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यहां लोग आने-जाने के लिए आज भी लेते हैं नाव का सहारा, आठ साल में भी नहीं पूरा सका पुल निर्माण

प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ग्रामीणों को एक ब्लॉक से दूसरे ब्लॉक में जाने के लिए मौत को चुनौती देनी पड़ती है. माल विकास खंड और बख्शी तालाब के सैकड़ों गांवों के लोग गोमती नदी को पार करने के लिए नाव का सहारा लेते हैं. हालांकि पुल निर्माण कार्य कर रहे जेई का कहना है कि पुल का निर्माण कार्य जल्द ही पूरा हो जाएगा और प्रयास है कि अक्टूबर तक फ्लाई ओवर शुरू भी हो जाएगा.

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Published : Aug 17, 2021, 4:43 PM IST

Updated : Aug 17, 2021, 4:52 PM IST

कुछ ऐसे हैं यहां के हालात.
कुछ ऐसे हैं यहां के हालात.

लखनऊ: प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं,ऐसे में सभी पार्टियां अपनी-अपनी सरकारों के विकास कार्यों को गिनाने में लगी हैं, लेकिन इन सब तमाम बातों के बीच राजधानी लखनऊ के ग्रामीण क्षेत्र में एक ऐसा इलाका भी है जहां तक विकास पहुंचा ही नहीं. इस इलाके के लोग आज तक विकास कार्यों से नावाकिफ हैं. हम बात कर रहे हैं माल विकास खंड और बख्शी तालाब की, जहां पर फ्लाई ओवर का निर्मण कार्य पार्टियों की आपसी कलह के चलते पूरा नहीं हो सका. सपा सरकार में शुरू हुए फ्लाईओवर का काम आठ साल बीतने के बाद भी अब तक पूरा नहीं हो सका है.

इसके चलते ग्रामीण मुसीबत उठा रहे है और ग्रामीणों को एक ब्लॉक से दूसरे ब्लॉक में जाने के लिए मौत को चुनौती देनी पड़ती है. यहां के सैकड़ों गांव के ग्रामीण गोमती नदी को पार करने के लिए नाव का सहारा लेते हैं. हालांकि पुल निर्माण कार्य कर रहे जेई का कहना है कि पुल का निर्माण कार्य जल्द ही पूरा हो जाएगा और प्रयास है कि अक्टूबर तक फ्लाई ओवर शुरू भी हो जाएगा.

आने जाने के लिए नाव ही है सहारा.

जब ईटीवी की टीम ने मौके पर जाकर पड़ताल की और लोगों से बातचीत की गांव में रहने वाले शिवसागर बाजपेई ने बताया कि बीकेटी विधानसभा और मलिहाबाद विधानसभा के बीच में राम सनेही घाट पर पुल का निर्माण कार्य समाजवादी पार्टी के शासनकाल में शुरू हुआ था. लगभग 8 साल बीतने को हैं, लेकिन निर्माण कार्य पूरा नहीं सका. उनका आरोप है कि सपा के शासनकाल में कुछ दिन तक तो निर्माण कार्य चला लेकिन, समाजवादी पार्टी के नेताओं में आपसी कलह के चलते इस पुल के निर्माण कार्य को रुकवा दिया गया. शिवसागर बताते हैं कि 2017 में जब बीजेपी की सरकार बनी तो बीजेपी के सांसद और केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर के प्रयास से फ्लाई ओवर के निर्माण कार्य में तेजी जरूर आई थी, लेकिन बीजेपी का भी शासनकाल भी पूरा होने को है अब तक पुल नहीं बन सका. अगर पुल जल्दी बन जाता है तो ग्रामीणों को आए दिन जो मुसीबत उठानी पड़ती है, उससे कहीं ना कहीं सैकड़ों गांव के निवासियों को निजात जरूर मिलेगी.

कुछ ऐसे हैं यहां के हालात.
कुछ ऐसे हैं यहां के हालात.

शिवसागर बाजपेई ने बताया कि फ्लाई ओवर न होने से माल, काकोरी ,मलिहाबाद के लोगों को बीकेटी ब्लॉक में जाने के लिए गोमती नदी से होकर जाना पड़ता है. गोमती नदी पार करने के आये दिन लोग मौत को दावत देते हुए नाव का सहारा लेते हैं. कई बार ग्रामीणों को दुर्घटनाओं का भी सामना करना पड़ा है. उन्होंने बताया कि माल ब्लॉक से होकर भी बीकेटी की तरफ जाने वाले फ्लाईओवर का काम माल ब्लॉक में लगभग पूरा हो चुका है, लेकिन बीकेटी की तरफ उतरने वाले पुल का काम रुका हुआ है.

कुछ ऐसे हैं यहां के हालात.
कुछ ऐसे हैं यहां के हालात.
एक अन्य ग्रामीण अनिल कुमार शर्मा ने समस्याओं के बारे में बताया कि पुल न होने के चलते सबसे ज्यादा समस्या बारिश के मौसम में होती है. बारिश के मौसम के पहले तो ड्रम वाला पुल लगा रहता है, लेकिन बारिश का मौसम शुरू होते ही पानी का जलस्तर जैसे-जैसे बढ़ता है, वैसे ही पुल को हटा दिया जाता है. जिससे लोगों को फिर नाव का सहारा लेना पड़ता है. ग्रामीण अपनी गाड़ियों को नाव में रख कर पुल पार करते है. अगर कोई इमरजेंसी होती है तो 20 से 25 किमी घूम कर जाना पड़ता है.
नाव से पार करते हैं नदी.
नाव से पार करते हैं नदी.

ग्रामीणों की बात सुनने के बाद जब इस पुल के बारे में निर्माण खंड-1 के जेई आरडी जायसवाल से बातचीत की गई तो उनका कहना था कि यह पुल सपा शासन काल में पास हुआ था, तब इस पुल की लागत पहले 864.95 लाख थी, फिर किसी कारण वश इसका निर्माण कार्य रोक दिया गया था. फोन पर हुई बातचीत में जेई आरडी जायसवाल ने बताया कि फिर 2017 में बीजेपी सरकार आने के बाद इसका निर्माण कार्य शुरू किया गया. अब यह पुल 2275.8 लाख की लागत से बन रहा है. अभी कुछ दिनों पहले जमीन की रजिस्ट्री को लेकर समस्या जरूर आयी थी, लेकिन अब समस्या का समाधान हो चुका है. प्रयास है कि पुल का निर्माण कार्य जल्द पूरा करके अक्टूबर तक संचालन शुरू कर दिया जाएगा.

इसे भी पढ़ें- सीएम योगी ने कहा- मुस्लिम वोट भी चाहिए तो सपा को अब्बा जान शब्द से परहेज क्यों?

लखनऊ: प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं,ऐसे में सभी पार्टियां अपनी-अपनी सरकारों के विकास कार्यों को गिनाने में लगी हैं, लेकिन इन सब तमाम बातों के बीच राजधानी लखनऊ के ग्रामीण क्षेत्र में एक ऐसा इलाका भी है जहां तक विकास पहुंचा ही नहीं. इस इलाके के लोग आज तक विकास कार्यों से नावाकिफ हैं. हम बात कर रहे हैं माल विकास खंड और बख्शी तालाब की, जहां पर फ्लाई ओवर का निर्मण कार्य पार्टियों की आपसी कलह के चलते पूरा नहीं हो सका. सपा सरकार में शुरू हुए फ्लाईओवर का काम आठ साल बीतने के बाद भी अब तक पूरा नहीं हो सका है.

इसके चलते ग्रामीण मुसीबत उठा रहे है और ग्रामीणों को एक ब्लॉक से दूसरे ब्लॉक में जाने के लिए मौत को चुनौती देनी पड़ती है. यहां के सैकड़ों गांव के ग्रामीण गोमती नदी को पार करने के लिए नाव का सहारा लेते हैं. हालांकि पुल निर्माण कार्य कर रहे जेई का कहना है कि पुल का निर्माण कार्य जल्द ही पूरा हो जाएगा और प्रयास है कि अक्टूबर तक फ्लाई ओवर शुरू भी हो जाएगा.

आने जाने के लिए नाव ही है सहारा.

जब ईटीवी की टीम ने मौके पर जाकर पड़ताल की और लोगों से बातचीत की गांव में रहने वाले शिवसागर बाजपेई ने बताया कि बीकेटी विधानसभा और मलिहाबाद विधानसभा के बीच में राम सनेही घाट पर पुल का निर्माण कार्य समाजवादी पार्टी के शासनकाल में शुरू हुआ था. लगभग 8 साल बीतने को हैं, लेकिन निर्माण कार्य पूरा नहीं सका. उनका आरोप है कि सपा के शासनकाल में कुछ दिन तक तो निर्माण कार्य चला लेकिन, समाजवादी पार्टी के नेताओं में आपसी कलह के चलते इस पुल के निर्माण कार्य को रुकवा दिया गया. शिवसागर बताते हैं कि 2017 में जब बीजेपी की सरकार बनी तो बीजेपी के सांसद और केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर के प्रयास से फ्लाई ओवर के निर्माण कार्य में तेजी जरूर आई थी, लेकिन बीजेपी का भी शासनकाल भी पूरा होने को है अब तक पुल नहीं बन सका. अगर पुल जल्दी बन जाता है तो ग्रामीणों को आए दिन जो मुसीबत उठानी पड़ती है, उससे कहीं ना कहीं सैकड़ों गांव के निवासियों को निजात जरूर मिलेगी.

कुछ ऐसे हैं यहां के हालात.
कुछ ऐसे हैं यहां के हालात.

शिवसागर बाजपेई ने बताया कि फ्लाई ओवर न होने से माल, काकोरी ,मलिहाबाद के लोगों को बीकेटी ब्लॉक में जाने के लिए गोमती नदी से होकर जाना पड़ता है. गोमती नदी पार करने के आये दिन लोग मौत को दावत देते हुए नाव का सहारा लेते हैं. कई बार ग्रामीणों को दुर्घटनाओं का भी सामना करना पड़ा है. उन्होंने बताया कि माल ब्लॉक से होकर भी बीकेटी की तरफ जाने वाले फ्लाईओवर का काम माल ब्लॉक में लगभग पूरा हो चुका है, लेकिन बीकेटी की तरफ उतरने वाले पुल का काम रुका हुआ है.

कुछ ऐसे हैं यहां के हालात.
कुछ ऐसे हैं यहां के हालात.
एक अन्य ग्रामीण अनिल कुमार शर्मा ने समस्याओं के बारे में बताया कि पुल न होने के चलते सबसे ज्यादा समस्या बारिश के मौसम में होती है. बारिश के मौसम के पहले तो ड्रम वाला पुल लगा रहता है, लेकिन बारिश का मौसम शुरू होते ही पानी का जलस्तर जैसे-जैसे बढ़ता है, वैसे ही पुल को हटा दिया जाता है. जिससे लोगों को फिर नाव का सहारा लेना पड़ता है. ग्रामीण अपनी गाड़ियों को नाव में रख कर पुल पार करते है. अगर कोई इमरजेंसी होती है तो 20 से 25 किमी घूम कर जाना पड़ता है.
नाव से पार करते हैं नदी.
नाव से पार करते हैं नदी.

ग्रामीणों की बात सुनने के बाद जब इस पुल के बारे में निर्माण खंड-1 के जेई आरडी जायसवाल से बातचीत की गई तो उनका कहना था कि यह पुल सपा शासन काल में पास हुआ था, तब इस पुल की लागत पहले 864.95 लाख थी, फिर किसी कारण वश इसका निर्माण कार्य रोक दिया गया था. फोन पर हुई बातचीत में जेई आरडी जायसवाल ने बताया कि फिर 2017 में बीजेपी सरकार आने के बाद इसका निर्माण कार्य शुरू किया गया. अब यह पुल 2275.8 लाख की लागत से बन रहा है. अभी कुछ दिनों पहले जमीन की रजिस्ट्री को लेकर समस्या जरूर आयी थी, लेकिन अब समस्या का समाधान हो चुका है. प्रयास है कि पुल का निर्माण कार्य जल्द पूरा करके अक्टूबर तक संचालन शुरू कर दिया जाएगा.

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Last Updated : Aug 17, 2021, 4:52 PM IST
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