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लखनऊ: जांच रिपोर्ट के इंतजार में कहीं दम न तोड़ दें कोरोना मरीज!

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Published : Jul 30, 2020, 4:51 PM IST

राजधानी लखनऊ के केजीएमयू में कोरोना काल के दौरान बेहतर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के तमाम दावे और वादे किए जा रहे हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही है. इसी क्रम में ईटीवी भारत की टीम ने केजीएमयू में इलाज कराने आए मरीजों का हाल जाना.

कोरोना जांच रिपोर्ट.
कोरोना जांच रिपोर्ट.

लखनऊ: कोरोना संक्रमण के कारण अस्पतालों में आ रहे गंभीर मरीजों को इलाज के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. ऐसे में गंभीर मरीजों की स्थिति और गंभीर होती जा रही है. बीते दिनों लोहिया संस्थान में जांच की कतार में खड़ी महिला की प्रसव की घटना ने हिला कर रख दिया था, जिसके बाद आज केजीएमयू के ट्रामा सेंटर में भी मरीजों के इलाज में तमाम दिक्कतों का सामना परिजनों को करना पड़ रहा है, जहां पर दूसरे जिलों से आए मरीज तो गाड़ियों में पूरा दिन गुजार देते हैं. उनके घरवाले चक्कर काटते रहते हैं. वहीं जिन मरीजों को तुरंत भर्ती कर लिया जाता है. वह भी रिपोर्ट में घंटों स्ट्रेचर पर पड़े रहते हैं.

ट्रामा सेंटर केजीएमयू में भर्ती होने से पहले मरीजों को पहले यहां जांच कराने के लिए लाया जाता है. इसके बाद ही किसी भी मरीज की कोरोना रिपोर्ट आ जाने के बाद भी उसका इलाज शुरू हो पाता है. इसी कड़ी में ईटीवी भारत की टीम केजीएमयू के ट्रामा सेंटर के होल्डिंग एरिया में जा पहुंचे, जहां के हालात देखकर आपकी रूह कांप जाएगी. दरअसल केजीएमयू के ट्रामा सेंटर के सामने बने इस होर्डिंग एरिया में आपको मरीज ही मरीज दिखेगा. यह मरीज स्ट्रेचर पर लेटकर अपनी जांच के लिए कतार में लगे हैं. यह सभी मरीज जो स्ट्रेचर पर लेटे हुए हैं.

देखें रिपोर्ट.

यह सभी के सभी कोरोना संदिग्ध हैं, यानी कि इसमें से एक भी यदि कोरोना संक्रमित होता है, तो बाकी बचे हुए लोग अपने आप ही कोरोना की चपेट में चले जाएंगे. इस वीडियो को देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कोविड-19 को लेकर के स्वास्थ्य विभाग की तैयारियां क्या है? चिकित्सा शिक्षा विभाग की तैयारियां क्या है? क्या जमीन पर है या हवा-हवाई है. चिकित्सा शिक्षा विभाग की तरफ से तमाम दावे और वादे बेहतर सेवाओं के कोविड-19 के लिए किए गए, लेकिन इस वीडियो में दिख रही पूरी भीड़ अपनी कोरोना जांच लिए स्ट्रेचर पर मरीज के साथ खड़ी है, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग के नाम पर यहां पर कोई चीज दिखाई नहीं दे रही.

मरीजों के साथ उनके परिजन भी खड़े हैं. यदि मरीज संक्रमित होता है तो परिजन स्वतः ही संक्रमित हो जाएगा. केजीएमयू की तरफ से इस छोटे से हॉल में सैकड़ों मरीज अपनी कोरोना जांच की बारी का इंतजार कर रहे हैं. मरीज व उनके परिजनों की समस्या सिर्फ इतनी भर नहीं है. यहां पर अब केजीएमयू की लापरवाही इस हद तक है कि सैकड़ों किलोमीटर दूर से मरीज अपनी जांच रिपोर्ट के फेर में ऐसा फंसे हैं कि लगभग 15 घंटे से ऊपर हो चुका है, लेकिन जांच रिपोर्ट न आने के कारण मरीज का इलाज अभी तक शुरू नहीं हो सका.

फैजाबाद से रिधिमा पांडेय मरीज को उसके परिजन जहरीली दवा खा लेने के बाद आनन-फानन में लखनऊ के ट्रामा सेंटर की तरफ भागते हैं. फैजाबाद से लखनऊ तक का यह सफर लगभग 3 घंटे का होता है, लेकिन तीन घंटे बाद में केजीएमयू ट्रामा सेंटर पहुंचते हैं तो उन्हें होल्डिंग एरिया का रास्ता दिखा दिया जाता है. इस गंभीर मरीज की हालत ऐसी है कि किसी भी वक्त यदि उचित इलाज न मिले तो वह दम तोड़ सकती है, लेकिन केजीएमयू की तरफ से बनाई गई व्यवस्था के कारण कोविड-19 जांच तो इस मरीज को करवानी ही पड़ेगी.

इसी तरह इसी होल्डिंग एरिया में स्ट्रेचर पर लेटे मरीज से जब हमने उसके हाल-चाल लिए तो मालूम चला कि उसकी अभी तक कोरोना वायरस की जांच नहीं हो पाई. वजह जानकर आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी. दरअसल यह गंभीर मरीज ट्रामा सेंटर में इलाज के लिए आया हुआ था, लेकिन इसे भी कोरोना वायरस के नाम पर होल्डिंग एरिया में ढकेल दिया गया. इसके बाद यह मरीज जब यहां पहुंचा. इसके बाद इस मरीज को होल्डिंग एरिया में आए हुए लगभग 4 घंटे हो चुके हैं, लेकिन इसकी जांच का नंबर अभी तक नहीं आ पाया है. वजह है होल्डिंग एरिया में जांच करने वाली किट ही खत्म हो गई.

लखनऊ: कोरोना संक्रमण के कारण अस्पतालों में आ रहे गंभीर मरीजों को इलाज के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. ऐसे में गंभीर मरीजों की स्थिति और गंभीर होती जा रही है. बीते दिनों लोहिया संस्थान में जांच की कतार में खड़ी महिला की प्रसव की घटना ने हिला कर रख दिया था, जिसके बाद आज केजीएमयू के ट्रामा सेंटर में भी मरीजों के इलाज में तमाम दिक्कतों का सामना परिजनों को करना पड़ रहा है, जहां पर दूसरे जिलों से आए मरीज तो गाड़ियों में पूरा दिन गुजार देते हैं. उनके घरवाले चक्कर काटते रहते हैं. वहीं जिन मरीजों को तुरंत भर्ती कर लिया जाता है. वह भी रिपोर्ट में घंटों स्ट्रेचर पर पड़े रहते हैं.

ट्रामा सेंटर केजीएमयू में भर्ती होने से पहले मरीजों को पहले यहां जांच कराने के लिए लाया जाता है. इसके बाद ही किसी भी मरीज की कोरोना रिपोर्ट आ जाने के बाद भी उसका इलाज शुरू हो पाता है. इसी कड़ी में ईटीवी भारत की टीम केजीएमयू के ट्रामा सेंटर के होल्डिंग एरिया में जा पहुंचे, जहां के हालात देखकर आपकी रूह कांप जाएगी. दरअसल केजीएमयू के ट्रामा सेंटर के सामने बने इस होर्डिंग एरिया में आपको मरीज ही मरीज दिखेगा. यह मरीज स्ट्रेचर पर लेटकर अपनी जांच के लिए कतार में लगे हैं. यह सभी मरीज जो स्ट्रेचर पर लेटे हुए हैं.

देखें रिपोर्ट.

यह सभी के सभी कोरोना संदिग्ध हैं, यानी कि इसमें से एक भी यदि कोरोना संक्रमित होता है, तो बाकी बचे हुए लोग अपने आप ही कोरोना की चपेट में चले जाएंगे. इस वीडियो को देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कोविड-19 को लेकर के स्वास्थ्य विभाग की तैयारियां क्या है? चिकित्सा शिक्षा विभाग की तैयारियां क्या है? क्या जमीन पर है या हवा-हवाई है. चिकित्सा शिक्षा विभाग की तरफ से तमाम दावे और वादे बेहतर सेवाओं के कोविड-19 के लिए किए गए, लेकिन इस वीडियो में दिख रही पूरी भीड़ अपनी कोरोना जांच लिए स्ट्रेचर पर मरीज के साथ खड़ी है, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग के नाम पर यहां पर कोई चीज दिखाई नहीं दे रही.

मरीजों के साथ उनके परिजन भी खड़े हैं. यदि मरीज संक्रमित होता है तो परिजन स्वतः ही संक्रमित हो जाएगा. केजीएमयू की तरफ से इस छोटे से हॉल में सैकड़ों मरीज अपनी कोरोना जांच की बारी का इंतजार कर रहे हैं. मरीज व उनके परिजनों की समस्या सिर्फ इतनी भर नहीं है. यहां पर अब केजीएमयू की लापरवाही इस हद तक है कि सैकड़ों किलोमीटर दूर से मरीज अपनी जांच रिपोर्ट के फेर में ऐसा फंसे हैं कि लगभग 15 घंटे से ऊपर हो चुका है, लेकिन जांच रिपोर्ट न आने के कारण मरीज का इलाज अभी तक शुरू नहीं हो सका.

फैजाबाद से रिधिमा पांडेय मरीज को उसके परिजन जहरीली दवा खा लेने के बाद आनन-फानन में लखनऊ के ट्रामा सेंटर की तरफ भागते हैं. फैजाबाद से लखनऊ तक का यह सफर लगभग 3 घंटे का होता है, लेकिन तीन घंटे बाद में केजीएमयू ट्रामा सेंटर पहुंचते हैं तो उन्हें होल्डिंग एरिया का रास्ता दिखा दिया जाता है. इस गंभीर मरीज की हालत ऐसी है कि किसी भी वक्त यदि उचित इलाज न मिले तो वह दम तोड़ सकती है, लेकिन केजीएमयू की तरफ से बनाई गई व्यवस्था के कारण कोविड-19 जांच तो इस मरीज को करवानी ही पड़ेगी.

इसी तरह इसी होल्डिंग एरिया में स्ट्रेचर पर लेटे मरीज से जब हमने उसके हाल-चाल लिए तो मालूम चला कि उसकी अभी तक कोरोना वायरस की जांच नहीं हो पाई. वजह जानकर आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी. दरअसल यह गंभीर मरीज ट्रामा सेंटर में इलाज के लिए आया हुआ था, लेकिन इसे भी कोरोना वायरस के नाम पर होल्डिंग एरिया में ढकेल दिया गया. इसके बाद यह मरीज जब यहां पहुंचा. इसके बाद इस मरीज को होल्डिंग एरिया में आए हुए लगभग 4 घंटे हो चुके हैं, लेकिन इसकी जांच का नंबर अभी तक नहीं आ पाया है. वजह है होल्डिंग एरिया में जांच करने वाली किट ही खत्म हो गई.

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