लखनऊ: बिजली विभाग की लापरवाही से अब अगर उपभोक्ताओं को किसी तरह की भी परेशानी होती है तो इसके बदले वे मुआवजा पाने के हकदार हो जाएंगे. विभाग को शिकायतों का सही समय पर निस्तारण न कर पाने का खामियाजा उपभोक्ताओं को मुआवजा देकर भुगतना पड़ेगा. राज्य विद्युत नियामक आयोग ने इस बाबत नया स्टैंडर्ड ऑफ परफॉरमेंस रेगुलेशन 2019 जारी कर दिया है. इसे गजट नोटिफिकेशन के लिए ऊर्जा विभाग को भी भेज दिया है. जैसे ही गजट नोटिफिकेशन हो जाएगा, प्रदेश में मुआवजा क्लॉज तत्काल प्रभावी हो जाएगा.
उपभोक्ताओं को मिलेगा मुआवजा
उपभोक्ताओं की इन्हीं समस्याओं को लेकर राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद की तरफ से विद्युत नियामक आयोग के समक्ष कई जनहित याचिका दाखिल की गई थी, जिसके बाद नियामक आयोग की तरफ से नया स्टैंडर्ड परफॉर्मेंस रेगुलेशन 2019 जारी कर दिया गया है. यह रेगुलेशन लागू होने पर उपभोक्ताओं को अधिकतम 60 दिनों में मुआवजा देना अनिवार्य होगा.
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कितना मिलेगा मुआवजा
उपभोक्ताओं को एक वित्तीय वर्ष में उसके फिक्स चार्ज/डिमांड चार्ज के 30% से अधिक का मुआवजा नहीं दिया जाएगा. उदाहरण के तौर पर अगर एक किलो वाट भार क्षमता का कनेक्शन लेने वाला उपभोक्ता महीने में 100 रुपए प्रति किलो वाट फिक्स चार्ज देता है तो उसका पूरे साल का फिक्स चार्ज 1200 रुपये हुआ. ऐसे में उस उपभोक्ता को एक वर्ष में अधिकतम 360 रुपए मुआवजा मिलेगा.
क्या कहते हैं राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद अवधेश वर्मा
विद्युत वितरण संहिता के तहत स्टैंडर्ड ऑफ परफॉरमेंस रेगुलेशन का प्रावधान है. इसके अनुसार बिजली कंपनियों के लिए उपभोक्ताओं की समस्या से संबंधित अवधि निर्धारित की गई है. इसमें ट्रांसफार्मर फुंकने, ब्रेकडाउन, बायर बदलने और भी बिजली से जुड़ी समस्याएं हैं, जिनके लिए उपभोक्ताओं को मुआवजे का प्रावधान भी है. काफी दिन से लड़ाई लड़ी जा रही थी, लेकिन अब नियामक आयोग ने ऊर्जा विभाग को इसके लिए गजट नोटिफिकेशन जारी करने का निर्देश दे दिया है, जिससे 60 दिन में अगर उपभोक्ता की समस्या हल नहीं होती है तो इसके लिए विभाग को मुआवजा देना ही पड़ेगा.
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