लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय के संबद्ध संस्थान कला एवं शिल्प महाविद्यालय में पहले भगवान बुद्ध की मूर्ति को भगवा रंग से रंगने फिर उसके बाद उसे दोबारा सफेद रंग से रंगने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. एक और जहां कॉलेज के शिक्षक कॉलेज प्रचार्य के इस कार्य से नाराज है. तो वहीं दूसरी ओर प्राचार्य इसे मजदूरों की गलती बताकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं. 23 तारीख को कॉलेज का स्थापना दिवस आयोजित होना है. इसको लेकर कॉलेज में साफ-सफाई व रिनोवेशन का काम चल रहा है. इसी कड़ी में भगवान बुद्ध की 60 साल पुरानी मूर्ति को भगवा कलर से रंग दिया गया था.
कला एवं शिल्प महाविद्यालय लखनऊ विश्वविद्यालय से भी पुराना है. वर्ष 1950 में भारत के प्रसिद्ध मूर्तिकार अवतार सिंह पवार (Sculptor Avtar Singh Pawar) ने इस मूर्ति का निर्माण सीमेंट और कंक्रीट से किया था. निर्माण के बाद यह मूर्ति कॉलेज के मुख्य गेट पर स्थापित की गई थी. तब से लेकर अब तक मूर्ति अपने वास्तविक रंग में ही थी. कॉलेज के शिक्षकों का कहना है कि कॉलेज के स्थापना दिवस (college foundation day) को लेकर कैंपस में साफ-सफाई व रिनोवेशन का काम चल रहा था. अचानक से 1 दिन उन्होंने देखा कि मुख्य गेट पर लगे भगवान बुद्ध की मूर्ति को भगवा रंग (Saffron color to the idol of Lord Buddha) में रंग दिया गया है. कॉलेज के शिक्षकों ने जब इसका विरोध किया था. तो कॉलेज प्रशासन ने आनन-फानन इसे सफेद रंग का कर दिया. कॉलेज के शिक्षकों का कहना है कि रिनोवेशन के काम का ठेका जिस ठेकेदार को दिया गया है वह भाजपा का नेता है. उसने कैंपस में न केवल भगवान बुद्ध की मूर्ति को बल्कि और कई पुरानी मूर्तियों को भगवा कर दिया है.
कॉलेज के शिक्षकों का कहना है कि यह मूर्ति शांति निकेतन से आए विश्व प्रसिद्ध मूर्तिकार अवतार सिंह पवार द्वारा बनाई गई थी. अवतार सिंह पवार कॉलेज में मूर्तिकला डिपार्टमेंट में रीडर के पद पर अप्वॉइंट हुए थे. शिक्षकों का कहना है कि यह मूर्ति एक ऐतिहासिक धरोहर है. यह न केवल एक मूर्ति है बल्कि कॉलेज में रह चुके बड़े शिल्पकार की धरोहर के रूप में संरक्षित किया गया है. इस पूरे मामले पर कॉलेज के प्रिंसिपल रतन कुमार (college principal ratan kumar) का कहना है कि प्रिंटर ने गलती से मूर्ति को पेंट कर दिया था. जैसे ही इसको लेकर कैंपस में विवाद हुआ, जानकारी मिलने पर उन्होंने दोबारा से मूर्ति को उसी कलर करवा दिया है.