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सदन में उठाएंगे बिजली कर्मियों की आवाज: अजय कुमार लल्लू

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Published : Nov 18, 2019, 11:34 PM IST

कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने डीएचएफएल घोटाला मामले में ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा और प्रदेश की योगी सरकार पर एक बार फिर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि बिजली कर्मचारियों के खून पसीने की कमाई को डीएचएफएल में लगाया गया है, हम इसे बर्बाद नहीं होने देंगे.

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष

लखनऊ: कांग्रेस प्रदेश कार्यालय में मीडिया से बातचीत करते हुए अजय कुमार लल्लू ने कहा कि जनता के सवालों से ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा बच नहीं सकते हैं. उन्होंने कहा कि ऊर्जा मंत्री समेत पूरी योगी सरकार अपनी जिम्मेदारियों से भाग रही है, योगी सरकार को तुरंत ऊर्जा मंत्री को बर्खास्त करना चाहिए और दोषियों को गिरफ्तार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि ऊर्जा मंत्री को अपने दायित्व का पालन करते हुए बिजली कर्मचारियों के सवालों का जवाब देना चाहिए.

मीडिया से बात करते कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष.

कांग्रेस अध्यक्ष ने पूछे सरकार से तीखे सवाल
सोमवार को प्रदेश अध्यक्ष की ओर से शाम जारी एक बयान में योगी सरकार से डीएचएफएल मामले में नए सवाल पूछे गए हैं. उन्होंने पूछा है कि उत्तर प्रदेश सरकार की डीएचएफएल में पीएफ का पैसा निवेश करने के लिए जितनी भी बैठकें हुई हैं, उनके एजेंडे और उसके सापेक्ष हुई बैठक को सार्वजनिक करें ताकि यह देखा जा सके कि एजेंडा क्या था और निर्णय क्या हुए, निर्णय से कौन सहमत था और कौन असहमत था.

अजय कुमार लल्लू ने कहा कि एजेंडा बढ़ाने की जिम्मेदारी किसकी होती है, क्या एजेंडा बनाने वाला खुद से एजेंडा तय करता है. क्या एजेंडा नियत करने के निर्देश मौखिक थे, यदि मौखिक निर्देश थे तो किसके थे और यदि लिखित निर्देश थे तो किसके आदेश और दस्तखत किए गए हैं ?

अजय कुमार लल्लू ने कहा कि कांग्रेस पार्टी बिजली कर्मचारियों के साथ है, हम इस मुद्दे को सदन में भी उठाएंगे.

इसे भी पढ़ें - संतकबीर नगर: बिजली विभाग के कर्मचारियों का प्रदर्शन, दफ्तरों में तालाबंदी

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के सवाल

  • 2018 में अगर डीएचएफएल ने प्रस्ताव दिया तो पहले कैसे निवेश हुआ यह विसंगति कैसे है?
  • क्या पूर्व में भी कोई प्रस्ताव डीएचएफएल द्वारा दिया गया था?
  • क्रेडिट रेटिंग के सापेक्ष निवेश किए जाने का आधार और गाइड लाइन क्या है, वित्त विभाग इस पर मौन क्यों है?
  • नियमों के तहत मदद करने वाले सलाह देने वाले अगर अप्रत्यक्ष रूप से भी शामिल है तो क्या सरकार उन पर कार्यवाही करेगी?
  • आईएएस अधिकारियों संजय अग्रवाल, आलोक कुमार, अपर्णा यू, विशाल चौहान की भूमिका सरकार स्पष्ट करें कि मिनट ऑफ मीटिंग में कैसे पास कर दिया गया कि आगे के निवेश की जिम्मेदारी सचिव और निदेशक वित्त की सलाह पर होगा ?
  • तारीख 24 मार्च 2017 के कार्य में निवेश को लेकर राष्ट्रीय बैंक/ ट्रिपल ए क्रेडिट रेटिंग कंपनी में निवेश बदलकर गवर्नमेंट नोटिफिकेशन 2 मार्च 2015 के अनुसार करने का प्रस्ताव पास किया गया यह नोटिफिकेशन क्या है?
  • क्या पूर्ववर्ती सरकार ने कोई नोटिफिकेशन जारी किया, तो क्यों 31 मार्च 2017 को तत्कालीन चेयरमैन संजय अग्रवाल ने सहमति जताते हुए स्पष्ट लिखा था कि बैठक अप्रैल में बुला ली जाए.
  • अप्रैल की बैठक हुई कि नहीं और अगर हुई तो किसकी उपस्थिति में?

लखनऊ: कांग्रेस प्रदेश कार्यालय में मीडिया से बातचीत करते हुए अजय कुमार लल्लू ने कहा कि जनता के सवालों से ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा बच नहीं सकते हैं. उन्होंने कहा कि ऊर्जा मंत्री समेत पूरी योगी सरकार अपनी जिम्मेदारियों से भाग रही है, योगी सरकार को तुरंत ऊर्जा मंत्री को बर्खास्त करना चाहिए और दोषियों को गिरफ्तार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि ऊर्जा मंत्री को अपने दायित्व का पालन करते हुए बिजली कर्मचारियों के सवालों का जवाब देना चाहिए.

मीडिया से बात करते कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष.

कांग्रेस अध्यक्ष ने पूछे सरकार से तीखे सवाल
सोमवार को प्रदेश अध्यक्ष की ओर से शाम जारी एक बयान में योगी सरकार से डीएचएफएल मामले में नए सवाल पूछे गए हैं. उन्होंने पूछा है कि उत्तर प्रदेश सरकार की डीएचएफएल में पीएफ का पैसा निवेश करने के लिए जितनी भी बैठकें हुई हैं, उनके एजेंडे और उसके सापेक्ष हुई बैठक को सार्वजनिक करें ताकि यह देखा जा सके कि एजेंडा क्या था और निर्णय क्या हुए, निर्णय से कौन सहमत था और कौन असहमत था.

अजय कुमार लल्लू ने कहा कि एजेंडा बढ़ाने की जिम्मेदारी किसकी होती है, क्या एजेंडा बनाने वाला खुद से एजेंडा तय करता है. क्या एजेंडा नियत करने के निर्देश मौखिक थे, यदि मौखिक निर्देश थे तो किसके थे और यदि लिखित निर्देश थे तो किसके आदेश और दस्तखत किए गए हैं ?

अजय कुमार लल्लू ने कहा कि कांग्रेस पार्टी बिजली कर्मचारियों के साथ है, हम इस मुद्दे को सदन में भी उठाएंगे.

इसे भी पढ़ें - संतकबीर नगर: बिजली विभाग के कर्मचारियों का प्रदर्शन, दफ्तरों में तालाबंदी

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के सवाल

  • 2018 में अगर डीएचएफएल ने प्रस्ताव दिया तो पहले कैसे निवेश हुआ यह विसंगति कैसे है?
  • क्या पूर्व में भी कोई प्रस्ताव डीएचएफएल द्वारा दिया गया था?
  • क्रेडिट रेटिंग के सापेक्ष निवेश किए जाने का आधार और गाइड लाइन क्या है, वित्त विभाग इस पर मौन क्यों है?
  • नियमों के तहत मदद करने वाले सलाह देने वाले अगर अप्रत्यक्ष रूप से भी शामिल है तो क्या सरकार उन पर कार्यवाही करेगी?
  • आईएएस अधिकारियों संजय अग्रवाल, आलोक कुमार, अपर्णा यू, विशाल चौहान की भूमिका सरकार स्पष्ट करें कि मिनट ऑफ मीटिंग में कैसे पास कर दिया गया कि आगे के निवेश की जिम्मेदारी सचिव और निदेशक वित्त की सलाह पर होगा ?
  • तारीख 24 मार्च 2017 के कार्य में निवेश को लेकर राष्ट्रीय बैंक/ ट्रिपल ए क्रेडिट रेटिंग कंपनी में निवेश बदलकर गवर्नमेंट नोटिफिकेशन 2 मार्च 2015 के अनुसार करने का प्रस्ताव पास किया गया यह नोटिफिकेशन क्या है?
  • क्या पूर्ववर्ती सरकार ने कोई नोटिफिकेशन जारी किया, तो क्यों 31 मार्च 2017 को तत्कालीन चेयरमैन संजय अग्रवाल ने सहमति जताते हुए स्पष्ट लिखा था कि बैठक अप्रैल में बुला ली जाए.
  • अप्रैल की बैठक हुई कि नहीं और अगर हुई तो किसकी उपस्थिति में?
Intro:लखनऊ. कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने डीएचएफएल घोटाला मामले में ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा और प्रदेश की योगी सरकार पर एक बार फिर निशाना साधा है उन्होंने कहा कि बिजली कर्मचारियों के खून पसीने की कमाई को डीएचएफएल में लगाया गया है इसे बर्बाद नहीं होने देंगे सरकार को कर्मचारियों की पाई पाई का हिसाब देना होगा. उन्होंने सरकार से नए सवाल भी पूछे हैं जिसमें प्रदेश के आईएएस अधिकारियों के अलावा सरकार को भी कटघरे में खड़ा किया गया है.


Body:कांग्रेश प्रदेश कार्यालय में मीडिया से बातचीत में अजय कुमार लल्लू ने कहा कि जनता के सवालों से ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा बच नहीं सकते हैं ऊर्जा मंत्री समेत पूरी योगी सरकार अपनी जिम्मेदारियों से भाग रही है योगी सरकार को तुरंत ऊर्जा मंत्री को बर्खास्त करना चाहिए और दोषियों को गिरफ्तार करना चाहिए लेकिन सरकार केवल हीला हवाली कर मामले को टालना चाह रही है. उन्होंने कहा कि ऊर्जा मंत्री को अपने दायित्व का पालन करते हुए बिजली कर्मचारियों के सवालों का जवाब देना चाहिए खून पसीने की कमाई है इसके एक-एक पाई का हिसाब मांगा जाएगा उन्हें जवाब भी देना पड़ेगा.


कांग्रेस अध्यक्ष ने पूछे सरकार से तीखे सवाल
सोमवार को प्रदेश अध्यक्ष की ओर से शाम जारी एक बयान में योगी सरकार से डीएचएफएल मामले में नए सवाल पूछे गए हैं . उन्होंने पूछा है कि उत्तर प्रदेश सरकार की डीएचएफएल में पीएफ का पैसा निवेश करने के लिए जितनी भी बैठकें हुई हैं उनके एजेंडे और उसके सापेक्ष हुई बैठक के मिनट्स को सार्वजनिक करें ताकि यह देखा जा सके कि एजेंडा क्या था और निर्णय क्या हुए निर्णय से कौन सहमत था और कौन असहमत था.

एजेंडा बढ़ाने की जिम्मेदारी किसकी होती है क्या एजेंडा बनाने वाला खुद से एजेंडा तय करता है। क्या एजेंडा नियत करने के निर्देश मौखिक थे यदि मौखिक निर्देश थे तो किसके थे और यदि लिखित निर्देश थे तो किसके आदेश और दस्तखत किए गए हैं ?

2018 में अगर डीएचएफएल ने प्रस्ताव दिया तो पहले कैसे निवेश हुआ यह विसंगति कैसे है? क्या पूर्व में भी कोई प्रस्ताव डीएचएफएल द्वारा दिया गया था?

क्रेडिट रेटिंग के सापेक्ष निवेश किए जाने का आधार और गाइड लाइन क्या है? वित्त विभाग इस पर मौन क्यों है?
कांस्प्रेसी नियमों के तहत मदद करने वाले सलाह देने वाले अगर अप्रत्यक्ष रूप से भी शामिल है तो क्या सरकार उन पर कार्यवाही करेगी?

आईएएस अधिकारियों संजय अग्रवाल, आलोक कुमार, अपर्णा यू, विशाल चौहान की भूमिका सरकार स्पष्ट करें कि मिनट ऑफ मीटिंग में कैसे पास कर दिया गया कि आगे के निवेश की जिम्मेदारी सचिव और निदेशक वित्त की सलाह पर होगा ?

तारीख 24 मार्च 2017 के कार्य में निवेश को लेकर राष्ट्रीय बैंक/ ट्रिपल ए क्रेडिट रेटिंग कंपनी में निवेश बदलकर गवर्नमेंट नोटिफिकेशन 2 मार्च 2015 के अनुसार करने का प्रस्ताव पास किया गया यह नोटिफिकेशन क्या है? अखिलेश यादव के समय जारी किए गए नोटिफिकेशन के आधार पर लिया गया? क्या पूर्ववर्ती सरकार ने कोई नोटिफिकेशन जारी किया तो क्यों 31 मार्च 2017 को तत्कालीन चेयरमैन संजय अग्रवाल ने सहमति जताते हुए स्पष्ट लिखा था कि बैठक अप्रैल में बुला ली जाए। अप्रैल की बैठक हुई कि नहीं और अगर हुई तो किसकी उपस्थिति में?
बाइट/ अजय कुमार लल्लू कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष



Conclusion:कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के नए सवालों ने प्रदेश सरकार को एक बार कटघरे में खड़ा कर दिया है इन सवालों से डीएचएफएल घोटाले के नए पहलुओं के सामने आने के आसार नजर आ रहे हैं ऐसे में ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा और सरकार की मुश्किलें नजर आ रही हैं।
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