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NCRB के मुताबिक UP की कानून व्यवस्था अन्य राज्यों की अपेक्षा बेहतर: एडीजी प्रशांत कुमार

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Published : Oct 4, 2020, 5:19 PM IST

यूपी में महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे आपराधिक ग्राफ को लेकर विपक्षी पार्टी लगातार सरकार को घेरने का काम कर रही हैं. हाथरस गैंगरेप मामले के बाद विपक्ष ने प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं. वहीं एडीजी प्रशांत कुमार का कहना है कि एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में आपराधिक मामलों में अन्य राज्यों की अपेक्षा कमी आई है.

एडीजी प्रशांत कुमार
एडीजी प्रशांत कुमार

लखनऊ: हाथरस कांड को लेकर विपक्षी पार्टियां लगातार उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रही हैं. वहीं एनसीआरबी की ओर से जारी की गई रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश की 2019 की कानून व्यवस्था को लेकर राहत देने वाली खबर है. एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में महिला अपराध के मामलों में ज्यादातर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई में यूपी सबसे शीर्ष पर है. एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने एनसीआरबी रिपोर्ट के हवाले से महिला अपराध के मामलों में कार्रवाई को लेकर वर्ष 2018 में भी उत्तर प्रदेश के अव्वल रहने का दावा किया है. उनका कहना है कि अन्य संगीन अपराधों में भी काफी कमी दर्ज की गई है.

एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार के अनुसार एनसीआरबी द्वारा प्रकाशित क्राइम इन इंडिया 2019 में देश के 29 राज्यों में 7 केंद्र शासित प्रदेशों में दर्ज अपराधों का विश्लेषण किया गया है. वर्ष 2019 में देश में आईपीसी धाराओं के तहत 32.25 लाख से अधिक मुकदमा पंजीकृत हुए थे. इनमें उत्तर प्रदेश के तो तीन तलाक अपराध हुए. यह देश में पंजीकृत ऐसे मुकदमों का 10.9 फीसद है. महिला संबंधी अपराधों में यूपी पुलिस में 15,579 आरोपियों को सजा दिलाने में कामयाबी हासिल की है, जो देश में सबसे ज्यादा है. यूपी में आरोपियों को सजा दिलाने का प्रतिशत सबसे अधिक यानि 55.2 फीसदी है. यहां अभी 8,059 मामलों में दोषियों को सजा दिलाई गई है, जबकि दूसरे नंबर पर राजस्थान में 5625 और मध्यप्रदेश में 4191 मामलों में आरोपियों को सजा दिलाई गई है.

किशोरियों के साथ दुष्कर्म मामले में आंकड़े
18 वर्ष से कम आयु की किशोरियों के साथ दुष्कर्म के सबसे अधिक 1314 घटनाएं राजस्थान में, 1271 केरल में और 561 आंध्र प्रदेश में दर्ज की गई हैं, जबकि सूबे में ऐसी 272 घटनाएं पुलिस रिकॉर्ड का हिस्सा बनीं. एडीजी का कहना है कि यह पुलिस की विवेचना व प्रभावी पैरवी से संभव हो सका है. सूबे में महिला संबंधी कुल अपराधों की संख्या 59,853 रही. इसमें प्रदेश के अन्य राज्यों की तुलना में 15वां स्थान है. बात करें महिला अपराध की घटनाओं को लेकर, तो महिला अपराध की घटनाएं ज्यादातर राजस्थान, चंडीगढ़, दिल्ली, केरल, हरियाणा, झारखंड समेत अन्य राज्यों में हुईं.

यूपी में दुष्कर्म के करीब 3065 केस दर्ज हुए हैं. इस मामले में राज्य का देश में 26वां स्थान है, जबकि राजस्थान में दुष्कर्म के सबसे अधिक मामले 5997 केस दर्ज हुए हैं. पिछले वर्ष प्रदेश में हत्या की 3806, डकैती की 124, हत्या के प्रयास की 4596 और लूट की 2241 घटनाएं हुई हैं. इन सभी राज्यों की तुलना में प्रदेश में गिरावट दर्ज की गई है. खासकर हिंसात्मक अपराधों में यूपी का क्राइम रेट 24.6 फीसदी है और उसका देश में 15वां स्थान है.

जनवरी से सितंबर के बीच अपराधों में आई कमी
एडीजी प्रशांत कुमार का कहना है कि एनसीआरबी के आंकड़ों के विश्लेषण से यह तो साफ है कि वर्ष 2018 की तुलना में बीते वर्ष हत्या के मामले में 5.28 फीसदी, डकैती में 13.89 फीसदी, लूट में 30.36 फीसदी और दुष्कर्म की घटनाओं में 22.33 फीसदी की कमी दर्ज की गई है. वहीं एक जनवरी से 15 सितंबर की अवधि के मध्य सूबे के 3 वर्षों के अपराधों के आंकड़ों की तुलना की बात की जाए तो इस वर्ष डकैती में 33.7 फीसदी की लूट में, 41.61 फीसदी की हत्या में और दुष्कर्म की घटनाओं में 27.6 फीसदी की कमी दर्ज की गई है. वहीं अनुसूचित जाति-जनजाति उत्पीड़न संबंधी कुल मामलों में 12 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.

लखनऊ: हाथरस कांड को लेकर विपक्षी पार्टियां लगातार उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रही हैं. वहीं एनसीआरबी की ओर से जारी की गई रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश की 2019 की कानून व्यवस्था को लेकर राहत देने वाली खबर है. एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में महिला अपराध के मामलों में ज्यादातर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई में यूपी सबसे शीर्ष पर है. एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने एनसीआरबी रिपोर्ट के हवाले से महिला अपराध के मामलों में कार्रवाई को लेकर वर्ष 2018 में भी उत्तर प्रदेश के अव्वल रहने का दावा किया है. उनका कहना है कि अन्य संगीन अपराधों में भी काफी कमी दर्ज की गई है.

एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार के अनुसार एनसीआरबी द्वारा प्रकाशित क्राइम इन इंडिया 2019 में देश के 29 राज्यों में 7 केंद्र शासित प्रदेशों में दर्ज अपराधों का विश्लेषण किया गया है. वर्ष 2019 में देश में आईपीसी धाराओं के तहत 32.25 लाख से अधिक मुकदमा पंजीकृत हुए थे. इनमें उत्तर प्रदेश के तो तीन तलाक अपराध हुए. यह देश में पंजीकृत ऐसे मुकदमों का 10.9 फीसद है. महिला संबंधी अपराधों में यूपी पुलिस में 15,579 आरोपियों को सजा दिलाने में कामयाबी हासिल की है, जो देश में सबसे ज्यादा है. यूपी में आरोपियों को सजा दिलाने का प्रतिशत सबसे अधिक यानि 55.2 फीसदी है. यहां अभी 8,059 मामलों में दोषियों को सजा दिलाई गई है, जबकि दूसरे नंबर पर राजस्थान में 5625 और मध्यप्रदेश में 4191 मामलों में आरोपियों को सजा दिलाई गई है.

किशोरियों के साथ दुष्कर्म मामले में आंकड़े
18 वर्ष से कम आयु की किशोरियों के साथ दुष्कर्म के सबसे अधिक 1314 घटनाएं राजस्थान में, 1271 केरल में और 561 आंध्र प्रदेश में दर्ज की गई हैं, जबकि सूबे में ऐसी 272 घटनाएं पुलिस रिकॉर्ड का हिस्सा बनीं. एडीजी का कहना है कि यह पुलिस की विवेचना व प्रभावी पैरवी से संभव हो सका है. सूबे में महिला संबंधी कुल अपराधों की संख्या 59,853 रही. इसमें प्रदेश के अन्य राज्यों की तुलना में 15वां स्थान है. बात करें महिला अपराध की घटनाओं को लेकर, तो महिला अपराध की घटनाएं ज्यादातर राजस्थान, चंडीगढ़, दिल्ली, केरल, हरियाणा, झारखंड समेत अन्य राज्यों में हुईं.

यूपी में दुष्कर्म के करीब 3065 केस दर्ज हुए हैं. इस मामले में राज्य का देश में 26वां स्थान है, जबकि राजस्थान में दुष्कर्म के सबसे अधिक मामले 5997 केस दर्ज हुए हैं. पिछले वर्ष प्रदेश में हत्या की 3806, डकैती की 124, हत्या के प्रयास की 4596 और लूट की 2241 घटनाएं हुई हैं. इन सभी राज्यों की तुलना में प्रदेश में गिरावट दर्ज की गई है. खासकर हिंसात्मक अपराधों में यूपी का क्राइम रेट 24.6 फीसदी है और उसका देश में 15वां स्थान है.

जनवरी से सितंबर के बीच अपराधों में आई कमी
एडीजी प्रशांत कुमार का कहना है कि एनसीआरबी के आंकड़ों के विश्लेषण से यह तो साफ है कि वर्ष 2018 की तुलना में बीते वर्ष हत्या के मामले में 5.28 फीसदी, डकैती में 13.89 फीसदी, लूट में 30.36 फीसदी और दुष्कर्म की घटनाओं में 22.33 फीसदी की कमी दर्ज की गई है. वहीं एक जनवरी से 15 सितंबर की अवधि के मध्य सूबे के 3 वर्षों के अपराधों के आंकड़ों की तुलना की बात की जाए तो इस वर्ष डकैती में 33.7 फीसदी की लूट में, 41.61 फीसदी की हत्या में और दुष्कर्म की घटनाओं में 27.6 फीसदी की कमी दर्ज की गई है. वहीं अनुसूचित जाति-जनजाति उत्पीड़न संबंधी कुल मामलों में 12 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.

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