है, पहली का नाम है को-वैक्सीन, दूसरा नाम है कोविड-शील्ड
  • जिन लोगों ने को-वैक्सीन लगवाई है, उन्हें दूसरी डोज 4 सप्ताह के बाद लगेगी.
  • जिन लोगों ने कोविड शील्ड लगवाई है, उन्हें दूसरी 6-8 सप्ताह के बीच लगेगी.
  • वर्तमान में राज्य के 6,675 केंद्रों पर वैक्सीन लगने की व्यवस्था है.

कोरोना के 2418 नए मामले

राज्य में सोमवार सुबह कोरोना के 2418 नये मामले मिले हैं. हजारों की संख्या में रोज मरीज आने से अस्पतालों में वेंटिलेटर बेड फुल हैं. ऑक्सीजन का संकट भी बना हुआ है. ऐसे में निजी अस्पतालों में गंभीर मरीजों की भर्ती में दिक्कत है.

लखनऊ : राज्य में वायरस भयावह हो रहा है. इस महामारी को परास्त करने का वैक्सीन ही एक मात्र ठोस हथियार है. ऐसे में अब उत्तर प्रदेश में पांचवें चरण के टीकाकरण के लिए नए सिरे से रणनीति तैयार की जा रही है. इसमें 18 वर्ष से ऊपर के लोगों का वैक्सीनेशन किया जाएगा. इसके लिए 28 अप्रैल से पंजीकरण शुरू होगा.

उत्तर प्रदेश में जनवरी में कोरोना का वैक्सीनेशन शुरू हुआ था. सरकार ने पहले हेल्थ वर्करों के टीकाकरण का फैसला किया. इसके बाद फ्रंट वर्करों का वैक्सीनेशन शुरू किया गया. बाद में 60 वर्ष से ऊपर, 45 साल से अधिक बीमार लोगों का वैक्सीनेशन किया गया. अब 45 साल से ज्यादा सभी लोगों का वैक्सीनेशन किया जा रहा है. इसके लिए डॉक्टर से बीमारी के प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है.

18 वर्ष से ऊपर का 28 अप्रैल से पंजीकरण

अब पांचवें चरण में 18 वर्ष के ऊपर के लोगों का टीकाकरण किया जाएगा. इनकी तादाद करीब 9 करोड़ है. जिला अस्पताल, मेडिकल कॉलेज, सीएचसी में सप्ताह में छह कार्य दिवसों में वैक्सीन लगाई जा रही है. वहीं, राजकीय और अन्य अवकाश पड़ने पर भी वैक्सीनेशन का काम बंद नहीं होगा. पीएचसी, हेल्थ वेलनेस सेंटर पर भी वैक्सीन लगाई जा रही है. अब तक एक करोड़ 15 लाख के करीब लोगों को वैक्सीन लगाई गई है.

ये हैं नियम-

  • सभी मेडिकल कॉलेज, जिला चिकित्सालय और सीएचसी पर सोमवार से शनिवार तक लगेगी वैक्सीन.
  • रविवार को छुट्टी, राजकीय अवकाश के दिन लगेगी वैक्सीन.
  • पीएचसी-हेल्थ वेलनेस सेंटर पर सोमवार, गुरुवार और शुक्रवार को लगेगी वैक्सीन.
  • कोविड पोर्टल- http://cowin.gov.in पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन और सेंटर पर ऑफ लाइन पंजीकरण होगा.
  • दो तरह की वैक्सीन है, पहली का नाम है को-वैक्सीन, दूसरा नाम है कोविड-शील्ड
  • जिन लोगों ने को-वैक्सीन लगवाई है, उन्हें दूसरी डोज 4 सप्ताह के बाद लगेगी.
  • जिन लोगों ने कोविड शील्ड लगवाई है, उन्हें दूसरी 6-8 सप्ताह के बीच लगेगी.
  • वर्तमान में राज्य के 6,675 केंद्रों पर वैक्सीन लगने की व्यवस्था है.

कोरोना के 2418 नए मामले

राज्य में सोमवार सुबह कोरोना के 2418 नये मामले मिले हैं. हजारों की संख्या में रोज मरीज आने से अस्पतालों में वेंटिलेटर बेड फुल हैं. ऑक्सीजन का संकट भी बना हुआ है. ऐसे में निजी अस्पतालों में गंभीर मरीजों की भर्ती में दिक्कत है.

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