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7 घंटे से अधिक घर में पड़ा रहा शव, नहीं मिली कोई मदद

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Published : Apr 20, 2021, 4:36 PM IST

Updated : Apr 20, 2021, 7:57 PM IST

राजधानी लखनऊ में एक कोरोना संक्रमित महिला का शव 7 घंटे तक कमरे में पड़ा रहा, लेकिन कोई मदद के लिए आगे नहीं आया. वहीं, एक मरीज को लेकर परिजन 9 घंटे तक अस्पतालों का चक्कर लगाते रहे लेकिन इलाज न मिलने के कारण उसकी मौत हो गई.

लखनऊ.
लखनऊ.

लखनऊः प्रदेश में जहां एक तरफ कोरोना महामारी ने परिवार को परिवार से दूर कर दिया है. वहीं, इस महामारी से लोगों के अंदर की संवेदनाएं खत्म कर दी है. ऐसी ही एक घटना लखनऊ के मडियांव थाना क्षेत्र स्थित सेक्टर क्यू में देखने को मिली. यहां एक मकान में कोरोना संक्रमित बुजुर्ग महिला की मौत हो गई. बुजुर्ग का शव लगभग 7 घंटे से अधिक कमरे में पड़ रहा, लेकिन कोई श्मशान घाट तक ले जाने वाला नहीं मिला. नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग को बार-बार फोन करने के बाद भी कोई मदद नहीं मिली. वहीं, मृतक महिला का पति व उसके दो बच्चे भी संक्रमित हैं, जिनकी हालत गंभीर बनी हुई है.

7 दिन तक घर में आइसोलेट परिवार, नहीं मिली कोई मदद
मडियांव इलाके के सेक्टर क्यू चौराहे के पास निवास कर रही राखी नामक महिला के अनुसार सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल के पास मकान नंबर एमएन-47 में अर्चना शुक्ला अपने पति व दो बच्चों के साथ निवास करती हैं. उन्होंने बताया 7 दिन पहले अर्चना शुक्ला व उनका परिवार संक्रमित हो गया. परिजनों ने अस्पताल में भर्ती होना चाहा लेकिन बेड न होने की बात कहकर लौटा दिया गया और घर में आइसोलेट रहने की सलाह दी गई. लेकिन घर पर हालत सभी की दिन पर दिन बिगड़ती जा रही है. परिवार को देखने कोई भी स्वास्थ्य विभाग की टीम नहीं पहुंची है.

महिला की मौत के बाद भी घर में तीन और मरीज
राखी ने बताया कि अर्चना शुक्ला (55) को स्वास्थ्य विभाग की तरफ से कोई मदद नहीं मिली, जिसके कारण सोमवार की रात उनकी मौत हो गई. उन्होंने बताया कि उस घर में मृत महिला के पति (70) और उनका एक बेटा व एक बेटी भी कोरोना से संक्रमित हैं. वह लोग भी उसी घर में हफ्ता भर से आइसोलेट हैं. उन्होंने बताया मृतक महिला के पति की भी हालत गंभीर होती जा रही है. आस-पास के लोगों ने उनकी मदद करने के लिए सीएमओ कार्यालय के साथ ही अफसरों से भी बात करनी चाही लेकिन कोई मदद नहीं मिल रही है.


प्राइवेट एंबुलेंस से भिजवाया शव
पड़ोसी ने बताया कि सोमवार की रात करीब 8:00 बजे अर्चना शुक्ला की मौत हुई गई थी. उनको फोन कर बच्चों ने जानकारी दी थी. इसके बाद से ही लगातार सरकार की सभी हेल्पलाइन नंबरों पर सम्पर्क किया गया लेकिन कोई मदद नहीं मिली. उन्होंने बताया जिसने हेल्पलाइन नंबर पर फोन उठाया सबने एक नया फार्मूला समझाकर फोन काट दिया गया. जब नगर निगम के अधिकारियों से बात करनी चाही गई तो सुबह बात करने की सलाह देकर फोन को रख दिया गया. पड़ोसी का कहना है कि जब शव से दुर्गंध आनी शुरू हो गई तो परिवार की हिफाजत करते हुए मजबूरी में प्राइवेट एंबुलेंस की सहायता लेकर शव को भिजवाया गया है.

यह भी पढ़ें-इलाज के अभाव में मां के कदमों में बेटे ने तोड़ा दम, फोटो वायरल

लखनऊ के ट्रामा सेंटर में मरीज को भर्ती करने ले जाते परिजन.

9 घंटे तक अस्पातलों के चक्कर लगाया, फिर भी इलाज न मिलने से मरीज की मौत

वहीं, लखनऊ में 9 घंटे तक अस्पतालों के चक्कर लगाने के बाद भी एक मरीज को ऑक्सीजन नहीं मिला, जिससे उसकी मौत हो गई. कन्नौज जिले के आदित्य दुबे को तीन दिन पहले बुखार आया. पत्नी कृष्णकांती ने बताया कि पति पहले जिला अस्पताल ले गए, जहां ड्रिप चढ़ाई गई. यहां हालत सुधरने के बजाय लगातार बिगड़ती रही और सांस फूलने लगी. इसके बाद डॉक्टरों ने फेफड़े का संक्रमण बताकर लखनऊ रेफर कर दिया. सोमवार सुबह 11:00 बजे आदित्य को एंबुलेंस लेकर राजधानी आयी. यहां सिविल हॉस्पिटल, बलरामपुर अस्पताल, लोहिया अस्पताल के चक्कर लगाए लेकिन कहीं बेड नहीं मिला. ट्रामा सेंटर भी गए, यहां भी बेड फुल बता कर लौटा दिया गया. इसके बाद निजी अस्पतालों में भी भटके लेकिन 9 घंटे तक इलाज नहीं मिला. इसके बाद रात आठ बजे के करीब आदित्य को लेकर दोबारा ट्रामा सेंटर पहुंचे, तब तक हालत काफी बिगड़ चुकी थी. स्ट्रेचर पर उतारते ही आदित्य का शरीर शिथिल हो गया और सांसे थम गईं. इसके बाद डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया.

लखनऊः प्रदेश में जहां एक तरफ कोरोना महामारी ने परिवार को परिवार से दूर कर दिया है. वहीं, इस महामारी से लोगों के अंदर की संवेदनाएं खत्म कर दी है. ऐसी ही एक घटना लखनऊ के मडियांव थाना क्षेत्र स्थित सेक्टर क्यू में देखने को मिली. यहां एक मकान में कोरोना संक्रमित बुजुर्ग महिला की मौत हो गई. बुजुर्ग का शव लगभग 7 घंटे से अधिक कमरे में पड़ रहा, लेकिन कोई श्मशान घाट तक ले जाने वाला नहीं मिला. नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग को बार-बार फोन करने के बाद भी कोई मदद नहीं मिली. वहीं, मृतक महिला का पति व उसके दो बच्चे भी संक्रमित हैं, जिनकी हालत गंभीर बनी हुई है.

7 दिन तक घर में आइसोलेट परिवार, नहीं मिली कोई मदद
मडियांव इलाके के सेक्टर क्यू चौराहे के पास निवास कर रही राखी नामक महिला के अनुसार सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल के पास मकान नंबर एमएन-47 में अर्चना शुक्ला अपने पति व दो बच्चों के साथ निवास करती हैं. उन्होंने बताया 7 दिन पहले अर्चना शुक्ला व उनका परिवार संक्रमित हो गया. परिजनों ने अस्पताल में भर्ती होना चाहा लेकिन बेड न होने की बात कहकर लौटा दिया गया और घर में आइसोलेट रहने की सलाह दी गई. लेकिन घर पर हालत सभी की दिन पर दिन बिगड़ती जा रही है. परिवार को देखने कोई भी स्वास्थ्य विभाग की टीम नहीं पहुंची है.

महिला की मौत के बाद भी घर में तीन और मरीज
राखी ने बताया कि अर्चना शुक्ला (55) को स्वास्थ्य विभाग की तरफ से कोई मदद नहीं मिली, जिसके कारण सोमवार की रात उनकी मौत हो गई. उन्होंने बताया कि उस घर में मृत महिला के पति (70) और उनका एक बेटा व एक बेटी भी कोरोना से संक्रमित हैं. वह लोग भी उसी घर में हफ्ता भर से आइसोलेट हैं. उन्होंने बताया मृतक महिला के पति की भी हालत गंभीर होती जा रही है. आस-पास के लोगों ने उनकी मदद करने के लिए सीएमओ कार्यालय के साथ ही अफसरों से भी बात करनी चाही लेकिन कोई मदद नहीं मिल रही है.


प्राइवेट एंबुलेंस से भिजवाया शव
पड़ोसी ने बताया कि सोमवार की रात करीब 8:00 बजे अर्चना शुक्ला की मौत हुई गई थी. उनको फोन कर बच्चों ने जानकारी दी थी. इसके बाद से ही लगातार सरकार की सभी हेल्पलाइन नंबरों पर सम्पर्क किया गया लेकिन कोई मदद नहीं मिली. उन्होंने बताया जिसने हेल्पलाइन नंबर पर फोन उठाया सबने एक नया फार्मूला समझाकर फोन काट दिया गया. जब नगर निगम के अधिकारियों से बात करनी चाही गई तो सुबह बात करने की सलाह देकर फोन को रख दिया गया. पड़ोसी का कहना है कि जब शव से दुर्गंध आनी शुरू हो गई तो परिवार की हिफाजत करते हुए मजबूरी में प्राइवेट एंबुलेंस की सहायता लेकर शव को भिजवाया गया है.

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लखनऊ के ट्रामा सेंटर में मरीज को भर्ती करने ले जाते परिजन.

9 घंटे तक अस्पातलों के चक्कर लगाया, फिर भी इलाज न मिलने से मरीज की मौत

वहीं, लखनऊ में 9 घंटे तक अस्पतालों के चक्कर लगाने के बाद भी एक मरीज को ऑक्सीजन नहीं मिला, जिससे उसकी मौत हो गई. कन्नौज जिले के आदित्य दुबे को तीन दिन पहले बुखार आया. पत्नी कृष्णकांती ने बताया कि पति पहले जिला अस्पताल ले गए, जहां ड्रिप चढ़ाई गई. यहां हालत सुधरने के बजाय लगातार बिगड़ती रही और सांस फूलने लगी. इसके बाद डॉक्टरों ने फेफड़े का संक्रमण बताकर लखनऊ रेफर कर दिया. सोमवार सुबह 11:00 बजे आदित्य को एंबुलेंस लेकर राजधानी आयी. यहां सिविल हॉस्पिटल, बलरामपुर अस्पताल, लोहिया अस्पताल के चक्कर लगाए लेकिन कहीं बेड नहीं मिला. ट्रामा सेंटर भी गए, यहां भी बेड फुल बता कर लौटा दिया गया. इसके बाद निजी अस्पतालों में भी भटके लेकिन 9 घंटे तक इलाज नहीं मिला. इसके बाद रात आठ बजे के करीब आदित्य को लेकर दोबारा ट्रामा सेंटर पहुंचे, तब तक हालत काफी बिगड़ चुकी थी. स्ट्रेचर पर उतारते ही आदित्य का शरीर शिथिल हो गया और सांसे थम गईं. इसके बाद डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया.

Last Updated : Apr 20, 2021, 7:57 PM IST
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