ETV Bharat / state

राजधानी में स्वास्थ्य महकमा नाकाम तो कोरोना बेलगाम!

राजधानी लखनऊ में कोरोना संक्रमण के चलते हालात बद से बदतर हो चुके हैं. कहीं मरीजों को समय से एंबुलेंस नहीं मिल पा रही है तो कहीं एंबुलेंस देर से आने पर मरीज दम तोड़ दे रहे हैं. बेतहाशा बढ़े मरीजों को भर्ती कराने के लिए राजधानी में पर्याप्त एंबुलेंस नहीं हैं. देखें हमारी ये खास रिपोर्ट...

राजधानी लखनऊ में एंबुलेंस की कमी
राजधानी लखनऊ में एंबुलेंस की कमी
author img

By

Published : Aug 13, 2020, 5:47 PM IST

Updated : Aug 13, 2020, 6:24 PM IST

लखनऊ: राजधानी में कोरोना को लेकर हालात पूरी तरीके से बेकाबू हो चले हैं. स्वास्थ्य सेवाओं की लचर व्यवस्था के चलते लोग खुद को पूरी तरह से असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. वहीं जिम्मेदारों से जब इस बारे में सवाल पूछे जाने पर उनका कहना है कि वे लखनऊ में और एंबुलेंस बढ़ाने जा रहे हैं...

केस 1- जवाहर भवन के कंट्रोल रूम में तैनात एक डॉक्टर की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई. सीएमओ कार्यालय को इसकी जानकारी दी गई, लेकिन 24 घंटे बीत जाने के बाद भी कोरोना वायरस के मरीज को एंबुलेंस नहीं मिली, जिसके बाद वे निजी साधन से जाकर ही अस्पताल में भर्ती हुए.

राजधानी में एंबुलेंस की कमी ने खोली स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल.

केस 2- लखनऊ के मानसरोवर योजना के निवासी एक व्यक्ति में कोरोना के लक्षण मिलने पर सीएमओ कंट्रोल रूम को कॉल की गई, लेकिन फोन नहीं लगा. हालात बिगड़ने पर घर वालों ने 108 एंबुलेंस को कॉल किया, लेकिन एंबुलेंस भी नहीं आई. मरीज की हालत इतनी खराब हो गई कि उसने घर पर ही दम तोड़ दिया. इसके बाद परिजनों ने आरोप लगाया कि यदि मरीज को समय पर एंबुलेंस मिलती तो आज वह जीवित होता.

इन दोनों केस को पढ़ने के बाद आप समझ सकते हैं कि राजधानी लखनऊ में हालात कितने खराब हो चुके हैं. ऐसे में आपको यह भी समझ में आ गया होगा कि इस दौरान कोरोना संक्रमित मरीज के संपर्क में अन्य कितने लोग आए होंगे और उन पर कोरोना का खतरा जरूर मंडरा रहा होगा.

अब एंबुलेंस न मिलने की वजह जानिए, दरअसल लखनऊ में कोरोना वायरस के हालात ऐसे हैं कि यहां हर रोज 600 से अधिक संक्रमित मरीज सामने आ रहे हैं. राजधानी में एंबुलेंस की संख्या कम है, ऐसे में बेतहाशा बढ़ रहे मरीजों को भर्ती कराना किसी चुनौती से कम नहीं है. इसकी वजह से आए दिन कहीं भर्ती न होने की वजह से मरीजों की घर पर मौत हो रही है, तो कहीं कई-कई दिन बाद कोरोना संक्रमितों को अस्पतालों में बेड मिल रहा है.

बेहतर सेवाएं नहीं दे पा रहा स्वास्थ्य विभाग
कोरोना संक्रमितों की बेलगाम होती संख्या ने राजधानी लखनऊ में हर तरह की व्यवस्थाओं की कमर तोड़ दी है. सारी तैयारियां धरी की धरी रह गई हैं और किसी भी तरह की कोई तरकीब कोरोना को रोकने में काम नहीं आ रही है. लखनऊ में कोरोना संक्रमण ऐसा कहर बरपा रहा है कि बीते 10 दिनों से 600 से ऊपर संक्रमित मरीज सामने आ रहे हैं. तेजी से बढ़ रहे कोरोना मरीजों को अस्पताल में शिफ्ट कराने का जिम्मा एंबुलेंस सेवा पर ही है, लेकिन संक्रमितों की संख्या ज्यादा होने की वजह से एंबुलेंस अपनी सेवाएं बेहतर तरीके से नहीं दे पा रही है. वही कई ऐसे भी मामले सामने आ चुके हैं, जहां समय पर एंबुलेंस न पहुंचने की वजह से मरीज की घर पर ही मौत हो गई, तो कहीं पर कई दिनों तक एंबुलेंस ही नहीं पहुंची.

स्वास्थ्य विभाग के पास महज 35 एंबुलेंस
कोरोना संक्रमित मरीजों को शिफ्ट करने की पूरी प्रक्रिया को बेहतर तरीके से निपटाया जा सके, इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के पास 35 एंबुलेंस हैं, लेकिन बेतहाशा बढ़ते मरीजों की वजह से 35 एंबुलेंस अब नाकाफी साबित हो रही हैं, जिसकी वजह से इस तरह की घटनाएं देखने को मिल रही है.

कंट्रोल रूम से मिल रहा आश्वासन
राजधानी लखनऊ में कोरोना संक्रमितों की शिफ्टिंग समय रहते कराई जा सके, इसके लिए इंटीग्रेटेड कंट्रोल रूम बनाया गया है. यहां पर कोरोना के लक्षण और कारण से संबंधित जानकारी के लिए इस कंट्रोल रूम में लोग फोन करते हैं. इसी कड़ी में अब तक ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां पर पॉजिटिव मिले मरीज को भर्ती कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को फोन किया गया, लेकिन एंबुलेंस नहीं आई और सिर्फ परिजनों को आश्वासन ही मिलता रहा.

जिम्मेदार बोले... एंबुलेंस बढ़ाकर बेहतर करेंगे व्यवस्था
राजधानी लखनऊ में एंबुलेंस की व्यवस्था के मामले को लेकर जब ईटीवी भारत ने लखनऊ के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉक्टर आरपी सिंह से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि वे जल्द ही लखनऊ में और एंबुलेंस बढ़ाने जा रहे हैं, जिससे कि भविष्य में कोरोना संक्रमितों को किसी भी तरह की कोई समस्या का सामना न करना पड़े.

लखनऊ: राजधानी में कोरोना को लेकर हालात पूरी तरीके से बेकाबू हो चले हैं. स्वास्थ्य सेवाओं की लचर व्यवस्था के चलते लोग खुद को पूरी तरह से असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. वहीं जिम्मेदारों से जब इस बारे में सवाल पूछे जाने पर उनका कहना है कि वे लखनऊ में और एंबुलेंस बढ़ाने जा रहे हैं...

केस 1- जवाहर भवन के कंट्रोल रूम में तैनात एक डॉक्टर की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई. सीएमओ कार्यालय को इसकी जानकारी दी गई, लेकिन 24 घंटे बीत जाने के बाद भी कोरोना वायरस के मरीज को एंबुलेंस नहीं मिली, जिसके बाद वे निजी साधन से जाकर ही अस्पताल में भर्ती हुए.

राजधानी में एंबुलेंस की कमी ने खोली स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल.

केस 2- लखनऊ के मानसरोवर योजना के निवासी एक व्यक्ति में कोरोना के लक्षण मिलने पर सीएमओ कंट्रोल रूम को कॉल की गई, लेकिन फोन नहीं लगा. हालात बिगड़ने पर घर वालों ने 108 एंबुलेंस को कॉल किया, लेकिन एंबुलेंस भी नहीं आई. मरीज की हालत इतनी खराब हो गई कि उसने घर पर ही दम तोड़ दिया. इसके बाद परिजनों ने आरोप लगाया कि यदि मरीज को समय पर एंबुलेंस मिलती तो आज वह जीवित होता.

इन दोनों केस को पढ़ने के बाद आप समझ सकते हैं कि राजधानी लखनऊ में हालात कितने खराब हो चुके हैं. ऐसे में आपको यह भी समझ में आ गया होगा कि इस दौरान कोरोना संक्रमित मरीज के संपर्क में अन्य कितने लोग आए होंगे और उन पर कोरोना का खतरा जरूर मंडरा रहा होगा.

अब एंबुलेंस न मिलने की वजह जानिए, दरअसल लखनऊ में कोरोना वायरस के हालात ऐसे हैं कि यहां हर रोज 600 से अधिक संक्रमित मरीज सामने आ रहे हैं. राजधानी में एंबुलेंस की संख्या कम है, ऐसे में बेतहाशा बढ़ रहे मरीजों को भर्ती कराना किसी चुनौती से कम नहीं है. इसकी वजह से आए दिन कहीं भर्ती न होने की वजह से मरीजों की घर पर मौत हो रही है, तो कहीं कई-कई दिन बाद कोरोना संक्रमितों को अस्पतालों में बेड मिल रहा है.

बेहतर सेवाएं नहीं दे पा रहा स्वास्थ्य विभाग
कोरोना संक्रमितों की बेलगाम होती संख्या ने राजधानी लखनऊ में हर तरह की व्यवस्थाओं की कमर तोड़ दी है. सारी तैयारियां धरी की धरी रह गई हैं और किसी भी तरह की कोई तरकीब कोरोना को रोकने में काम नहीं आ रही है. लखनऊ में कोरोना संक्रमण ऐसा कहर बरपा रहा है कि बीते 10 दिनों से 600 से ऊपर संक्रमित मरीज सामने आ रहे हैं. तेजी से बढ़ रहे कोरोना मरीजों को अस्पताल में शिफ्ट कराने का जिम्मा एंबुलेंस सेवा पर ही है, लेकिन संक्रमितों की संख्या ज्यादा होने की वजह से एंबुलेंस अपनी सेवाएं बेहतर तरीके से नहीं दे पा रही है. वही कई ऐसे भी मामले सामने आ चुके हैं, जहां समय पर एंबुलेंस न पहुंचने की वजह से मरीज की घर पर ही मौत हो गई, तो कहीं पर कई दिनों तक एंबुलेंस ही नहीं पहुंची.

स्वास्थ्य विभाग के पास महज 35 एंबुलेंस
कोरोना संक्रमित मरीजों को शिफ्ट करने की पूरी प्रक्रिया को बेहतर तरीके से निपटाया जा सके, इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के पास 35 एंबुलेंस हैं, लेकिन बेतहाशा बढ़ते मरीजों की वजह से 35 एंबुलेंस अब नाकाफी साबित हो रही हैं, जिसकी वजह से इस तरह की घटनाएं देखने को मिल रही है.

कंट्रोल रूम से मिल रहा आश्वासन
राजधानी लखनऊ में कोरोना संक्रमितों की शिफ्टिंग समय रहते कराई जा सके, इसके लिए इंटीग्रेटेड कंट्रोल रूम बनाया गया है. यहां पर कोरोना के लक्षण और कारण से संबंधित जानकारी के लिए इस कंट्रोल रूम में लोग फोन करते हैं. इसी कड़ी में अब तक ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां पर पॉजिटिव मिले मरीज को भर्ती कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को फोन किया गया, लेकिन एंबुलेंस नहीं आई और सिर्फ परिजनों को आश्वासन ही मिलता रहा.

जिम्मेदार बोले... एंबुलेंस बढ़ाकर बेहतर करेंगे व्यवस्था
राजधानी लखनऊ में एंबुलेंस की व्यवस्था के मामले को लेकर जब ईटीवी भारत ने लखनऊ के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉक्टर आरपी सिंह से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि वे जल्द ही लखनऊ में और एंबुलेंस बढ़ाने जा रहे हैं, जिससे कि भविष्य में कोरोना संक्रमितों को किसी भी तरह की कोई समस्या का सामना न करना पड़े.

Last Updated : Aug 13, 2020, 6:24 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.