ETV Bharat / state

'नेत्रदान पखवाड़ा' की हुई शुरुआत, कोरोना के चलते जागरूकता के लिए अपनाई जा रही नई तरकीबें

author img

By

Published : Aug 26, 2020, 3:11 PM IST

हर साल 25 अगस्त से 8 सितम्बर तक नेत्रदान पखवाड़ा आयोजित किया जाता है. इस मौके पर लोगों को नेत्रदान को लेकर जागरूक किया जाता है, रैलियां निकाली जाती हैं साथ ही कई प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं. वहीं इस बार कोरोना संक्रमण के चलते लोगों को जागरूक करने के लिए नई तरकीबें अपनाई जा रही हैं.

eye donation in uttar pradesh
यूपी कम्युनिटी आई बैंक.

लखनऊ: किसी नेत्रहीन व्यक्ति के लिए दुनिया देखने का सपना ही उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा सुख होता है, इसीलिए नेत्रदान को महादान कहा गया है. इस सिलसिले में भारत सरकार द्वारा हर वर्ष 25 अगस्त से 8 सितंबर तक 'नेत्रदान पखवाड़े' का आयोजन किया जाता है, जिसमें कई तरह के कार्यक्रम आयोजित होते है. इस बार कोविड-19 के संक्रमण के चलते नेत्रदान के प्रति जागरूकता लाने के लिए उत्तर प्रदेश का कम्युनिटी आई बैंक कुछ नई तरकीबें लेकर आया है.

आई बैंक के डायरेक्टर ने दी जानकारी.

यूपी कम्युनिटी का आई बैंक लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के ट्रॉमा सेंटर में पांचवें तल पर स्थित है. यह आई बैंक आंखों की पुतलियों से संबंधित बीमारियों का इलाज करने और लोगों को रोशनी देकर नया जीवन देने का काम करता है. इसके बेहतरीन काम को देखते हुए यूपी कम्युनिटी आई बैंक को एशिया का सबसे अच्छा आई बैंक माना गया है.

हर साल नहीं हो पाता एक लाख आई ट्रांसप्लांट
यूपी कम्युनिटी आई बैंक के डायरेक्टर डॉक्टर अरुण शर्मा बताते हैं कि भारत भर में लगभग 22 लाख ऐसे लोग हैं, जिन्हें आंखों की पुतली से संबंधित बीमारी होती है और उन्हें नई पुतलियों की जरूरत होती है. अगर उत्तर प्रदेश की बात की जाए तो यह आंकड़ा लगभग दो लाख लोगों का है. उन्होंने बताया कि भारत सरकार के अनुसार हर वर्ष 1 लाख आई ट्रांसप्लांट होने चाहिए, लेकिन असलियत में यह नहीं हो पा रहा है. अगर वर्ष 2019 की बात की जाए तो उत्तर प्रदेश में सिर्फ 30 हजार आई ट्रांसप्लांट ही हुए हैं. एक दु:खद बात यह है कि जब आई ट्रांसप्लांट के इन आंकड़ों तक हम नहीं पहुंच पाते हैं तो हर वर्ष मरीजों की संख्या 30 से 50 हजार तक बढ़ जाती है.

नेत्रदान को लेकर समाज में है कई भ्रांतियां
डॉ. अरुण शर्मा बताते हैं कि हमारे समाज में नेत्रदान से सम्बन्धित कई भ्रांतियां लोगों के जहन में बैठी हुई है, जिसकी वजह से लोग ब्रेन डेड व्यक्ति या फिर मृत व्यक्ति के भी नेत्रदान करने से हिचकते हैं. उन्होंने बताया कि लोगों को लगता है कि यदि नेत्रदान करवा देंगे तो उनका चेहरा खराब हो जाएगा या फिर 'अगर मैं नेत्रदान कर दूंगा तो अगले जन्म में मुझे आंखें नहीं मिलेंगी' और इसी तरह की कुछ अन्य भ्रांतियां भी फैली हुई है. इसके उलट सच्चाई यह है कि जब भी किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो 6 घंटे के अंदर उस व्यक्ति की आंखों की सिर्फ पुतलियों को ही निकालकर सहेजा जाता है और अगले 14 दिनों के भीतर किसी जरूरतमंद में यह पुतलियां लगाकर उन्हें आंखों की रोशनी दी जा सकती है.

25 अगस्त से 8 सितम्बर तक होता है नेत्रदान पखवाड़ा
भारत सरकार द्वारा हर वर्ष 25 अगस्त से 8 सितंबर तक नेत्रदान पखवाड़े का आयोजन किया जाता है. इस दौरान नेत्र रोग विशेषज्ञ और यूपी कम्युनिटी आई बैंक बड़े पैमाने पर लोगों को नेत्रदान के प्रति जागरुक करते हैं और उनसे मरणोपरांत नेत्रदान करने की अपील भी करते हैं ताकि अन्य लोगों को दुनिया देखने का मौका मिल सके. इस दौरान जागरूकता फैलाने और भ्रांतियां मिटाने के साथ ही साथ लोगों से रजिस्ट्रेशन फॉर्म भी भरवाया जाता है ताकि जागरूक होने के साथ ही साथ वह अपनी जिम्मेदारी को भी निभा सकें और नेत्रदान के लिए रजिस्टर कर सकें.

कोविड-19 के संक्रमण के चलते नेत्रदान पखवाड़े में पिछले वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष कई बदलाव किए गए हैं. डॉ. अरुण बताते हैं कि हर वर्ष इस पखवाड़े के दौरान रैलियां निकाली जाती थी, बच्चों के बीच में प्रतियोगिताएं करवाई जाती थी और बड़ों के साथ भी कुछ इसी तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे ताकि उनमें नेत्रदान के प्रति फैली भ्रांतियां खत्म हो सके. वहीं इस वर्ष कोविड-19 के संक्रमण के चलते यह सब संभव नहीं हो पा रहा है. इसलिए नेत्रदान के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए यूपी कम्युनिटी आई बैंक ने कुछ नई तरकीबें निकाली हैं.

घर-घर जाकर लोगों को किया जाएगा जागरूक
डॉ. अरुण ने बताया कि यूपी कम्यूनिटी आई बैंक ने अपने सभी वॉलिंटियर्स और सहयोगियों के लिए नेत्रदान के प्रति जागरूकता के संदेश लिखवा कर टी-शर्ट छपवाई है, जिसे पहनकर वह सभी सोशल डिस्टेंसिंग और अन्य सभी सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए इन 15 दिनों में घर-घर जाकर जागरूकता फैलाने की कोशिश करेंगे. इसके अलावा कुछ टीम सार्वजनिक जगहों जैसे मॉल्स और चौराहों पर भी जाकर लोगों को नेत्रदान के प्रति जागरूक करने की कोशिश करेंगी.

नेत्रदान है महादान
यूपी कम्युनिटी आई बैंक के डायरेक्टर डॉ. अरुण ने बताया कि आई बैंक में किसी भी मृत व्यक्ति के आई डोनेशन के लिए 6390 826 826 पर फोन किया जा सकता है. इस कॉल के बाद आई बैंक की एक टीम मृत व्यक्ति के परिजनों तक पहुंचती है और 6 घंटे के भीतर आंखों की पुतलियों को निकालकर सहेजा जा सकता है. इससे दो नए व्यक्तियों को दुनिया देखने का मौका मिल सकता है.

लखनऊ: किसी नेत्रहीन व्यक्ति के लिए दुनिया देखने का सपना ही उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा सुख होता है, इसीलिए नेत्रदान को महादान कहा गया है. इस सिलसिले में भारत सरकार द्वारा हर वर्ष 25 अगस्त से 8 सितंबर तक 'नेत्रदान पखवाड़े' का आयोजन किया जाता है, जिसमें कई तरह के कार्यक्रम आयोजित होते है. इस बार कोविड-19 के संक्रमण के चलते नेत्रदान के प्रति जागरूकता लाने के लिए उत्तर प्रदेश का कम्युनिटी आई बैंक कुछ नई तरकीबें लेकर आया है.

आई बैंक के डायरेक्टर ने दी जानकारी.

यूपी कम्युनिटी का आई बैंक लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के ट्रॉमा सेंटर में पांचवें तल पर स्थित है. यह आई बैंक आंखों की पुतलियों से संबंधित बीमारियों का इलाज करने और लोगों को रोशनी देकर नया जीवन देने का काम करता है. इसके बेहतरीन काम को देखते हुए यूपी कम्युनिटी आई बैंक को एशिया का सबसे अच्छा आई बैंक माना गया है.

हर साल नहीं हो पाता एक लाख आई ट्रांसप्लांट
यूपी कम्युनिटी आई बैंक के डायरेक्टर डॉक्टर अरुण शर्मा बताते हैं कि भारत भर में लगभग 22 लाख ऐसे लोग हैं, जिन्हें आंखों की पुतली से संबंधित बीमारी होती है और उन्हें नई पुतलियों की जरूरत होती है. अगर उत्तर प्रदेश की बात की जाए तो यह आंकड़ा लगभग दो लाख लोगों का है. उन्होंने बताया कि भारत सरकार के अनुसार हर वर्ष 1 लाख आई ट्रांसप्लांट होने चाहिए, लेकिन असलियत में यह नहीं हो पा रहा है. अगर वर्ष 2019 की बात की जाए तो उत्तर प्रदेश में सिर्फ 30 हजार आई ट्रांसप्लांट ही हुए हैं. एक दु:खद बात यह है कि जब आई ट्रांसप्लांट के इन आंकड़ों तक हम नहीं पहुंच पाते हैं तो हर वर्ष मरीजों की संख्या 30 से 50 हजार तक बढ़ जाती है.

नेत्रदान को लेकर समाज में है कई भ्रांतियां
डॉ. अरुण शर्मा बताते हैं कि हमारे समाज में नेत्रदान से सम्बन्धित कई भ्रांतियां लोगों के जहन में बैठी हुई है, जिसकी वजह से लोग ब्रेन डेड व्यक्ति या फिर मृत व्यक्ति के भी नेत्रदान करने से हिचकते हैं. उन्होंने बताया कि लोगों को लगता है कि यदि नेत्रदान करवा देंगे तो उनका चेहरा खराब हो जाएगा या फिर 'अगर मैं नेत्रदान कर दूंगा तो अगले जन्म में मुझे आंखें नहीं मिलेंगी' और इसी तरह की कुछ अन्य भ्रांतियां भी फैली हुई है. इसके उलट सच्चाई यह है कि जब भी किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो 6 घंटे के अंदर उस व्यक्ति की आंखों की सिर्फ पुतलियों को ही निकालकर सहेजा जाता है और अगले 14 दिनों के भीतर किसी जरूरतमंद में यह पुतलियां लगाकर उन्हें आंखों की रोशनी दी जा सकती है.

25 अगस्त से 8 सितम्बर तक होता है नेत्रदान पखवाड़ा
भारत सरकार द्वारा हर वर्ष 25 अगस्त से 8 सितंबर तक नेत्रदान पखवाड़े का आयोजन किया जाता है. इस दौरान नेत्र रोग विशेषज्ञ और यूपी कम्युनिटी आई बैंक बड़े पैमाने पर लोगों को नेत्रदान के प्रति जागरुक करते हैं और उनसे मरणोपरांत नेत्रदान करने की अपील भी करते हैं ताकि अन्य लोगों को दुनिया देखने का मौका मिल सके. इस दौरान जागरूकता फैलाने और भ्रांतियां मिटाने के साथ ही साथ लोगों से रजिस्ट्रेशन फॉर्म भी भरवाया जाता है ताकि जागरूक होने के साथ ही साथ वह अपनी जिम्मेदारी को भी निभा सकें और नेत्रदान के लिए रजिस्टर कर सकें.

कोविड-19 के संक्रमण के चलते नेत्रदान पखवाड़े में पिछले वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष कई बदलाव किए गए हैं. डॉ. अरुण बताते हैं कि हर वर्ष इस पखवाड़े के दौरान रैलियां निकाली जाती थी, बच्चों के बीच में प्रतियोगिताएं करवाई जाती थी और बड़ों के साथ भी कुछ इसी तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे ताकि उनमें नेत्रदान के प्रति फैली भ्रांतियां खत्म हो सके. वहीं इस वर्ष कोविड-19 के संक्रमण के चलते यह सब संभव नहीं हो पा रहा है. इसलिए नेत्रदान के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए यूपी कम्युनिटी आई बैंक ने कुछ नई तरकीबें निकाली हैं.

घर-घर जाकर लोगों को किया जाएगा जागरूक
डॉ. अरुण ने बताया कि यूपी कम्यूनिटी आई बैंक ने अपने सभी वॉलिंटियर्स और सहयोगियों के लिए नेत्रदान के प्रति जागरूकता के संदेश लिखवा कर टी-शर्ट छपवाई है, जिसे पहनकर वह सभी सोशल डिस्टेंसिंग और अन्य सभी सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए इन 15 दिनों में घर-घर जाकर जागरूकता फैलाने की कोशिश करेंगे. इसके अलावा कुछ टीम सार्वजनिक जगहों जैसे मॉल्स और चौराहों पर भी जाकर लोगों को नेत्रदान के प्रति जागरूक करने की कोशिश करेंगी.

नेत्रदान है महादान
यूपी कम्युनिटी आई बैंक के डायरेक्टर डॉ. अरुण ने बताया कि आई बैंक में किसी भी मृत व्यक्ति के आई डोनेशन के लिए 6390 826 826 पर फोन किया जा सकता है. इस कॉल के बाद आई बैंक की एक टीम मृत व्यक्ति के परिजनों तक पहुंचती है और 6 घंटे के भीतर आंखों की पुतलियों को निकालकर सहेजा जा सकता है. इससे दो नए व्यक्तियों को दुनिया देखने का मौका मिल सकता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.