लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की एक पॉलिसी से एनसीआर क्षेत्र में सैकड़ों अनुबंधित बसें खड़ी हो सकती हैं. इससे यात्रियों को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने एनसीआर क्षेत्र से डीजल संचालित बसों को हटाने के आदेश दिए. इसके बाद अब इस क्षेत्र में अनुबंध पर संचालित हो रहीं अनुबंधित बसों के संचालन पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं.
एनसीआर क्षेत्र से डीजल बस हटाने के आदेश
- अनुबंधित वाहन स्वामियों के रोडवेज से 10 साल के अनुबंध के बाद बसों की अवधि 5 या 7 साल संचालित होते हुए एनसीआर क्षेत्र में हो चुकी है.
- सीएनजी की नई बसें लगाने के बाद इनकी अवधि 3 साल के लिए ही नियमतः अनुबंध के तहत रह जाएगी.
- ऐसे में निजी वाहन स्वामी इतनी कम अवधि के लिए लाखों रुपये खर्च कर नई बसें लगाने के मूड में नहीं हैं.
- इतना ही नहीं अभी तक जिन वाहन स्वामियों की एनसीआर क्षेत्र में 300 से 400 बसें संचालित हो रही हैं.
- वाहन स्वामी ऐसी बसों को भी खड़ी कर देने का मन बनाने लगे हैं.
अनुबंध के समाप्त होने पर समस्या
- वाहन स्वामियों ने परिवहन निगम के मुख्य प्रधान प्रबंधक संचालन राजेश वर्मा से मुलाकात कर अनुबंध के नियमों में तब्दीली करने की मांग की.
- उन्होंने कहा कि जब नियमों में बदलाव होकर नई बस के लिए अनुबंध अवधि 10 साल कर दी जाएगी तभी वे नई बस लगाएंगे.
- बस स्वामियों का साफ कहना है कि जिन्होंने अभी डीजल संचालित लाखों के बसें खरीदकर दो या तीन साल पहले ही लगाई हैं, वह बस कहां खड़ी करें, कहां ले जाएं.
- ऐसे में अब परिवहन निगम के सामने यह समस्या खड़ी हो गई है कि अनुबंध के नियमों में किस तरह तब्दीली करें.
जो भी अभी एनसीआर क्षेत्र में बसें चल रही हैं, उन्हें हटाने के लिए कहा गया है. अब ऐसे में अभी दो-तीन साल पहले ही कई लाख की बसें अनुबंध पर लगाई गईं हैं, बताइए बसें कहां ले जाएं. हमारा 10 साल का अनुबंध होता है, बताइए हम क्या करें.
अजीत सिंह, अनुबंधित बस स्वामी
एनसीआर क्षेत्र में हम अनुबंधित बसें चलाते हैं. अनुबंधित बसों का संचालन हो रहा है. अभी हाल ही में हमने एक निविदा निकाली थी, जिसमें हमने तकरीबन 42 बसों को अनुमति प्रदान की है. कुछ पुरानी डीजल बसों को सीएनजी में कन्वर्ट करेंगे. इसके अलावा बस स्वामियों के जो अनुबंध की समस्या है, उसको भी दूर कराने का प्रयास किया जा रहा है.
राजेश वर्मा, मुख्य प्रधान प्रबंधक, संचालन