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एनसीआर में खड़ी हो जाएंगी सैकड़ों बसें, यात्रियों को होंगी बड़ी दिक्कतें

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के एनसीआर क्षेत्र से डीजल संचालित बसों को हटाने के आदेश दिए हैं. जिसके बाद इस क्षेत्र में अनुबंध पर बसें संचालित हो रहीं हैं. अब इन सैकड़ों बसों के संचालन पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं.

उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम.
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Published : Jun 24, 2019, 9:43 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की एक पॉलिसी से एनसीआर क्षेत्र में सैकड़ों अनुबंधित बसें खड़ी हो सकती हैं. इससे यात्रियों को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने एनसीआर क्षेत्र से डीजल संचालित बसों को हटाने के आदेश दिए. इसके बाद अब इस क्षेत्र में अनुबंध पर संचालित हो रहीं अनुबंधित बसों के संचालन पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं.

जानकारी देते मुख्य प्रधान प्रबंधक, संचालन राजेश वर्मा.


एनसीआर क्षेत्र से डीजल बस हटाने के आदेश

  • अनुबंधित वाहन स्वामियों के रोडवेज से 10 साल के अनुबंध के बाद बसों की अवधि 5 या 7 साल संचालित होते हुए एनसीआर क्षेत्र में हो चुकी है.
  • सीएनजी की नई बसें लगाने के बाद इनकी अवधि 3 साल के लिए ही नियमतः अनुबंध के तहत रह जाएगी.
  • ऐसे में निजी वाहन स्वामी इतनी कम अवधि के लिए लाखों रुपये खर्च कर नई बसें लगाने के मूड में नहीं हैं.
  • इतना ही नहीं अभी तक जिन वाहन स्वामियों की एनसीआर क्षेत्र में 300 से 400 बसें संचालित हो रही हैं.
  • वाहन स्वामी ऐसी बसों को भी खड़ी कर देने का मन बनाने लगे हैं.

अनुबंध के समाप्त होने पर समस्या

  • वाहन स्वामियों ने परिवहन निगम के मुख्य प्रधान प्रबंधक संचालन राजेश वर्मा से मुलाकात कर अनुबंध के नियमों में तब्दीली करने की मांग की.
  • उन्होंने कहा कि जब नियमों में बदलाव होकर नई बस के लिए अनुबंध अवधि 10 साल कर दी जाएगी तभी वे नई बस लगाएंगे.
  • बस स्वामियों का साफ कहना है कि जिन्होंने अभी डीजल संचालित लाखों के बसें खरीदकर दो या तीन साल पहले ही लगाई हैं, वह बस कहां खड़ी करें, कहां ले जाएं.
  • ऐसे में अब परिवहन निगम के सामने यह समस्या खड़ी हो गई है कि अनुबंध के नियमों में किस तरह तब्दीली करें.

जो भी अभी एनसीआर क्षेत्र में बसें चल रही हैं, उन्हें हटाने के लिए कहा गया है. अब ऐसे में अभी दो-तीन साल पहले ही कई लाख की बसें अनुबंध पर लगाई गईं हैं, बताइए बसें कहां ले जाएं. हमारा 10 साल का अनुबंध होता है, बताइए हम क्या करें.
अजीत सिंह, अनुबंधित बस स्वामी

एनसीआर क्षेत्र में हम अनुबंधित बसें चलाते हैं. अनुबंधित बसों का संचालन हो रहा है. अभी हाल ही में हमने एक निविदा निकाली थी, जिसमें हमने तकरीबन 42 बसों को अनुमति प्रदान की है. कुछ पुरानी डीजल बसों को सीएनजी में कन्वर्ट करेंगे. इसके अलावा बस स्वामियों के जो अनुबंध की समस्या है, उसको भी दूर कराने का प्रयास किया जा रहा है.
राजेश वर्मा, मुख्य प्रधान प्रबंधक, संचालन

लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की एक पॉलिसी से एनसीआर क्षेत्र में सैकड़ों अनुबंधित बसें खड़ी हो सकती हैं. इससे यात्रियों को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने एनसीआर क्षेत्र से डीजल संचालित बसों को हटाने के आदेश दिए. इसके बाद अब इस क्षेत्र में अनुबंध पर संचालित हो रहीं अनुबंधित बसों के संचालन पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं.

जानकारी देते मुख्य प्रधान प्रबंधक, संचालन राजेश वर्मा.


एनसीआर क्षेत्र से डीजल बस हटाने के आदेश

  • अनुबंधित वाहन स्वामियों के रोडवेज से 10 साल के अनुबंध के बाद बसों की अवधि 5 या 7 साल संचालित होते हुए एनसीआर क्षेत्र में हो चुकी है.
  • सीएनजी की नई बसें लगाने के बाद इनकी अवधि 3 साल के लिए ही नियमतः अनुबंध के तहत रह जाएगी.
  • ऐसे में निजी वाहन स्वामी इतनी कम अवधि के लिए लाखों रुपये खर्च कर नई बसें लगाने के मूड में नहीं हैं.
  • इतना ही नहीं अभी तक जिन वाहन स्वामियों की एनसीआर क्षेत्र में 300 से 400 बसें संचालित हो रही हैं.
  • वाहन स्वामी ऐसी बसों को भी खड़ी कर देने का मन बनाने लगे हैं.

अनुबंध के समाप्त होने पर समस्या

  • वाहन स्वामियों ने परिवहन निगम के मुख्य प्रधान प्रबंधक संचालन राजेश वर्मा से मुलाकात कर अनुबंध के नियमों में तब्दीली करने की मांग की.
  • उन्होंने कहा कि जब नियमों में बदलाव होकर नई बस के लिए अनुबंध अवधि 10 साल कर दी जाएगी तभी वे नई बस लगाएंगे.
  • बस स्वामियों का साफ कहना है कि जिन्होंने अभी डीजल संचालित लाखों के बसें खरीदकर दो या तीन साल पहले ही लगाई हैं, वह बस कहां खड़ी करें, कहां ले जाएं.
  • ऐसे में अब परिवहन निगम के सामने यह समस्या खड़ी हो गई है कि अनुबंध के नियमों में किस तरह तब्दीली करें.

जो भी अभी एनसीआर क्षेत्र में बसें चल रही हैं, उन्हें हटाने के लिए कहा गया है. अब ऐसे में अभी दो-तीन साल पहले ही कई लाख की बसें अनुबंध पर लगाई गईं हैं, बताइए बसें कहां ले जाएं. हमारा 10 साल का अनुबंध होता है, बताइए हम क्या करें.
अजीत सिंह, अनुबंधित बस स्वामी

एनसीआर क्षेत्र में हम अनुबंधित बसें चलाते हैं. अनुबंधित बसों का संचालन हो रहा है. अभी हाल ही में हमने एक निविदा निकाली थी, जिसमें हमने तकरीबन 42 बसों को अनुमति प्रदान की है. कुछ पुरानी डीजल बसों को सीएनजी में कन्वर्ट करेंगे. इसके अलावा बस स्वामियों के जो अनुबंध की समस्या है, उसको भी दूर कराने का प्रयास किया जा रहा है.
राजेश वर्मा, मुख्य प्रधान प्रबंधक, संचालन

Intro:रोडवेज की पॉलिसी से एनसीआर में खड़ी हो जाएंगी सैकड़ों बसें, यात्रियों को होगी बड़ी दिक्कत

लखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की एक पालिसी से से एनसीआर क्षेत्र में सैकड़ों अनुबंधित बसें खड़ी हो सकती हैं। इससे यात्रियों को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के एनसीआर क्षेत्र से डीजल संचालित बसों को हटाने के आदेश के बाद अब इस क्षेत्र में अनुबंध पर संचालित हो रहीं सैकड़ों अनुबंधित बसों के संचालन पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। परिवहन निगम के अधिकारियों का कहना है कि पॉलिसी में कुछ चेंजेज किए जाएंगे जिससे एनसीआर क्षेत्रों में संचालित अनुबंधित वाहन स्वामियों को कोई परेशानी न हो।


Body:अनुबंधित वाहन स्वामियों ने रोडवेज से 10 साल के अनुबंध के बाद जिन बसों की अवधि 5 या 7 साल संचालित होते हुए एनसीआर क्षेत्र में हो चुकी है ऐसे में सीएनजी की नई बसें लगाने के बाद इनकी अवधि 3 साल के लिए ही नियमतः अनुबंध के तहत रह जाएगी, ऐसे में निजी वाहन स्वामी इतनी कम अवधि के लिए लाखों रुपए खर्च कर नई बसें लगाने के मूड में नहीं हैं। इतना ही नहीं अभी तक जिन वाहन स्वामियों की एनसीआर क्षेत्र में 300 से 400 बसें संचालित हो रही हैं। उन्हें भी खड़ी कर देने का मन बनाने लगे हैं। वाहन स्वामियों ने परिवहन निगम के मुख्य प्रधान प्रबंधक संचालन राजेश वर्मा से मुलाकात कर अनुबंध के नियमों में तब्दीली करने की मांग की, साथ ही कहा है कि जब नियमों में बदलाव होकर नई बस के लिए अनुबंध अवधि 10 साल कर दी जाएगी तभी वे नई बस लगाएंगे। बस स्वामियों का साफ कहना है कि जिन्होंने अभी डीजल संचालित लाखों के बसें खरीद कर दो या तीन साल पहले ही लगाई हैं वह बताइए बस कहां खड़ी करें, कहां ले जाएं। ऐसे में अब परिवहन निगम के सामने यह समस्या खड़ी हो गई है कि अनुबंध के नियमों में किस तरह तब्दीली करें, जिससे व संचालन प्रभावित न हो और जनता को कोई दिक्कत न हो।


Conclusion:बाइट 1: अजीत सिंह, अनुबंधित बस स्वामी

जो भी अभी एनसीआर क्षेत्र में बसें चल रही हैं उन्हें हटाने के लिए कहा गया है। अब ऐसे में अभी दो-तीन साल पहले ही कई लाख की बसें अनुबंध पर लगाई गईं हैं, बताइए बसें कहां ले जाएं। हमारा 10 साल का अनुबंध होता है बताइए हम क्या करें। दूसरी बात उन क्षेत्रों में अभी कोई सीएनजी पंप तक नहीं है तब सीएनजी कहां से फिल होगी। गाजियाबाद, मेरठ और सहारनपुर क्षेत्र ऐसे हैं जहां सीएनजी पंप ही नहीं है। 300 से 400 गाड़ियां 2 माह के अंदर खड़ी हो जाएंगी। अभी 50 गाड़ियां खड़ी हो चुकी हैं। जिनका अनुबंध समाप्त होता जा रहा है वह खड़ी होती जा रही हैं। परिवहन मंत्री से भी मिले उन्होंने सुनवाई तो की लेकिन किया कुछ नहीं। अब हमारा अगला कदम 5 या 6 जुलाई को प्रदेशभर की मीटिंग बुलाएंगे और आरपार का फैसला लेंगे।

बाइट 2: राजेश वर्मा: मुख्य प्रधान प्रबंधक, संचालन

एनसीआर क्षेत्र में हम अनुबंधित बसें चलाते हैं। अनुबंधित बसों का संचालन हो रहा है। अभी हाल ही में हमने एक निविदा निकाली थी जिसमें हमने तकरीबन 42 बसों को अनुमति प्रदान की है। कुछ पुरानी डीजल बसों को सीएनजी में कन्वर्ट करेंगे। इसके अलावा बस स्वामियों के जो अनुबंध की समस्या है उसको भी दूर कराने का प्रयास किया जा रहा है।

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