लखनऊ: उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता बृजेन्द्र कुमार सिंह ने मांग की है कि सरकार को रसोई गैस की कीमतों में 50 प्रतिशत की कमी करनी चाहिए. पूर्व में जारी सब्सिडी को बहाल किया जाना चाहिए, जिससे आम उपभोक्ता इस भीषण मंहगाई के दौर में जीवन यापन कर सके.
बृजेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि कोरोना काल में आर्थिक रूप से टूट चुकी जनता जो न तो अपने बच्चों की फीस भर पा रही है और न ही आवश्यक आवश्यकताओं की पूर्ति कर पा रही है. ऐसे में भोजन बनाने के उपयोग में आने वाली सबसे आवश्यक चीज रसोई गैस की कीमत 732 रुपये प्रति सिलेण्डर हो गई है. आम आदमी की हैसियत इतनी बड़ी रकम खर्च करने की एक बार में बची ही नहीं है. ऐसे में जनता की मजबूरी को देखते हुए सरकार को ये कदम उठाना चाहिए.
जनता की पहुंच से दूर गैस
बृजेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि जहां 2014 में रसोई गैस की कीमत 292 रुपये प्रति सिलेण्डर थी तब भारतीय जनता पार्टी जोर-शोर से रसोई गैस की कीमत को आम जनता की पहुंच से बाहर बता रही थी. कह रही थी कि एक बार में गरीब जनता कैसे सिलेंडर खरीद पाएगी. मात्र छह वर्ष के बाद आज वही रसोई गैस प्रति सिलेंडर की कीमत 732 रुपये पहुंच गई है.
आखिर भारतीय जनता पार्टी की सरकार को यह बताना चाहिए कि प्रदेश की गरीब जनता कोरोना काल के चलते जहां करोड़ों लोगों ने नौकरियां गवाईं हैं, नौकरी पेशा लेागों के वेतन से कटौती की जा रही है, छोटे-मझोले उद्योग लगभग बंद हो चुके हैं. वर्ष भर से लोग अपने बच्चों की फीस नहीं भर पा रहे हैं. अकेले उत्तर प्रदेश में 3 लाख 60 हजार वित्तविहीन शिक्षक आज वेतन के अभाव में आत्महत्या करने के लिए विवश हो रहे हैं. ऐसे में सरकार तत्काल रसोई गैस की कीमतों को आधा करते हुए सब्सिडी को बहाल करे.
नहीं पूरा किया किसानों से किया वादा
बृजेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव के दौरान 400 रुपये प्रति क्विंटल गन्ने का मूल्य देने और 14 दिनों के भीतर गन्ना मूल्य का भुगतान करने का वादा किया था. भुगतान न होने की स्थिति में ब्याज सहित भुगतान करने का अपने संकल्प पत्र में वादा किया था. विशाल जनसमर्थन से सत्ता में आई, लेकिन चार वर्ष से अधिक समय हो चुके हैं न तो गन्ना मूल्य में वादे के अनुसार बढ़ोतरी हुई और न ही किसानों के बकाये गन्ना मूल्य का भुगतान अभी तक हो सका है.
इतना ही नहीं पिछले 14 माह से जनपद गोण्डा के कुन्दुरखी स्थित बजाज चीनी मिल ने गन्ना किसानों का एक भी रुपया भुगतान नहीं किया है, जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. भुगतान न होने के चलते गन्ना किसान बहुत दयनीय आर्थिक स्थिति से गुजर रहे हैं. सरकार तत्काल न्यायालय के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कराते हुए किसानों का बजाज चीनी मिल पर बकाये गन्ने के मूल्य का भुगतान कराए.