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लखनऊ: नसीमुद्दीन सिद्दीकी की विधान परिषद की सदस्यता रद्द

बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए नसीमुद्दीन सिद्दीकी को विधान परिषद की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया है. 22 फरवरी 2018 को नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कांग्रेस पार्टी का हाथ थाम लिया था.

congress leader nasimuddin siddiqui
नसीमुद्दीन सिद्दीकी की मायावती के बेहद करीबी नेताओं में होती थी गिनती
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Published : Jul 21, 2020, 8:23 PM IST

लखनऊ: नसीमुद्दीन सिद्दीकी 23 जनवरी 2015 को बहुजन समाज पार्टी की ओर से विधान परिषद के सदस्य के रूप में निर्वाचित हुए थे. इसके बाद उन्होंने 22 फरवरी 2018 को कांग्रेस की औपचारिक रूप से सदस्यता ग्रहण कर ली थी. इसके बाद बहुजन समाज पार्टी ने दल-बदल कानून के तहत विधान परिषद के सभापति के पास अपील की थी, जिस पर विधान परिषद के सभापति ने अपना निर्णय सुनाया है.

बहुजन समाज पार्टी की ओर से संविधान की दसवीं अनुसूची और दल-बदल कानून के आधार पर नसीमुद्दीन सिद्दीकी को विधान परिषद की सदस्यता से अयोग्य किए जाने के लिए याचिका प्रस्तुत की गई थी. इस पर लंबी सुनवाई के बाद मंगलवार को विधान परिषद के सभापति ने अपना निर्णय दिया है.

मायावती सरकार में थे मंत्री

बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र ने बताया कि नसीमुद्दीन सिद्दीकी को 22 फरवरी 2018 से विधान परिषद की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया गया है. नसीमुद्दीन सिद्दिकी बसपा के कद्दावर नेता के रूप में रहे हैं. बसपा की मायावती सरकार में वह ताकतवर मंत्री रहे हैं. पार्टी की मुखिया मायावती के बेहद करीबी नेताओं में इनकी गिनती हुआ करती थी, लेकिन मायावती से खींचतान के चलते इन्हें बाहर का रास्ता देखना पड़ा था.

2022 विधानसभा चुनाव का इंतजार

नसीमुद्दीन सिद्दिकी ने कांग्रेस का दामन थाम लिया, जिसके बाद मायावती के निर्देश पर विधान परिषद में पार्टी के नेता की तरफ से दल-बदल कानून के तहत इनकी सदस्यता समाप्त किए जाने के लिए याचिका दाखिल की गई थी. सिद्दीकी के समक्ष फिलहाल एमएलसी बने रहने की कोई स्थिति नहीं दिख रही है. कांग्रेस के पास इतने सदस्य भी नहीं हैं कि वह इन्हें परिषद भेज सके. लिहाजा उन्हें सदन जाने के लिए कम से कम 2022 के विधान सभा चुनाव तक का इंतजार करना होगा.

लखनऊ: नसीमुद्दीन सिद्दीकी 23 जनवरी 2015 को बहुजन समाज पार्टी की ओर से विधान परिषद के सदस्य के रूप में निर्वाचित हुए थे. इसके बाद उन्होंने 22 फरवरी 2018 को कांग्रेस की औपचारिक रूप से सदस्यता ग्रहण कर ली थी. इसके बाद बहुजन समाज पार्टी ने दल-बदल कानून के तहत विधान परिषद के सभापति के पास अपील की थी, जिस पर विधान परिषद के सभापति ने अपना निर्णय सुनाया है.

बहुजन समाज पार्टी की ओर से संविधान की दसवीं अनुसूची और दल-बदल कानून के आधार पर नसीमुद्दीन सिद्दीकी को विधान परिषद की सदस्यता से अयोग्य किए जाने के लिए याचिका प्रस्तुत की गई थी. इस पर लंबी सुनवाई के बाद मंगलवार को विधान परिषद के सभापति ने अपना निर्णय दिया है.

मायावती सरकार में थे मंत्री

बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र ने बताया कि नसीमुद्दीन सिद्दीकी को 22 फरवरी 2018 से विधान परिषद की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया गया है. नसीमुद्दीन सिद्दिकी बसपा के कद्दावर नेता के रूप में रहे हैं. बसपा की मायावती सरकार में वह ताकतवर मंत्री रहे हैं. पार्टी की मुखिया मायावती के बेहद करीबी नेताओं में इनकी गिनती हुआ करती थी, लेकिन मायावती से खींचतान के चलते इन्हें बाहर का रास्ता देखना पड़ा था.

2022 विधानसभा चुनाव का इंतजार

नसीमुद्दीन सिद्दिकी ने कांग्रेस का दामन थाम लिया, जिसके बाद मायावती के निर्देश पर विधान परिषद में पार्टी के नेता की तरफ से दल-बदल कानून के तहत इनकी सदस्यता समाप्त किए जाने के लिए याचिका दाखिल की गई थी. सिद्दीकी के समक्ष फिलहाल एमएलसी बने रहने की कोई स्थिति नहीं दिख रही है. कांग्रेस के पास इतने सदस्य भी नहीं हैं कि वह इन्हें परिषद भेज सके. लिहाजा उन्हें सदन जाने के लिए कम से कम 2022 के विधान सभा चुनाव तक का इंतजार करना होगा.

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