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कांग्रेस के हाथ से निकल रही रायबरेली, MLA अदिति सिंह से इस्तीफे की मांग

अमेठी के बाद अब रायबरेली का किला भी कांग्रेस के हाथ से निकलता नजर आ रहा है. बता दें कि कांग्रेस के दो विधायकों ने रायबरेली से अपना पाला बदल लिया है. वहीं रायबरेली में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने विधायक अदिति सिंह से इस्तीफा की मांग लेकर उनके घर के बाहर प्रदर्शन किया.

भाजपा के पाले में आ रही रायबरेली.
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Published : Oct 5, 2019, 6:01 PM IST

लखनऊ: अमेठी के बाद अब रायबरेली से कांग्रेस के जनप्रतिनिधियों को भाजपा अपने झोली में डालती नजर आ रही है. कांग्रेस नेता रायबरेली के मतदाताओं के साथ अपने भावनात्मक रिश्तों की दुहाई दे रहे हैं और भारतीय जनता पार्टी अपनी सधी चाल से कांग्रेस का एक-एक विकेट चटकाती जा रही है.

भाजपा के पाले में आ रही रायबरेली.

इसे भी पढ़ें:- स्वच्छ और सुंदर बनाकर लखनऊ की बढ़ाएंगे ख्याति: कमिश्नर मुकेश कुमार मेश्राम

कांग्रेस विधायकों ने बदला पाला
महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर उत्तर प्रदेश विधानसभा के विशेष अधिवेशन में रायबरेली से कांग्रेस के दो विधायकों ने अपना पाला बदल लिया. कांग्रेस नेतृत्व दो दिन बाद भी उनके बारे में कोई फैसला नहीं कर सकी. दूसरी ओर रायबरेली में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पार्टी की विधायक अदिति सिंह के घर के बाहर प्रदर्शन किया और उनसे इस्तीफा देने की मांग की.

रायबरेली में भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर अमेठी को दोहराती नजर आ रही है. कांग्रेस के मजबूत गढ़ में शामिल अमेठी लोकसभा सीट से राहुल गांधी को हराने से पहले भारतीय जनता पार्टी ने बेहद सुनियोजित तरीके से 'ऑपरेशन अमेठी' को अंजाम दिया. भाजपा ने बारी-बारी से अमेठी में उन राजनेताओं को कांग्रेस से अलग कर अपने साथ मिलाया जो कांग्रेस के लिए अमेठी में खाद पानी का इंतजाम करते रहे हैं.

विकासखंड स्तर से लेकर जिला स्तर तक कांग्रेस के पदाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को भारतीय जनता पार्टी में अपना साथी बनाया. अमेठी में कभी कांग्रेस के मजबूत स्तंभ रहे संजय सिंह समेत कई बड़े नेताओं को भाजपा ने अपना सहयोगी बनाया है. इसी तर्ज पर भाजपा ने लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के विधान परिषद सदस्य दिनेश प्रताप सिंह को अपने पाले में कर लिया.

दिनेश प्रताप सिंह ने रायबरेली लोकसभा सीट पर सोनिया गांधी के खिलाफ मजबूती से चुनाव लड़ा. दिनेश प्रताप सिंह के भाई और कांग्रेस विधायक राकेश प्रताप सिंह और रायबरेली सदर सीट से विधायक अदिति सिंह ने सदन में खुलकर बगावत कर दी है. इन दोनों विधायकों के भाजपा की तरफ रुख करने से रायबरेली में कांग्रेस के विधायकों की संख्या शून्य हो सकती है. हालांकि अभी किसी भी विधायक ने पार्टी से इस्तीफा नहीं दिया है.

साफ समझा जा सकता है कि जब रायबरेली लोकसभा सीट पर कांग्रेस का कोई भी विधायक मौजूद नहीं होगा तो उसका जनाधार भी घटेगा, लेकिन कांग्रेस यह मानने को तैयार नहीं हैं कि भाजपा की रणनीति से उन्हें रायबरेली में नुकसान होने जा रहा है.

लखनऊ: अमेठी के बाद अब रायबरेली से कांग्रेस के जनप्रतिनिधियों को भाजपा अपने झोली में डालती नजर आ रही है. कांग्रेस नेता रायबरेली के मतदाताओं के साथ अपने भावनात्मक रिश्तों की दुहाई दे रहे हैं और भारतीय जनता पार्टी अपनी सधी चाल से कांग्रेस का एक-एक विकेट चटकाती जा रही है.

भाजपा के पाले में आ रही रायबरेली.

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कांग्रेस विधायकों ने बदला पाला
महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर उत्तर प्रदेश विधानसभा के विशेष अधिवेशन में रायबरेली से कांग्रेस के दो विधायकों ने अपना पाला बदल लिया. कांग्रेस नेतृत्व दो दिन बाद भी उनके बारे में कोई फैसला नहीं कर सकी. दूसरी ओर रायबरेली में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पार्टी की विधायक अदिति सिंह के घर के बाहर प्रदर्शन किया और उनसे इस्तीफा देने की मांग की.

रायबरेली में भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर अमेठी को दोहराती नजर आ रही है. कांग्रेस के मजबूत गढ़ में शामिल अमेठी लोकसभा सीट से राहुल गांधी को हराने से पहले भारतीय जनता पार्टी ने बेहद सुनियोजित तरीके से 'ऑपरेशन अमेठी' को अंजाम दिया. भाजपा ने बारी-बारी से अमेठी में उन राजनेताओं को कांग्रेस से अलग कर अपने साथ मिलाया जो कांग्रेस के लिए अमेठी में खाद पानी का इंतजाम करते रहे हैं.

विकासखंड स्तर से लेकर जिला स्तर तक कांग्रेस के पदाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को भारतीय जनता पार्टी में अपना साथी बनाया. अमेठी में कभी कांग्रेस के मजबूत स्तंभ रहे संजय सिंह समेत कई बड़े नेताओं को भाजपा ने अपना सहयोगी बनाया है. इसी तर्ज पर भाजपा ने लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के विधान परिषद सदस्य दिनेश प्रताप सिंह को अपने पाले में कर लिया.

दिनेश प्रताप सिंह ने रायबरेली लोकसभा सीट पर सोनिया गांधी के खिलाफ मजबूती से चुनाव लड़ा. दिनेश प्रताप सिंह के भाई और कांग्रेस विधायक राकेश प्रताप सिंह और रायबरेली सदर सीट से विधायक अदिति सिंह ने सदन में खुलकर बगावत कर दी है. इन दोनों विधायकों के भाजपा की तरफ रुख करने से रायबरेली में कांग्रेस के विधायकों की संख्या शून्य हो सकती है. हालांकि अभी किसी भी विधायक ने पार्टी से इस्तीफा नहीं दिया है.

साफ समझा जा सकता है कि जब रायबरेली लोकसभा सीट पर कांग्रेस का कोई भी विधायक मौजूद नहीं होगा तो उसका जनाधार भी घटेगा, लेकिन कांग्रेस यह मानने को तैयार नहीं हैं कि भाजपा की रणनीति से उन्हें रायबरेली में नुकसान होने जा रहा है.

Intro:लखनऊ। अमेठी के बाद अब कांग्रेस का रायबरेली किला भी खतरे में है। रायबरेली से कांग्रेस के जनप्रतिनिधियों को बारी-बारी अपनी झोली में डाल रही भारतीय जनता पार्टी का मुकाबला करने की क्षमता भी कांग्रेस में दिखाई नहीं दे रही है । उल्टा समस्या सामने दिखने के बाद भी कांग्रेस नेता रायबरेली के मतदाताओं के साथ अपने भावनात्मक रिश्तो की दुहाई दे रहे हैं और भारतीय जनता पार्टी अपनी सधी चाल से कांग्रेस का एक-एक विकेट चटकाती जा रही है।




Body:महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर उत्तर प्रदेश विधानसभा के विशेष अधिवेशन में रायबरेली से कांग्रेस के जिन दो विधायकों को पाला बदल करते हुए प्रदेश और देश की जनता ने देखा है कांग्रेस नेतृत्व 2 दिन बाद भी उनके बारे में कोई फैसला नहीं कर सका दूसरी और रायबरेली में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पार्टी की विधायक अदिति सिंह के घर के बाहर प्रदर्शन किया है और उनसे इस्तीफा देने की मांग की है।

रायबरेली में भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर अमेठी को दोहराती नजर आ रही है। कांग्रेस के मजबूत गढ़ में शामिल अमेठी लोकसभा सीट से राहुल गांधी को हराने से पहले भारतीय जनता पार्टी ने बेहद सुनियोजित तरीके से 'ऑपरेशन अमेठी' को अंजाम दिया .भाजपा ने बारी बारी अमेठी में उन राजनेताओं को कांग्रेस से अलग कर अपने साथ मिलाया जो कांग्रेस के लिए अमेठी में खाद पानी का इंतजाम करते रहे . विकासखंड स्तर से लेकर जिला स्तर तक कांग्रेस के पदाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को भारतीय जनता पार्टी में अपना साथी बनाया। अमेठी में कभी कांग्रेस के मजबूत स्तंभ रहे संजय सिंह समेत कई बड़े नेताओं को भाजपा ने अपना सहयोगी बनाया । इसी तर्ज पर भाजपा ने लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के विधान परिषद सदस्य दिनेश प्रताप सिंह को अपने पाले में कर लिया । दिनेश प्रताप सिंह ने रायबरेली लोकसभा सीट पर सोनिया गांधी के खिलाफ मजबूती से चुनाव लड़ा। दिनेश प्रताप सिंह के भाई और कांग्रेस विधायक राकेश प्रताप सिंह व रायबरेली सदर सीट से विधायक अदिति सिंह ने सदन में खुलकर बगावत कर दी है। इन दोनों विधायकों के भाजपा के पाले में जाने से रायबरेली में कांग्रेश के विधायकों की संख्या शून्य हो गई है। साफ समझा जा सकता है कि जब रायबरेली लोकसभा सीट पर कांग्रेश का कोई भी विधायक मौजूद नहीं होगा तो उसका जनाधार भी घटेगा। लेकिन कांग्रेस यह मानने को तैयार नहीं हैं कि भाजपा की रणनीति से उन्हें रायबरेली में नुकसान होने जा रहा है।

बाइट/ अशोक सिंह प्रदेश प्रवक्ता कांग्रेस

पीटीसी अखिलेश तिवारी


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