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विज्ञापन व्यापार पर कोरोना का असर, सैलरी में करनी पड़ी कटौती - Advertising Agency in kanpur

कानपुर में कोरोना का असर विज्ञापन क्षेत्र पर भी पड़ा है. विज्ञापन एजेंसी का व्यापार इस बार कम हुआ, जिसके चलते उन्होंने अपने स्टाफ में भी भारी कटौती की है. विज्ञापन एजेंसी के मालिकों के कहना कि इस बार दीवाली, नवरात्र और गुरु पर्व जैसे बड़े त्यौहारों पर भी ज्यादा व्यापार नहीं हो सका.

Corona impact on advertising business
विज्ञापन होर्डिंग
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Published : Dec 10, 2020, 4:18 PM IST

कानपुर: कोरोना काल आने के बाद से अधिकांश व्यापार पर ग्रहण से लग गया है और इसका असर विज्ञापन के क्षेत्र में भी देखने को मिला. फेस्टिव सीजन में बड़े और छोटे सभी व्यापारी विज्ञापन देकर अपने उत्पादों का प्रोमोशन करते थे, लेकिन इस बार व्यापारियों ने व्यापार न होने के चलते या तो विज्ञापन नहीं दिया और दिया भी तो भारी विज्ञापन दर में कटौती कर दी. शहर के अधिकांश बड़ी विज्ञापन एजेंसी का व्यापार इस बार कम हुआ, जिसके चलते उन्होंने अपने स्टाफ में भी भारी कटौती की है. विज्ञापन एजेंसी के मालिकों के कहना इतना कम व्यापार तो आम दिनों में भी नहीं रहा जितना दीवाली, नवरात्र और गुरु पर्व जैसे बड़े त्यौहारों में हुआ.

कानपुर में हजारों की संख्या में होर्डिंग पोल हैं

शहर में हजारों की संख्या में होर्डिंग पोल हैं, लेकिन दीवाली के मौके पर ऐसा पहली बार जब 30 फीसदी से अधिक होर्डिंग पोल खाली ही रहे. इस बार निगम के राजस्व में पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में इजाफा हुआ है. सदन में पारित नीति के अनुसार ही आ रहा है. राजस्व नगर आयुक्त अक्षय त्रिपाठी ने कहा कि "अभी तक पुरानी नीति, जिसमें 40 और 60 के अनुपात में ही विज्ञापन का राजस्व लिया जा रहा है. इस बार नई नीति सदन में पारित होनी थी, लेकिन सदन स्थागित होने के चलते पारित नहीं हो पाई. आने वाले समय में नीति पारित होने के बाद उसके अनुसार ही वसूली होगी.

राजस्व निगम के विज्ञापन प्रभारी ने बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में इस वर्ष का होर्डिंग विज्ञापन का मुनाफा अधिक है. इस बार 1 अप्रैल से 1 दिसंबर 2020 तक के विज्ञापन से राजस्व 1 करोड़ 49 लाख 42 हजार 758 रुपए था. वहीं 1अप्रैल से 1 दिसंबर 2019 का राजस्व 26 लाख 43 हजार 702 रुपए था.

50 फीसदी कम हो गया व्यापार
प्रचार गुरु नाम से विज्ञापन एजेंसी चला रहे गोपाल शुक्ल ने बताया कि "इस बार कोरोना ने विज्ञापन एजेंसी की कमर ही तोड़ दी है. इस बार पिछले साल की तुलना में आधा भी व्यापार नहीं बढ़ा है. नवरात्र, दीवाली और गुरु पर्व तक जो छोटे बड़े व्यापारी थे उन्होंने विज्ञापन या तो दिया नहीं और यदि दिया तो उसमें भी कटौती कर दी. कोरोना महामारी के चलते कई कर्मचारियों को निकालना तक पड़ा. इतना ही नहीं कई कर्मचारियों की सैलरी में कटौती भी करनी पड़ी.

कानपुर: कोरोना काल आने के बाद से अधिकांश व्यापार पर ग्रहण से लग गया है और इसका असर विज्ञापन के क्षेत्र में भी देखने को मिला. फेस्टिव सीजन में बड़े और छोटे सभी व्यापारी विज्ञापन देकर अपने उत्पादों का प्रोमोशन करते थे, लेकिन इस बार व्यापारियों ने व्यापार न होने के चलते या तो विज्ञापन नहीं दिया और दिया भी तो भारी विज्ञापन दर में कटौती कर दी. शहर के अधिकांश बड़ी विज्ञापन एजेंसी का व्यापार इस बार कम हुआ, जिसके चलते उन्होंने अपने स्टाफ में भी भारी कटौती की है. विज्ञापन एजेंसी के मालिकों के कहना इतना कम व्यापार तो आम दिनों में भी नहीं रहा जितना दीवाली, नवरात्र और गुरु पर्व जैसे बड़े त्यौहारों में हुआ.

कानपुर में हजारों की संख्या में होर्डिंग पोल हैं

शहर में हजारों की संख्या में होर्डिंग पोल हैं, लेकिन दीवाली के मौके पर ऐसा पहली बार जब 30 फीसदी से अधिक होर्डिंग पोल खाली ही रहे. इस बार निगम के राजस्व में पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में इजाफा हुआ है. सदन में पारित नीति के अनुसार ही आ रहा है. राजस्व नगर आयुक्त अक्षय त्रिपाठी ने कहा कि "अभी तक पुरानी नीति, जिसमें 40 और 60 के अनुपात में ही विज्ञापन का राजस्व लिया जा रहा है. इस बार नई नीति सदन में पारित होनी थी, लेकिन सदन स्थागित होने के चलते पारित नहीं हो पाई. आने वाले समय में नीति पारित होने के बाद उसके अनुसार ही वसूली होगी.

राजस्व निगम के विज्ञापन प्रभारी ने बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में इस वर्ष का होर्डिंग विज्ञापन का मुनाफा अधिक है. इस बार 1 अप्रैल से 1 दिसंबर 2020 तक के विज्ञापन से राजस्व 1 करोड़ 49 लाख 42 हजार 758 रुपए था. वहीं 1अप्रैल से 1 दिसंबर 2019 का राजस्व 26 लाख 43 हजार 702 रुपए था.

50 फीसदी कम हो गया व्यापार
प्रचार गुरु नाम से विज्ञापन एजेंसी चला रहे गोपाल शुक्ल ने बताया कि "इस बार कोरोना ने विज्ञापन एजेंसी की कमर ही तोड़ दी है. इस बार पिछले साल की तुलना में आधा भी व्यापार नहीं बढ़ा है. नवरात्र, दीवाली और गुरु पर्व तक जो छोटे बड़े व्यापारी थे उन्होंने विज्ञापन या तो दिया नहीं और यदि दिया तो उसमें भी कटौती कर दी. कोरोना महामारी के चलते कई कर्मचारियों को निकालना तक पड़ा. इतना ही नहीं कई कर्मचारियों की सैलरी में कटौती भी करनी पड़ी.

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