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लखनऊ: बिजली से जुड़ी समस्या का समाधान न होने पर उपभोक्ता को मिलेगा मुआवजा

बिजली विभाग की लापरवाही से अगर उपभोक्ता परेशान होगा तो अब उसे मुआवजा दिया जाएगा. राज्य विद्युत नियामक आयोग ने नया स्टैंडर्ड ऑफ परफॉरमेंस रेगुलेशन 2019 जारी कर दिया है.

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बिजली विभाग
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Published : Dec 18, 2019, 6:24 AM IST

लखनऊ: बिजली विभाग की लापरवाही से अब अगर उपभोक्ताओं को किसी तरह की भी परेशानी होती है तो इसके बदले वे मुआवजा पाने के हकदार हो जाएंगे. विभाग को शिकायतों का सही समय पर निस्तारण न कर पाने का खामियाजा उपभोक्ताओं को मुआवजा देकर भुगतना पड़ेगा. राज्य विद्युत नियामक आयोग ने इस बाबत नया स्टैंडर्ड ऑफ परफॉरमेंस रेगुलेशन 2019 जारी कर दिया है. इसे गजट नोटिफिकेशन के लिए ऊर्जा विभाग को भी भेज दिया है. जैसे ही गजट नोटिफिकेशन हो जाएगा, प्रदेश में मुआवजा क्लॉज तत्काल प्रभावी हो जाएगा.

समस्या का समय से समाधान न होने पर बिजली उपभोक्ताओं को मिलेगा मुआवजा.
बहुत समस्याएं आ रही थी सामने
विद्युत वितरण संहिता 2005 कानून में नया कनेक्शन लेने, मीटर रीडिंग लोड घटाने-बढ़ाने, ब्रेकडाउन, केबल फॉल्ट, ट्रांसफॉर्मर बदलने सहित तमाम अन्य तरह की शिकायतों के समाधान के लिए समय सीमा तय की गई है. इस टाइम लिमिट का उल्लंघन करने पर मुआवजा का प्रावधान भी है. बावजूद इसके बिजली कंपनियां कंज्यूमर्स की कंप्लेंट का समाधान समय से नहीं करती हैं, जिसके चलते उपभोक्ताओं को दिक्कतों के साथ ही आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ता है.

उपभोक्ताओं को मिलेगा मुआवजा
उपभोक्ताओं की इन्हीं समस्याओं को लेकर राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद की तरफ से विद्युत नियामक आयोग के समक्ष कई जनहित याचिका दाखिल की गई थी, जिसके बाद नियामक आयोग की तरफ से नया स्टैंडर्ड परफॉर्मेंस रेगुलेशन 2019 जारी कर दिया गया है. यह रेगुलेशन लागू होने पर उपभोक्ताओं को अधिकतम 60 दिनों में मुआवजा देना अनिवार्य होगा.

इसे भी पढ़ें - खेतों में बिजली का उत्पादन कर सकेंगे किसान: श्रीकांत शर्मा

कितना मिलेगा मुआवजा
उपभोक्ताओं को एक वित्तीय वर्ष में उसके फिक्स चार्ज/डिमांड चार्ज के 30% से अधिक का मुआवजा नहीं दिया जाएगा. उदाहरण के तौर पर अगर एक किलो वाट भार क्षमता का कनेक्शन लेने वाला उपभोक्ता महीने में 100 रुपए प्रति किलो वाट फिक्स चार्ज देता है तो उसका पूरे साल का फिक्स चार्ज 1200 रुपये हुआ. ऐसे में उस उपभोक्ता को एक वर्ष में अधिकतम 360 रुपए मुआवजा मिलेगा.

क्या कहते हैं राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद अवधेश वर्मा
विद्युत वितरण संहिता के तहत स्टैंडर्ड ऑफ परफॉरमेंस रेगुलेशन का प्रावधान है. इसके अनुसार बिजली कंपनियों के लिए उपभोक्ताओं की समस्या से संबंधित अवधि निर्धारित की गई है. इसमें ट्रांसफार्मर फुंकने, ब्रेकडाउन, बायर बदलने और भी बिजली से जुड़ी समस्याएं हैं, जिनके लिए उपभोक्ताओं को मुआवजे का प्रावधान भी है. काफी दिन से लड़ाई लड़ी जा रही थी, लेकिन अब नियामक आयोग ने ऊर्जा विभाग को इसके लिए गजट नोटिफिकेशन जारी करने का निर्देश दे दिया है, जिससे 60 दिन में अगर उपभोक्ता की समस्या हल नहीं होती है तो इसके लिए विभाग को मुआवजा देना ही पड़ेगा.

इसे भी पढ़ें - मिर्जापुर: बिजली बिना सैकड़ों परिवार अंधेरे में रहने को मजबूर

लखनऊ: बिजली विभाग की लापरवाही से अब अगर उपभोक्ताओं को किसी तरह की भी परेशानी होती है तो इसके बदले वे मुआवजा पाने के हकदार हो जाएंगे. विभाग को शिकायतों का सही समय पर निस्तारण न कर पाने का खामियाजा उपभोक्ताओं को मुआवजा देकर भुगतना पड़ेगा. राज्य विद्युत नियामक आयोग ने इस बाबत नया स्टैंडर्ड ऑफ परफॉरमेंस रेगुलेशन 2019 जारी कर दिया है. इसे गजट नोटिफिकेशन के लिए ऊर्जा विभाग को भी भेज दिया है. जैसे ही गजट नोटिफिकेशन हो जाएगा, प्रदेश में मुआवजा क्लॉज तत्काल प्रभावी हो जाएगा.

समस्या का समय से समाधान न होने पर बिजली उपभोक्ताओं को मिलेगा मुआवजा.
बहुत समस्याएं आ रही थी सामनेविद्युत वितरण संहिता 2005 कानून में नया कनेक्शन लेने, मीटर रीडिंग लोड घटाने-बढ़ाने, ब्रेकडाउन, केबल फॉल्ट, ट्रांसफॉर्मर बदलने सहित तमाम अन्य तरह की शिकायतों के समाधान के लिए समय सीमा तय की गई है. इस टाइम लिमिट का उल्लंघन करने पर मुआवजा का प्रावधान भी है. बावजूद इसके बिजली कंपनियां कंज्यूमर्स की कंप्लेंट का समाधान समय से नहीं करती हैं, जिसके चलते उपभोक्ताओं को दिक्कतों के साथ ही आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ता है.

उपभोक्ताओं को मिलेगा मुआवजा
उपभोक्ताओं की इन्हीं समस्याओं को लेकर राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद की तरफ से विद्युत नियामक आयोग के समक्ष कई जनहित याचिका दाखिल की गई थी, जिसके बाद नियामक आयोग की तरफ से नया स्टैंडर्ड परफॉर्मेंस रेगुलेशन 2019 जारी कर दिया गया है. यह रेगुलेशन लागू होने पर उपभोक्ताओं को अधिकतम 60 दिनों में मुआवजा देना अनिवार्य होगा.

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कितना मिलेगा मुआवजा
उपभोक्ताओं को एक वित्तीय वर्ष में उसके फिक्स चार्ज/डिमांड चार्ज के 30% से अधिक का मुआवजा नहीं दिया जाएगा. उदाहरण के तौर पर अगर एक किलो वाट भार क्षमता का कनेक्शन लेने वाला उपभोक्ता महीने में 100 रुपए प्रति किलो वाट फिक्स चार्ज देता है तो उसका पूरे साल का फिक्स चार्ज 1200 रुपये हुआ. ऐसे में उस उपभोक्ता को एक वर्ष में अधिकतम 360 रुपए मुआवजा मिलेगा.

क्या कहते हैं राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद अवधेश वर्मा
विद्युत वितरण संहिता के तहत स्टैंडर्ड ऑफ परफॉरमेंस रेगुलेशन का प्रावधान है. इसके अनुसार बिजली कंपनियों के लिए उपभोक्ताओं की समस्या से संबंधित अवधि निर्धारित की गई है. इसमें ट्रांसफार्मर फुंकने, ब्रेकडाउन, बायर बदलने और भी बिजली से जुड़ी समस्याएं हैं, जिनके लिए उपभोक्ताओं को मुआवजे का प्रावधान भी है. काफी दिन से लड़ाई लड़ी जा रही थी, लेकिन अब नियामक आयोग ने ऊर्जा विभाग को इसके लिए गजट नोटिफिकेशन जारी करने का निर्देश दे दिया है, जिससे 60 दिन में अगर उपभोक्ता की समस्या हल नहीं होती है तो इसके लिए विभाग को मुआवजा देना ही पड़ेगा.

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Intro:अब बिजली से जुड़ी समस्या का समाधान न होने पर उपभोक्ताओं को मिलेगा मुआवजा

लखनऊ। बिजली विभाग की लापरवाही से अब अगर उपभोक्ताओं को किसी तरह की भी परेशानी होती है तो इसके बदले वे मुआवजा पाने के हकदार हो जाएंगे। विभाग को शिकायतों का सही समय पर निस्तारण न कर पाने का खामियाजा उपभोक्ताओं को मुआवजा देकर भुगतना पड़ेगा। दरअसल, राज्य विद्युत नियामक आयोग ने इस बाबत नया स्टैंडर्ड आफ परफारमेंस रेगुलेशन 2019 जारी कर दिया है और इसे गजट नोटिफिकेशन के लिए ऊर्जा विभाग को भी भेज दिया है, जैसे ही गजट नोटिफिकेशन हो जाएगा प्रदेश में मुअवजा क्लॉज तत्काल प्रभावी हो जाएगा।


Body:विद्युत वितरण संहिता 2005 कानून में नया कनेक्शन लेने मीटर रीडिंग लोड घटाने बढ़ाने,
ब्रेकडाउन, केबल फॉल्ट, ट्रांसफार्मर बदलने सहित तमाम अन्य तरह की शिकायतों के समाधान के लिए समय सीमा तय की गई है। इस टाइम लिमिट का उल्लंघन करने पर मुआवजा का प्रावधान भी है। बावजूद इसके बिजली कंपनियां कंज्यूमर्स की कंप्लेंट का समाधान समय से नहीं करती हैं जिसके चलते उपभोक्ताओं को दिक्कतों के साथ ही आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ता है। उपभोक्ताओं की इन्हीं समस्याओं को लेकर राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद की तरफ से विद्युत नियामक आयोग के समक्ष कई जनहित याचिका दाखिल की गई थीं जिसके बाद नियामक आयोग की तरफ से नया स्टैंडर्ड परफॉर्मेंस रेगुलेशन 2019 जारी कर दिया गया। यह रेगुलेशन लागू होने पर उपभोक्ताओं को अधिकतम 60 दिनों में मुआवजा देना अनिवार्य होगा। उपभोक्ताओं को एक वित्तीय वर्ष में उसके फिक्स चार्ज/डिमांड चार्ज के 30% से अधिक का मुआवजा नहीं दिया जाएगा। उदाहरण के तौर पर अगर एक किलो वाट भार क्षमता का कनेक्शन लेने वाला उपभोक्ता महीने में ₹100 प्रति किलो वाट फिक्स चार्ज देता है तो उसका पूरे साल का फिक्स चार्ज 1200 रुपये हुआ। ऐसे में उस उपभोक्ता को 1 वर्ष में अधिकतम ₹360 मुआवजा मिलेगा।


Conclusion:बाइट: अवधेश वर्मा: अध्यक्ष: राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद

विद्युत वितरण संहिता के तहत स्टैंडर्ड आफ परफारमेंस रेगुलेशन का प्रावधान है। इसके अनुसार बिजली कंपनियों के लिए उपभोक्ताओं की समस्या से संबंधित अवधि निर्धारित की गई है। इसमें ट्रांसफार्मर फुंकने, ब्रेकडाउन, बायर बदलने और भी बिजली से जुड़ी समस्याएं हैं जिनके लिए उपभोक्ताओं को मुआवजे का प्रावधान भी है। काफी दिन से लड़ाई लड़ी जा रही थी लेकिन अब नियामक आयोग ने ऊर्जा विभाग को इसके लिए गजट नोटिफिकेशन जारी करने का निर्देश दे दिया है। जिससे 60 दिन में अगर उपभोक्ता की समस्या हल नहीं होती तो इसके लिए विभाग को मुआवजा देना ही पड़ेगा। इससे उपभोक्ताओं को समस्या का हल होने पर मुआवजा का लाभ मिलेगा।

अखिल पांडेय, लखनऊ, 93368 64096
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