लखनऊः उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री अशोक कटारिया ने चालक परिचालकों के हित में एक बड़ा फैसला लिया है. उनके इस निर्णय से परिवहन निगम में चोरी और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी. दरअसल, ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर ने रोडवेज के संविदा चालक- परिचालकों को अपने क्षेत्र में ट्रांसफर कराने की अनुमति दे दी है. इसके बाद अब प्रदेश के दूरदराज क्षेत्रों से आकर अलग-अलग जनपदों में नौकरी करने वाले चालक-परिचालक अपने गृह क्षेत्र में भी अपना ट्रांसफर करा सकेंगे. पहली बार परिवहन निगम में इस तरह का बड़ा फैसला हुआ है.
चोरी और भ्रष्टाचार पर लगेगी लगाम
रोडवेज में नौकरी करने वाले संविदा चालक- परिचालकों को किलोमीटर के हिसाब से वेतन मिलता है. ऐसे में अगर उनका किलोमीटर कम रह जाता है तो उनका घर का खर्च भी चलना मुश्किल हो जाता है. यही वजह है कि चालक परिचालक पर बसों में बेटिकट यात्रा कराने का आरोप लगते रहते हैं. अवैध तरीके से सामान की ढुलाई कर चोरी करते हैं और रोडवेज को नुकसान पहुंचाते हैं.
संविदा चालक-परिचालक काफी दिनों से परिवहन निगम प्रशासन से अपने-अपने क्षेत्रों में ट्रांसफर करने की मांग कर रहे थे, लेकिन परिवहन निगम ने ऐसा कोई नियम नहीं बनाया था, जिसके चलते यह संभव नहीं हो पा रहा था. अब परिवहन मंत्री अशोक कटारिया ने संविदा के ड्राइवर कंडक्टरों की मजबूरी को समझा है और रोडवेज को नियमों में परिवर्तन करने के लिए कहा है. परिवहन निगम अब जल्द ही चालक-परिचालकों को उनके अपने गृह क्षेत्र स्थित डिपो में ट्रांसफर करने की तैयारी कर रहा है.
पढ़ें- रोडवेज ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बढ़ाया कदम, बस से लेकर स्टेशन तक का रखा खयाल
संविदा कर्मियों को मिलता है डेढ़ रुपये प्रति किलोमीटर
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में कार्यरत संविदा कर्मियों को डेढ़ रुपये प्रति किलोमीटर के हिसाब से मानदेय मिलता है. ऐसे में महीने के आखिर में निर्भर करता है कि उन्होंने कितने किलोमीटर बस संचालन किया. कम होने पर उनका वेतन 10000 रुपये से ऊपर नहीं बन पाता. ऐसे में अपने गृह क्षेत्र से कोसों दूर किराए पर मकान लेकर और अपना खर्चा उठाने में भी संविदा कर्मियों को दिक्कत आती है. अपने परिवार का पालन पोषण भी उनके लिए मुसीबत भरा साबित होता है. अब अपने गृह क्षेत्र में ट्रांसफर पाने के बाद कम से कम उनका अलग से किराये के मकान और खाने का खर्च बचेगा, जिससे परिवार का पालन पोषण हो सकेगा.
नियमित कर्मचारियों के लिए लागू है नियम
संविदा कर्मचारियों के लिए यह नियम पहली बार बन रहा है तो नियमित कर्मचारियों के लिए पहले से ही परिवहन निगम प्रशासन ने प्रावधान कर रखा है. वेतन की बात की जाए तो नियमित कर्मचारियों को अच्छा वेतन भी मिलता है और संविदा कर्मियों का घर भी नहीं चल पाता. संविदा कर्मी अभी तक रीजन के अंदर ही अपना ट्रांसफर करा सकते थे, लेकिन अब रीजन से बाहर अपने गृह क्षेत्र में भी ट्रांसफर ले सकेंगे, जिससे उनको काफी राहत मिलेगी. परिवार के साथ में अपना समय गुजार पाएंगे.
दोनों को ही होगा फायदा
परिवहन मंत्री के इस फैसले के बाद परिवहन निगम को भी इससे लाभ होगा और संविदा के ड्राइवर-कंडक्टर को भी. दरअसल, अभी तक बेटिकट और बिना बुक किए माल ढोने का पैसा सीधे ड्राइवर-कंडक्टर की जेब में चला जाता था जिससे परिवहन निगम को नुकसान होता था. अब जब वे अपने गृह क्षेत्र पहुंच जाएंगे तो बेटिकट यात्रा कराने से हिचकेंगे, साथ ही माल की ढुलाई भी बुक करके ही करेंगे जिससे रोडवेज को फायदा होगा.
पढ़ें- परिवहन निगम ने कोरोना काल में रखा मुसाफिरों के जेब का ख्याल
इतनी है कर्मियों की संख्या
रोडवेज में कार्यरत संविदा कर्मियों की संख्या जिममें ड्राइवर और कंडक्टर दोनों शामिल हैं, वर्तमान में इनकी संख्या 28 हजार है. वहीं नियमित कर्मियों की संख्या 24 हजार है.
यूनियन ने किया फैसले का स्वागत
रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद (Roadways Employees Joint Council) के प्रांतीय प्रतिनिधि रजनीश मिश्रा ने परिवहन मंत्री के इस निर्णय का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि पहली बार ऐसा ऐतिहासिक फैसला लिया गया है इससे निश्चित तौर पर रोडवेज को भविष्य में काफी फायदा मिलेगा. संविदा कर्मी दोगुनी ऊर्जा के साथ काम करेंगे, अबतक चोरी की जो शिकायत मिलती थी वो भी कम होगी. अब वे अपने परिवार के साथ भी रह सकेंगे. इस फैसले के लिए उत्तर प्रदेश सरकार का आभार.
क्या कहते हैं रोडवेज के प्रधान प्रबंधक (कार्मिक)
परिवहन निगम के प्रधान प्रबंधक (कार्मिक) डीबी सिंह ने 'ईटीवी भारत' को फोन पर बताया कि परिवहन मंत्री ने इस तरह का फैसला लिया है. ऐसा पहली बार हो रहा है जब नियमित कर्मचारियों की तरह ही संविदा कर्मचारी भी अपने गृह क्षेत्र में ट्रांसफर करा सकेंगे. संविदा कर्मियों की अल्प आय होती है जिससे उन्हें अपना जीवन गुजर-बसर करने में दिक्कत आती है. इसी को ध्यान में रखकर यह फैसला लिया गया है. मिनट्स तैयार होते ही नियम लागू कर दिया जाएगा. इच्छुक संविदा कर्मियों का अपने गृह क्षेत्र में तबादला किया जाएगा.