लखनऊ : लोहिया संस्थान में नॉन पीजी जेआर की भर्ती पर फिर से विवाद खड़ा हो गया है. आरोप है कि एक साल से कम समय से लोहिया में काम करने वालों को हटा दिया गया है. जबकि दो से तीन साल वाले डॉक्टर नॉन पीजी जेआर के पद पर तैनात हैं.
लोहिया संस्थान में 12 अक्टूबर को नॉन पीजी जेआर के 73 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया था. करीब 400 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था. तकरीबन 285 अभ्यर्थियों ने प्रवेश परीक्षा में हिस्सा लिया था. प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया था. आरोप है कि चयन सूची में दो से तीन साल तक काम करने वालों का चयन किया गया है. जबकि एक साल से कम समय तक काम करने वाले अभ्यर्थियों को बाहर कर दिया गया है. इनके स्थान पर नए अभ्यर्थियों का चयन किया गया है.
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इसके अलावा कुछ अभ्यर्थी प्रवेश परीक्षा में शामिल नहीं हुए. उनका भी चयन कर दिया गया. न्यूक्लीयर मेडिसिन, पीएमआर समेत अन्य विभाग हैं. इस संबंध में संस्थान के सीएमएस डॉ. राजन भटनागर के मुताबिक एम्स समेत देश के दूसरे प्रतिष्ठित संस्थानों में नॉन पीजी जेआर पद पर एक साल से ज्यादा समय तक तैनाती नहीं दी जा रही है. वहां के नियमों का पालन किया जा रहा है. जिन विभागों में अभी नॉन पीजी जेआर की भर्ती नहीं हुई है, उनमें पुराने लोगों से काम लिया जा रहा है. जल्द ही उनमें भी भर्ती प्रक्रिया पूरी की जाएगी.
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